महल का अंसभव स्वपन

Castle Dream

बहुत पुरानी बात है एक छोटा सा राज्य जिसका नाम भानगढ़ था भानगढ़ के राजा रविचन्द्र बहुत ही अच्छे इन्सान थे उनकी प्रजा बहुत संतुष्ट थी राजा के मन में भी सभी के लिए बहुत प्यार था उनके दरबारी और उनकी प्रजया भी उनका बहुत आदर सम्मान करती थी | उनके दरबारियों में एक दरबारी … Read more

साथ रहने का मजा

Bonding Benefits

एक जंगल में एक खरगोश रहता था वह बहुत ही स्वार्थी था | वह किसी भी बात करना पसंद करता था वह बस अपने काम की ही बात करता था | यहाँ तक की अपने साथियों के साथ भी नहीं खेलना पसंद नहीं करता था | उसके माँ बाप भी उसे समजाते थे की बेटा … Read more

खुबिया है हम सब में

Human Power

बहुत पुरानी बात है एक बार जंगल का राजा शेर युद की तेयारी कर रहा था | उसने उस दिन अपने सभी जानवरों की एक सभा बुलाई जिसमे हाथी, हिरना, घोडा, भाग, भालू, बंदर, खरगोश और भी कई सारे | शेर ने एक – एक जानवर को उसका उतरदायित्व समझाया | केवल खरगोश और गधे … Read more

अत्यधिक ज्ञान

एक शहर में एक लड़का रहता था जिसका नाम रवि था | उसे नई – नई बाते सीखना बहुत अच्छा लगता था उसे जो कोई दीखता उससे प्रश्न पूछता और ज्ञान लेने की कोशिश करता | और कोई संत मिल जाते तो उनके साथ तो घंटो बाते करता रहता | उस इलाके में ऐसा कोई नहीं था जिसके पास जा कर रवि ने कुछ सीखा न हो | ऐसा लगता था जैसे उसका खाना हजम नहीं होता था जब तक वह कुछ नया सीख न ले | अब उस इलाके में ऐसा कोई नहीं बचा था जिसके पास जा कर वो सीख सके | अब वह बहुत परेशान रहने लगा | एक दिन उसने निश्चय किया की वो दुसरे शहर जाएगा और सीखेगा |

उसके शहर के पास दिल्ली शहर था उसने वहा जाने का फेसला किया | उसने सुनना था की वहा के शिशको के पास बहुत ज्ञान है | रवि अपने घर से निकल पड़ा और अगले दिन दिल्ली पहुच गया | वहा जा कर उसने एक विधालय में अपना नाम लिखवाया | और फिर अपनी कक्षा में चला गया | वहा जा कर उसने शिक्षक को प्रणाम किया और शिक्षक ने उसे अपने पास बताया और उसने पूछने लगे की तुमने ने क्या क्या सीखा है?

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बन्दर की सीख

बहुत पुरानी बात है एक बन्दर के किनारे पेड़ पर बेठा हुआ था | उसे बहुत जोर से भूक लगी हुई थी | तभी वहा एक आदमी केलो का एक गुच्छा लेकर पेड़ के नीचे आ कर बेठा गया | बंदर केलो के गुच्छे को देख कर उसके मुह में पानी आ गया | उसका मन किया की वो सारे के सारे केले खा जाए | जब उस आदमी को नीद आ जोंखा आया तो उसका मोका उठाकर बन्दर ने ५-६ केले अपने लिए उठा लिए और पेड़ पर जा कर खा लिए |

जब आदमी की नीद खुली तो उसने एक केला थोडा कर खाने लगा | तभी उसकी नजर बन्दर पर गई | उसके हाथो में केला देखा कर वो समझ गया की उसने गुच्छे में से २-३ केले ले लिए है | उसे यह देख कर बहुत गुस्सा आया |

