ईश्वर का कमाल

बहुत पुरानी बात है वर्षा का मोसम था गाँव से बहुत दूर एक बेलगाडी चल जा रही थी | वर्षा अभी हलकी हो रही थी और उस गाड़ी का मालिक जिसका नाम रवि था | तेज वर्षा होने से पहले अपने घर पहुचना चाहता था क्योकि वह शहर से अनाज के बोरे रख कर लाया था

तभी उसकी बेलगाडी का एक पहिया मिटटी में धँस गया | “हे भगवन अब कोन से नई मुसीबत आ गई | उसने उतर कर देखा तो बेलगाडी का पूरा पहिया गीली मिटटी में धँस चूका था जिसको निकलना उसके अकेले के बस का न था |

लेकिन फिर भी उसने हर नहीं मणि | उसने बेलो को खींचना शुरू किया | बेलो ने भी जैसे अपनी पूरी ताकत ला दी हो लेकिन गाड़ी का पहिया बाहर नहीं आया | यह देख रवि को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने बेलो को पीटना शुरू कर दिया और फिर हार का वह भी गिनी जमीन पर बेठ गया |

असमान की तरफ देख कर बोला, “हे प्रभ अब आप ही कोई चमत्कार कर सकते हो, जिससे मेरी गाड़ी के पहिया बाहर आ जाए| प्रभु चमत्कार कर दो में पक्का से ५ रुपे का प्रसाद चढ़ाऊँगा |

इतना बोला ही था की अचानक उसको एक आवाज सुनाई दी, रवि क्या हुआ, ऐसे क्यों बेठा है इस बारिश में | देखा तो उसके दो दोस्त राम और श्याम वहा से जा रहे थे | रवि ने उन दोनों को सारी बात बताई |

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कहानी एक अजनबी की

एक शहर एक बीचो बीचो एक बहुत बड़ा मैदान था मैदान में हर छोटे से लेकर बड़े बच्चो तक सभी कोई कोई खेल खेला करते थे | उन्ही बच्चो में से एक बच्चा था रवि | रवि के बहुत सारे दोस्त थे जिनके साथ वो खेला करता था |

एक दिन की बात है रवि अपने दोस्तों के साथ मैदान में खेल रहा था तबी वहा एक अजनबी व्यक्ति वहा से गुजरा | उस व्यक्ति को पहले किसी ने नहीं देखा था | उस व्यक्ति को वहा देख कर उन लडको ने मजाक मजाक में चिल्ला कर बोले, “अरे भाई इधर तो आओ, हमारे साथ थोड़ी देर खेलो” लेकिन उस व्यक्ति ने उन बच्चो की बात को अनसुना कर दिया और आगे चलने लगा | लडके फिर बोले, क्यों भाई, गुगे – बहरे हो क्या? और जोर – जोर से हसने लगे|”

बस उस दिन के बाद से जब भी वह व्यक्ति वहा से गुजरता, सभी लडके उसका मजाक उड़ाते और जोर – जोर से कहते, देखो “गुगा – बहरा जा रहा है और फिर जोर – जोर से हस्ते उसे देखकर | यह सब हरकते रवि चुप चाप खडा देखता रहता था क्योकि उसके माता-पिता ने उसे बडो का आदर करना सिखाया था | या सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा | अजनबी कभी भी कुछ नहीं बोलता था चुप चाप वहा से जला जाता था |

एक दिन रवि मैदान में जल्दी पहुच गया और तभी वह आदमी वहा से गुजरा | और पता नहीं क्या हुआ उस दिन रवि भी बोल पड़ा और “ओ गुगे – बहरे कहा जा रहा है |” परन्तु उस दिन वह अजनबी भी चुप नहीं रहा | वह रवि के पास गया और बोला, “बेटा, में अपनी बेटी को लेने विधालय जा रहा हु | तुम तो अच्छेबच्चे लगते और कभी भी मेरा मजाक नहीं उड़ाते हो फिर आज क्या हुआ तुम्हे | बेटा बडो से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए तुन्हें | यह अच्छी बात नहीं है |

