बात ना मानने की सजा

Fishes Story

बहुत पुरानी बात है एक गाँव के किनारे एक नदी बहती थी | उस नदी में तीन मछलिया रहती थी उन तीनो में भीत अच्छी दोस्ती थी वो जो भी काम करती एक साथ करती थी चाहे वो खाना, हो, खेलना हो | वो एक दुसरे पर जान देती थी | उन तीनो के नाम … Read more

कैसे रवि का सपना टुटा

Dream

आप लोगो ने सुना होगा की लोग सोते हुए सपना देखते है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जो जागते हुए भी देख लेते है | उनमे से एक इन्सान रवि भी था जो जागते हुए सपना देखता था | रवि बुधिहीन था और साथ ही साथ बहुत कामचोर भी था वह हमेशा काम … Read more

ईश्वर का कमाल

बहुत पुरानी बात है वर्षा का मोसम था गाँव से बहुत दूर एक बेलगाडी चल जा रही थी | वर्षा अभी हलकी हो रही थी और उस गाड़ी का मालिक जिसका नाम रवि था | तेज वर्षा होने से पहले अपने घर पहुचना चाहता था क्योकि वह शहर से अनाज के बोरे रख कर लाया था

तभी उसकी बेलगाडी का एक पहिया मिटटी में धँस गया | “हे भगवन अब कोन से नई मुसीबत आ गई | उसने उतर कर देखा तो बेलगाडी का पूरा पहिया गीली मिटटी में धँस चूका था जिसको निकलना उसके अकेले के बस का न था |

लेकिन फिर भी उसने हर नहीं मणि | उसने बेलो को खींचना शुरू किया | बेलो ने भी जैसे अपनी पूरी ताकत ला दी हो लेकिन गाड़ी का पहिया बाहर नहीं आया | यह देख रवि को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने बेलो को पीटना शुरू कर दिया और फिर हार का वह भी गिनी जमीन पर बेठ गया |

असमान की तरफ देख कर बोला, “हे प्रभ अब आप ही कोई चमत्कार कर सकते हो, जिससे मेरी गाड़ी के पहिया बाहर आ जाए| प्रभु चमत्कार कर दो में पक्का से ५ रुपे का प्रसाद चढ़ाऊँगा |

इतना बोला ही था की अचानक उसको एक आवाज सुनाई दी, रवि क्या हुआ, ऐसे क्यों बेठा है इस बारिश में | देखा तो उसके दो दोस्त राम और श्याम वहा से जा रहे थे | रवि ने उन दोनों को सारी बात बताई |

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छोटे है तो क्या हुआ

एक जंगल में एक भालू रहता था उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड था | वह अपने सामने किसी को भी नहीं टिकने देता था वह कभी भी नहीं देखता था चलते समय उसके पेरो के नीचे कितने कीड़े,मकोड़े मर जाते थे और जो भी सामने आता था उसे मार देता था |

वह अक्सर पानी पीने नदी के किनारे आता, नहाता और पानी इधर – उधर फेलता | हर रोज की इस क्रिया में उसके पेरो ने नीचे कई मेढक उसके पाव के नीचे दबकर मर जाते थे | सभी मेढक उसे डरते थे की अगर उससे बात करेगे और समझाए तो वह हमे भी मार देगा इसी चक्कर में कोई उससे बात नहीं करना चाहता था | परन्तु उनमे से एक अनुभवी मेढक ने हिम्मत की और भालू से बात की |

अरे भालू भाई, “तुम हर रोज यहाँ आते तो, नाहते हो, पानी पीते हो, और जोर – जोर से उछल कूद करते हो और उसकी वजह से हमारे कई भाई मारे गए और कई जख्न्मी भी हो गए है | हमारी आप से विनती है की आप कृपा करके ध्यान से चले है |”

यह सुनकर भालू को गुस्सा आ गया और बोला, “यह तुम लोगो को ध्यान देना चाहिए, मुझे नहीं | तुम लोग इतने छोटे हो की दो – चार मर भी गए तो कोई फर्क नहीं पड़ता |” यह बोल कर वहा वहा से चला गया |