तभी उसको एक तरकीब सूझी | उसको ध्यान आया की बन्दर को नकल उतराने की बहुत आदत है | उस आदमी ने अब एक केला थोडा और छीलने लगा | यह देखकर बन्दर भी वैसा की करने लगा | अब आदमी ने केला खा लिया और यह देखकर बन्दर ने भी खा लिया | उस आदमी ने एक केला और थोडा और दूर फ़ेंक दिया, यह देखकर बन्दर ने भी एक केला फ़ेंक दिया | उस आदमी ने एक और तोडा और दूर फ़ेंक दिया, यह देखकर बन्दर ने भी फ़ेंक दिया | जब बन्दर ने सारे केले नीचे फ़ेंक दिए तो आदमी ने सारे केले उठा लिए और अपनी पोटरी में रख लिए |

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ईश्वर का कमाल

बहुत पुरानी बात है वर्षा का मोसम था गाँव से बहुत दूर एक बेलगाडी चल जा रही थी | वर्षा अभी हलकी हो रही थी और उस गाड़ी का मालिक जिसका नाम रवि था | तेज वर्षा होने से पहले अपने घर पहुचना चाहता था क्योकि वह शहर से अनाज के बोरे रख कर लाया था

तभी उसकी बेलगाडी का एक पहिया मिटटी में धँस गया | “हे भगवन अब कोन से नई मुसीबत आ गई | उसने उतर कर देखा तो बेलगाडी का पूरा पहिया गीली मिटटी में धँस चूका था जिसको निकलना उसके अकेले के बस का न था |

लेकिन फिर भी उसने हर नहीं मणि | उसने बेलो को खींचना शुरू किया | बेलो ने भी जैसे अपनी पूरी ताकत ला दी हो लेकिन गाड़ी का पहिया बाहर नहीं आया | यह देख रवि को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने बेलो को पीटना शुरू कर दिया और फिर हार का वह भी गिनी जमीन पर बेठ गया |

असमान की तरफ देख कर बोला, “हे प्रभ अब आप ही कोई चमत्कार कर सकते हो, जिससे मेरी गाड़ी के पहिया बाहर आ जाए| प्रभु चमत्कार कर दो में पक्का से ५ रुपे का प्रसाद चढ़ाऊँगा |

इतना बोला ही था की अचानक उसको एक आवाज सुनाई दी, रवि क्या हुआ, ऐसे क्यों बेठा है इस बारिश में | देखा तो उसके दो दोस्त राम और श्याम वहा से जा रहे थे | रवि ने उन दोनों को सारी बात बताई |

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कहानी एक अजनबी की

एक शहर एक बीचो बीचो एक बहुत बड़ा मैदान था मैदान में हर छोटे से लेकर बड़े बच्चो तक सभी कोई कोई खेल खेला करते थे | उन्ही बच्चो में से एक बच्चा था रवि | रवि के बहुत सारे दोस्त थे जिनके साथ वो खेला करता था |

एक दिन की बात है रवि अपने दोस्तों के साथ मैदान में खेल रहा था तबी वहा एक अजनबी व्यक्ति वहा से गुजरा | उस व्यक्ति को पहले किसी ने नहीं देखा था | उस व्यक्ति को वहा देख कर उन लडको ने मजाक मजाक में चिल्ला कर बोले, “अरे भाई इधर तो आओ, हमारे साथ थोड़ी देर खेलो” लेकिन उस व्यक्ति ने उन बच्चो की बात को अनसुना कर दिया और आगे चलने लगा | लडके फिर बोले, क्यों भाई, गुगे – बहरे हो क्या? और जोर – जोर से हसने लगे|”

बस उस दिन के बाद से जब भी वह व्यक्ति वहा से गुजरता, सभी लडके उसका मजाक उड़ाते और जोर – जोर से कहते, देखो “गुगा – बहरा जा रहा है और फिर जोर – जोर से हस्ते उसे देखकर | यह सब हरकते रवि चुप चाप खडा देखता रहता था क्योकि उसके माता-पिता ने उसे बडो का आदर करना सिखाया था | या सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा | अजनबी कभी भी कुछ नहीं बोलता था चुप चाप वहा से जला जाता था |

एक दिन रवि मैदान में जल्दी पहुच गया और तभी वह आदमी वहा से गुजरा | और पता नहीं क्या हुआ उस दिन रवि भी बोल पड़ा और “ओ गुगे – बहरे कहा जा रहा है |” परन्तु उस दिन वह अजनबी भी चुप नहीं रहा | वह रवि के पास गया और बोला, “बेटा, में अपनी बेटी को लेने विधालय जा रहा हु | तुम तो अच्छेबच्चे लगते और कभी भी मेरा मजाक नहीं उड़ाते हो फिर आज क्या हुआ तुम्हे | बेटा बडो से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए तुन्हें | यह अच्छी बात नहीं है |