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छोटे है तो क्या हुआ

एक जंगल में एक भालू रहता था उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड था | वह अपने सामने किसी को भी नहीं टिकने देता था वह कभी भी नहीं देखता था चलते समय उसके पेरो के नीचे कितने कीड़े,मकोड़े मर जाते थे और जो भी सामने आता था उसे मार देता था |

वह अक्सर पानी पीने नदी के किनारे आता, नहाता और पानी इधर – उधर फेलता | हर रोज की इस क्रिया में उसके पेरो ने नीचे कई मेढक उसके पाव के नीचे दबकर मर जाते थे | सभी मेढक उसे डरते थे की अगर उससे बात करेगे और समझाए तो वह हमे भी मार देगा इसी चक्कर में कोई उससे बात नहीं करना चाहता था | परन्तु उनमे से एक अनुभवी मेढक ने हिम्मत की और भालू से बात की |

अरे भालू भाई, “तुम हर रोज यहाँ आते तो, नाहते हो, पानी पीते हो, और जोर – जोर से उछल कूद करते हो और उसकी वजह से हमारे कई भाई मारे गए और कई जख्न्मी भी हो गए है | हमारी आप से विनती है की आप कृपा करके ध्यान से चले है |”

यह सुनकर भालू को गुस्सा आ गया और बोला, “यह तुम लोगो को ध्यान देना चाहिए, मुझे नहीं | तुम लोग इतने छोटे हो की दो – चार मर भी गए तो कोई फर्क नहीं पड़ता |” यह बोल कर वहा वहा से चला गया |

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भूखा भेड़िया

एक बार की बात है एक जंगल में एक भेड़िया रहता था वो एक दिन जंगल में घूम रहा था शिकार की तलाश में, परन्तु उसे कुछ नहीं मिला | वह बहुत थक गया था और उसे भूक भी बहुत जोर से लग रही थी |

थोड़ी दूर चलने पर उसे एक गुफा मिली | उसने सोचा, इस गुफा में कोई न कोई तो जानवर जरुर होगा | में उसे पकड़ कर खा जाउगा | वह धीरे धीरे उस गुफा की और बड़ा | परन्तु उसे वहा भी कुछ न मिला | उसने सोचा शायद इस गुफा का जानवर बाहर गया होगा, में थोडा इंतजार कर लेता इसी गुफा में सिप कर |

थोड़ी देर के बाद वहा एक खरगोश आया | वह गुफा उसकी थी | खरगोश ने अपनी गुफा के बाहर भेड़िया के पेरो के निशान देखे | उसने सोचा शायद कोई बड़ा जानवर मेरी गुफा में है |

उसने सोचा अगर में अंदर गया तो वो मुझे मार देगा और खा जाएगा | में थोड़ी देर बाहर इंतजार करता हु और उसके बाहर जाने का इंतजार करता हु | थोड़ी देर होने पर भी वह बाहर नहीं आया | उसने फिर एक उपाय सोचा | वह गुफा के बाहर गया और जोर से बोलने लगा, “गुफा और गुफा, बता आज कोन – कोन से जानवर मेरी गुफा की तरफ आये थे | भेड़िया कुछ नहीं बोला | खरगोश ने फिर पूछा,” गुफा और गुफा, बता आज कोन कोन मेरी गुफा की तरफ आये थे | तू आज बोल क्यों नहीं रहा | हर रोज तो तू बोलता था |”

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समझदार की कभी हार नहीं

एक कबूतर था | वह अपनी मादा के साथ एक पेड़ पर घोंसला बना कर रहता था | उसी पेड़ के नीचे एक जहरीला सांप रहता था | कबूतरी जब – जब अंडे देती, तब – तब सांप उसे खा जाता था | इससे दोनों बहुत दुखी रहते थे |

वो हमेशा डरते रहते थे उस सांप से | फिर एक बार कबूतरी का अंडे देने का समय आया | उसने कबूतर से कहा, सुनो, क्या हम किसी दुसरे पेड़ पर अपना घोंसला बनाये क्योकि यहाँ जब भी हम अंडे देते है तब वो हमारे सारे अंडे खा जाता है |”

यह सुनकर कबूतर बोला, “नहीं हम अपना घर छोड़ कर क्यों भागे, अगर वहा भी कोई सांप हुआ तो क्या करेगे हम | परेशानियों को हल करना चाहिए न की उसे भागना चाहिए | हम कोई उपाय सोचते है |”