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ऊँची गर्दन ऊँट की

राजस्थान में एक गाँव में एक ऊँट रहा करता था उसे पत्ते खाने का बहुत शोक था | उसने सोचा काश मेरे गर्दन इतनी ऊँची हो जाए की में बड़े बड़े पेड़ो के पत्ते भी खा सकू | मुझे ज्यादा घूमना न पड़े |

उस दिन वह सोचते सोचते सो गया और उसने एक सपना देखा की उसकी गर्दन बहुत बड़ी हो गई है | यह देख कर वह बहुत खुश हो गया | वह अपनी लंबी गर्दन को दूर दूर तक फेलाकर बेठे बेठे ही पेड़ो के सारे पत्ते खा जाता था | अब उसे चले – फिरने की जरुरुत नहीं थी बस बेठे बेठे ही काम करता था |

एक दिन की बात है वह एक पेड़ के निचे बेठा पत्ते का रहा था की अचानक आकाश ने काले बादल आ गए और फिर थोड़ी देर में बदलो से ओले गिरने लगे | यह देखा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भागने लगा | उसे बहुत कठिनाई हो रही थी अपनी लम्बी गर्दन के साथ भागने में | उसने दूर एक गुफा देखी और वहा चला गया | उसने देखा गुफा बहुत छोटी सी है | वह पूरा नहीं आ सकेगा तो उसने अपनी गर्दन उस गुफा में डाल दी |

उस गुफा में एक भेड़िया का जोड़ा रहता था उन्होंने सोचा की कोई हमारा दुश्मन आ गया और उन दोनों ने ऊँट की गर्दन को नोच डाला | ऊँट अपनी गर्दन को तेजी से बाहर नहीं निकाल सका और वह मर गया |

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माँ की अंतिम अभिलाषा

बहुत पुरानी बात है जब मोहनगढ़ पर सेठ हरिराम का शासन हुआ करता था | उसी जगह रामू नाम का एक लड़का रहा करता था | वो बहुत ही बुद्धिमान था | बड़ा होकर उसे मोहनगढ़ का दरबारी विदूषक नियुक्त किया गया |

सेठ हरिराम की माता जी जब गंभीर रूप से बीमार पड़ी तो सेठ हरिराम को यह बात समझ आ गई की उनकी माता जी के पास ज्यादा समय नहीं है | इसलिए सेठ अपनी माताजी की हर अभिलाषा को पूरा करने की कोशिश करने लगे | एक दिन उनकी माताजी का मन आम खाने की इच्छा हुई | पुत्र ने माँ की आज्ञा का तुरंत पालन करने का आदेश दिया | मगर वे उन्हें आम खिला पते उससे पहले की उनकी माता जी का देहांत हो गया और उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई | हरिराम हो अपनी माता जी की आखरी इच्छा पूरी न कर सकने का बहुत दुःख हुआ | वही पास खड़े एक ब्राहमण ने कहा सेठ अगर आप सोने के आम दान में देगे तो उनकी माँ की आत्मा को शांति मिल जायगी |

तभी सेठ ने सभी ब्राहमण को सोने के आम देना शुरू कर दिया | रामू यह सब देख रहा था और उसे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था की बार-बार ब्राहमण सेठ के घर के आस – पास चक्कर लगा रहे थे |

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कैसी बचाई सुरेश ने अपनी बहन की जान

मुंबई शहर में जो भी आता है वो बड़े बड़े सपने ले कर आता है | उनमे से एक नाम सुरेश का भी है जो मंबई में रहता था | वो भी बड़े बड़े सपने लेता था परन्तु उन्हें पूरा करने का साहस भी था उसमे | वह पढने में बहुत होशियार था और साथ ही साथ वह बहुत बहादुर भी था |