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ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

ये कान के पास से गुजरती हवाओ की सरसराहट

ये पर फुदकती चिडियों की चहचहाहट ,

ये समुंदर की लहरों का शोर,

कुछ कहना चाहती है मुझसे

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

 

ये चांदनी रात, ये तारो की बरसात,

ये खिले हुए फूल, ये उडती हुई धुल,

ये नदिया की कलकल, ये मोसम की हलचल,

ये पर्वत की चोटिया, ये झींगुर की सीटिया,

कुछ कहना चाहती है मुझसे,

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

 

उड़ते पंछियों की उमग, धोड़ते हिरणों का तरंग,

ये सूरज की किरण जो भर्ती है रण का हर एक कण,

ये फूल और कांटे, एक करता जग सुगन्धित तो दूसरा वस्त्रो का चीर हरण,

कुछ कहना चाहती है मुझसे,

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

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छोटे है तो क्या हुआ

एक जंगल में एक भालू रहता था उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड था | वह अपने सामने किसी को भी नहीं टिकने देता था वह कभी भी नहीं देखता था चलते समय उसके पेरो के नीचे कितने कीड़े,मकोड़े मर जाते थे और जो भी सामने आता था उसे मार देता था |

वह अक्सर पानी पीने नदी के किनारे आता, नहाता और पानी इधर – उधर फेलता | हर रोज की इस क्रिया में उसके पेरो ने नीचे कई मेढक उसके पाव के नीचे दबकर मर जाते थे | सभी मेढक उसे डरते थे की अगर उससे बात करेगे और समझाए तो वह हमे भी मार देगा इसी चक्कर में कोई उससे बात नहीं करना चाहता था | परन्तु उनमे से एक अनुभवी मेढक ने हिम्मत की और भालू से बात की |

अरे भालू भाई, “तुम हर रोज यहाँ आते तो, नाहते हो, पानी पीते हो, और जोर – जोर से उछल कूद करते हो और उसकी वजह से हमारे कई भाई मारे गए और कई जख्न्मी भी हो गए है | हमारी आप से विनती है की आप कृपा करके ध्यान से चले है |”

यह सुनकर भालू को गुस्सा आ गया और बोला, “यह तुम लोगो को ध्यान देना चाहिए, मुझे नहीं | तुम लोग इतने छोटे हो की दो – चार मर भी गए तो कोई फर्क नहीं पड़ता |” यह बोल कर वहा वहा से चला गया |

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संत का सानिध्य

श्याम एक बहुत बड़े संत का शिष्य था | संत ने उसे अच्छी तरह से सारे ग्रंथो की शिक्षा दी थी संत से शिक्षा लेने के बाद श्याम ने संत से जाने की आज्ञा मांगी |

संत ने उससे पूछा, “श्याम, बेटा अब तुम्हे सारे ग्रंथो की जानकारी है और अब तुम उपदेश देने के लायक भी हो गए हो | परन्तु तुम यह बातो तुम कहा जाना जाहते हो?”

भगवन में वहा जाना चाहता हु जहा अंधकार ज्यादा हो, ताकि में वहा जा कर आप के द्वारा दिए गए उपदेशो को दे सकू और रौशनी फेला सकू |

यह सुनकर संत के उसकी परीक्षा लेनी चाही, उससे कहा, बेटा अगर लोग तुम्हे गालिया देगे, उपशब्द कहेगे तो तुम क्या करोगे ?”

यह सुनकर श्याम बोले, “भगवन, मेरे लिए तो वो लोग बहुत अच्छे है | मुझे सिर्फ गलिय और अपशब्द कहे, परन्तु मारा तो नहीं |”

संत के पूछा, “अच्छा ये बताओ, अगर वो तुम्हे मरेगे तो तुम क्या करोगे |”

श्याम ने कहा, “में सोचुगा की यह लोग कितने अच्छे है जो मेरे को पत्थरों से नहीं मरते |”

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