वाही पेड़ के पास के तलाब था | एक दिन उस तलाब से एक राजकुमार स्नान करने आया | उसके साथ उसके अंग रक्षक भी थे | राजकुमार ने अपने कपड़े और मोतियों की माला उतार कर सरोवर के पास रख दिए और वो तलाब में नहाने चला गया |

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सोनू की उदारता

एक स्कूल में दो दोस्त एक साथ पढ़ते थे एक नाम रवि और दुसरे का नाम सानु था | दोनों ही दोस्त बहुत परिक्ष्मी थे | वो हर काम में एक दुसरे की मदद करते थे |

कभी रवि प्रथम आता तो सोनू दुसरे स्थान पर | तो कभी सोनू प्रथम तो रवि दुसरे स्थान पर | एक बार की बात है की रवि के ऊपर एक मुसीबत आ गई और वो भी बहुत बड़ी | रवि के पिता का देहांत हो गया | रवि उदास रहने लगा | उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता था उसका स्कूल जाना भी बंद हो गया | यह सब देखकर सोनू भी दुखी हो गया | सोनू प्रतिदिन रवि के घर जाता और उसकी हिम्मत बंधता |

कुछ दिनों के बाद ही विधालय में परीक्षा शुरू हो गई | सोनू के समझाने पर रवि परीक्षा देने को तयार हो गया | इस बार सभी कहे रहे थे की रवि इस बार प्रथम नहीं आ पाएगा परन्तु सोनू को पूरा यकीन था की इस बार भी वह प्रथम आएगा |

जब परीक्षा का परिणाम आया तो रवि प्रथम आया और सोनू दुसरे स्थान पर | यह देख कर सभी लोग हेरान थे की ऐसा कैसे हुआ | स्कूल के मुख्य अध्यापक जी भी हेरान थे की दुखी होने पर भी रवि प्रथम कैसे आया | उन्होंने सोनू को बुलाया पर पूछा, “बेटा इस बार तुम रवि से पीछे कैसे आये ?”

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सोनू हलवाई को मिली सजा

बाजार में एक सोनू हलवाई की दुकान थी उसकी मिठाई पुरे शहर में महशूर थी | सारे के सारे लोग उसी से मिठाई लेते थे |

एक दिन के बात है इसकी मिठाई की दुकान के सामने से एक हाथी गुजरा | यह देखा सोनू हलवाई ने उसे दो केले दिए | हाथी ने दोनों केलो को खा लिया और वहा चल दिया, कुछ देर बाद हाथी को पियास लगी और वो पास के ही एक तलाब की और चल पड़ा |

वह पहुच कर उसने खूब पानी पिया और खूब सारा नहाया | आते समय हाथी ने एक फूल तोडा और उस हलवाई को दिया जिसने उसे गो केले दिए थे | फूल पा कर सोनू हलवाई वहुत खुश हुआ |

अब यह सिलसिला हर रोज चलता, सोनू हलवाई उसे कुछ न कुछ खाने को देता और हाथी उसे हर रोज एक फूल देता | एक दिन के बात है सोनू हलवाई को एक शरारत सूझी | उस दिन जब हाथी ने अपनी सुड खिड़की के अंदर डाली तो सोनू हलवाई ने उसकी सुड ने लाल मिर्च डाल दी | हाथी बहुत जोर से चिलाया और तलाब के तरफ दोडा |

तलाब पहुच कर वह खूब नहाया और अपनी सुड में गंदा पानी भर लिया और सोनू हलवाई की दुकान की तरफ चल पड़ा | वहा पहुच कर उसने सारा गन्दा पानी उसकी मिठाइयो पर फ़ेंक दिया और उसकी सारी मिठाई खराब कर दी |

यह देखर सोनू हलवाई बोला, अरे हाथी, यह तूने क्या कर दिया ?”