जुलाई का महिना था पर मुंबई में बहुत ज्यादा बारिश हो रही थी सुरेश अपनी बहन को स्कुल से घर लोट रहा था | पानी इतना भरा हुआ था की सडक पर क्या पड़ा हुआ है और क्या नहीं कुछ पता नहीं चल रहा था | इतने मी अचानक उसकी बहन गिर गई और डूबने लगी | सुरेश ने अपनी बहन को कस कर पकड़ लिया और उसे उपर की और खींचने लगा |

परन्तु बारिश बहुत हो रही थी और दोनों भाई बहनों के कंधे पर पड़े बसते बहुत ज्यादा भारी हो गए थे जिसकी वजह से सुरेश को उपर लाना बहुत मुश्किल हो रहा था | वह नीचे भी गिर पड़ा पर चोट भी लग गई थी | सुरेश पानी में कुछ मजबूत वस्तु ढूड रहा था की अचानक उसे गटर का ढकन मिल गया और उसे बहुत जोर से उसे पकड़ लिया और अपनी बहन को उपर लाने में कामयाब हो गया | परन्तु दोनों को बहुत ज्यादा छोटे लग गई थी | यह देख कर स्थनीय लोगो ने उन्हें अस्पताल ले गए |

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भगवान सब देखता है

बहुत पुरानी बात है | एक बहुत प्रसिद गुरुकुल था | दूर दूर के गाँवो से बच्चे वहा पड़ने आते थे | आश्रम में जो गुरु थे वो भी बहुत विद्वान और यशस्वी थे |

एक दिन की बात है आचर्य ने अपने सभी शिष्यों को बुलाया और कहा, “प्रिये शिष्यों, मेने तुम्हे आज एक विशेष कार्य ले लिए यहाँ पर बुलाया है | शिष्यों मेरे सामने एक बहुत बड़ी समस्या आ पड़ी है | मेरी पुत्री विवहा योग्य हो गई है और मेरे पास उसके विवहा करने के लिए घन नहीं है | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है की में क्या करू?”

उन सभी शिष्यों में से कुछ शिष्य धनि परिवार में से थे और वो आगे बढ़ के बोले, “गुरुदेव अगर आप की आज्ञा हो तो हम अपने घर में से ले आते है धन और फिर आप अपनी पुत्री का विवहा कर देना |

आचर्य बोले,” अरे नहीं अरे नही वत्स, ऐसा नहीं हो सकता है |”

शिष्य बोले, “गुरुदेव ऐसा क्यों नहीं हो सकता, आप उसे हमारी तरफ से गुरु दक्षिणा समझ लेना”

इस पर गुरुदेव बोल, “नहीं वस्त, तुम्हारे घर वाले सोचेगे की तुम्हारे गुरु लालची हो गए है | वो धन ले कर विध्या देते है |”

सभी शिष्यों ने पूछा,” फिर क्या किया जाए गुरुदेव, जिस से आप की पुत्री का विवहा हो सके” | गुरुदेव कुछ देर सोचने के बाद बोले, “हा एक तरीका है | ऐसा करो तुम धन ले कर तो आओ परन्तु मांग कर नहीं | इस तरह से लाओ की किसी को पता न चल सके |”

उनमे से कुछ शिष्य बोले, “गुरुदेव परन्तु हमारे माता-पिता के पास तो नहीं है |”

“कुछ भी ले कर आओ अपने घरो में से परन्तु ध्यान रहे की किसी को पता न चले वरना मेरे श्रम से मर जाऊगा |”

यह सुन कर सही शिष्य अपने अपने घर की तरफ चल पड़े | अगले दिन से ही सभी शिष्य अपने अपने घरो में से कुछ न कुछ लाना सुरु कर दिया | और कुछ ही दिनों में आश्रम में बहुत सारी सामग्री इकठी हो गई |

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कैसे बचाई रामू खरगोश ने अपनी जान

एक बहुत सुन्दर जंगल था वहा पर झरना, नदी और ऊँचे ऊँचे पहाड़ भी थे वहा हर तरह के पशु पक्षी रहते थे जैसे हाथी, चिता, भेड़िया, हिरन भालू, खरगोश, जैसे सभी प्रकार के पशु-पक्षी रहते थे | उस जंगल में कोई शेर नहीं था और इसलिए सभी जानवर एक दुसरे से प्यार करते थे और शांतिपूर्वक रहते थे |