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कोआ बना नकली मोर

एक गाँव में एक पेड़ पर एक कोआ और कुछ मोर रहते थे | एक दिन की बात है मोसम बहुत अच्छा था और मोर नीचे नाच रहा थे मोर को नाचता देखकर लोग वाह! वाह! कर रहे थे |

यह सब कोआ भी देख रहा था और देखकर सोचने लगा, “सभी मोर की तारीफ कर रहे है क्यों न में भी मोर बन जाऊ और फिर सभी लोग मेरी भी तारीफ करगे |”

उसे एक तरकीब सूझी, उसने बगीचे में से मोर के सारे पंख इकट्ठे किये और अपने पंखो से चिपका लिए | अब वह भी ख़ुशी – ख़ुशी उनके पास गया और बोला, “देखो, में भी मोर बन गया हु | अब मुझे भी अपने साथ मिला लो |”

यह देखकर सारे मोर हंस पड़े और के बोले, “अरे कोए! हमारे पंख चुराकर अपने पीछे लगा लिए और अपने आप को मोर कहता है |” भाग जा यहाँ से वर्ना मार – मार कर तुझे यहाँ से भगा देगे | “

यह सुनकर बेचारा वहा से चुप – चाप चला गया और अपने दोस्तों के पास पहुचा और बोला, “दोस्तों मोर मुझे मार रहे है मेरी मदद करो |”

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ऊँची गर्दन ऊँट की

राजस्थान में एक गाँव में एक ऊँट रहा करता था उसे पत्ते खाने का बहुत शोक था | उसने सोचा काश मेरे गर्दन इतनी ऊँची हो जाए की में बड़े बड़े पेड़ो के पत्ते भी खा सकू | मुझे ज्यादा घूमना न पड़े |

उस दिन वह सोचते सोचते सो गया और उसने एक सपना देखा की उसकी गर्दन बहुत बड़ी हो गई है | यह देख कर वह बहुत खुश हो गया | वह अपनी लंबी गर्दन को दूर दूर तक फेलाकर बेठे बेठे ही पेड़ो के सारे पत्ते खा जाता था | अब उसे चले – फिरने की जरुरुत नहीं थी बस बेठे बेठे ही काम करता था |

एक दिन की बात है वह एक पेड़ के निचे बेठा पत्ते का रहा था की अचानक आकाश ने काले बादल आ गए और फिर थोड़ी देर में बदलो से ओले गिरने लगे | यह देखा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भागने लगा | उसे बहुत कठिनाई हो रही थी अपनी लम्बी गर्दन के साथ भागने में | उसने दूर एक गुफा देखी और वहा चला गया | उसने देखा गुफा बहुत छोटी सी है | वह पूरा नहीं आ सकेगा तो उसने अपनी गर्दन उस गुफा में डाल दी |

उस गुफा में एक भेड़िया का जोड़ा रहता था उन्होंने सोचा की कोई हमारा दुश्मन आ गया और उन दोनों ने ऊँट की गर्दन को नोच डाला | ऊँट अपनी गर्दन को तेजी से बाहर नहीं निकाल सका और वह मर गया |

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मेमना और भेड़िया

एक बकरी थी उसके दो बच्चे थे बड़े का नाम सोनू और छोटे का मोनू था | सोनू भोला-भाला और चंचल था परन्तु छोटे वाला समझदार था |

एक दिन की बात है बकरी अपने बच्चो को दूध पिला रही थी उसने अपने बच्चो को कहा, “बच्चो, अब में चरने जा रही हु | तुम दोनों घर पर ही रहना | बाहर नहीं जाना क्योकि बाहर एक भेड़िया घूम रहा है और वो छोटे छोटे बच्चो को खा जाता है |

मोनू ने कहा, “माँ, में तो नहीं निक्लुगा परन्तु बड़े भैया को कहा दो, ये न जाए |”

सोनू ने कहा, “माँ, में भी नहीं निक्लुगा घर से बाहर |”

यह सुनकर बकरी चरने के लिए चल पड़ी दोनों बच्चो को घर छोड़ कर | वहा पास ही में एक कुता रहा करता था जिसका नाम हिरा था |

बकरी ने हीरे से कहा, भाई में अपने साथियों के साथ चरने जा रही हु तो क्या आप मेरे बच्चो का ध्यान रख लो गे क्या?

हिरा ने कहा, “बिलकुल बकरी बहन, तुम आराम से जाओ |”

कुछ समय बाद सोनू ने मोने से कहा, छोटे, में जरा देख कर आता हु की माँ किघर गई है तू घर पर ही रुक | में अभी आता हु |

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