अचानक एक दिन उस जंगल में एक शेर आ गया | वो बहुत भयानक था | उसे धीरे धीरे सभी जानवरों को मारना शुरू कर दिया | उसने उसी जंगल में अपना घर बना लिया एक पहाड़ी की गुफा में | सभी जानवर उससे बहुत परेशान हो गए थे | एक दिन सभी जानवर मिलकर उस शेर के पास जाने का निश्चय किया | और अगले दिन सभी जानवर मिलकर शेर की गुफा के पास जा कर बोले, “शेर जी – शेर जी आप हम कमजोर जानवरों की जान क्यों लेते है | आप भी हमारी तरह घास चरिये, फल खाइए, हमारे साथ खेलिए |

शेर ने दहाड़ते हुए बोले. “मुर्ख जानवरों, हम खास नहीं खाते, फल नहीं चबाते, हम सिर्फ शिकार करते तुम जैसे जानवरों का |

एक हिरन हिम्मत करके बोला, “शेरजी, आप के डर से हम सो नहीं पाते, खा नहीं पाते, खेल नहीं पाते, और यहाँ तक की सोते हुए भुई हमे आप के ही सपने आते है |

या सुनकर शेर सोचने लगा और बोला, “ठीक है तुम लोग एक काम करो | मुझे रोज २ खरगोश, और २ हिरन मेरे पास भेज दो | मुझे मेरा भोजन घर मिल जायगा तो में तुम्हे तंग नहीं करुगा और फिर तुम्हारा डर भी मिट जायगा |”

बेचारे जानवर करते भी तो क्या करते | वह सभी जानवर मान गए शेर की बात | और उस दिन से रोजाना अपने आप शेर का खाना बनने जानवर आ जाते | कुश दिनों तक ऐसा ही चलता रहा है |

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प्रेम दो भाइयो का

हिमाचल में बहुत छोटा सा गाँव है, वहा पर दो भाई रहते थे | वे दोनों भाई एक दुसरे पर जान छिडकते थे | जो बड़ा भाई था वह शादीशुदा और बच्चे भी थे | छोटा भाई अभी क्वारा ही था उनके पिता ने अपनी मोत से पहले दोनों भाई को बराबर बराबर जमीन तथा पैसे बाँट दिए थे ताकि मरने के बाद दोनों भाइयो में लड़ाई न हो |

पिता के जाने के बाद भी दोनों भाइयो में बहुत प्रेम था और वो साथ साथ ही रहते थे और एक दुसरे के खेतो में काम भी करते थे बिना किसी लोभ के | उस साल दोनों भाइयो के खेतो में बहुत अच्छी फसल हुई और दोनों ने फसल काट कर अपने गोदान में भर लिए | और दोनों भी रोज रात को उसके बाहर सोते थे उसकी रखवाली करने के लिए |

एक दिन, छोटे भाई को सपना आया की वह कितना स्वार्थी है वह अकेला है और उसका भाई शादीशुदा और दो बच्चे भी, फिर भी हम दोनों का हिस्सा बराबर है जो की गलत है | यही सोच कर वह उठा और अपने अपने हिस्से की कुछ बोरिया अपने भाई के हिस्से में रख दिए |

और उसी रात उसके बड़े भाई को भी सपना आया, वह सोचने लगा की उसका भाई उसकी कितनी मदद करता है अपना खेत भी सभालता है और मेरा भी, और यही सोच कर उसने भी अपने हिस्से की कुछ बोरिया अपने भाई के हिस्से में रख दी | दोनों भाई सुबह उठे और अपने अपने हिस्से की बोरिया गिनने लगे और दोनों हेरान हो गए की दोनों की बोरिया बराबर कैसे हो सकती है | दोनों सोचने लगे की बोरिया तो मैंने दी थी फिर बराबर कैसे हो सकती है |

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