अत्यधिक ज्ञान

एक शहर में एक लड़का रहता था जिसका नाम रवि था | उसे नई – नई बाते सीखना बहुत अच्छा लगता था उसे जो कोई दीखता उससे प्रश्न पूछता और ज्ञान लेने की कोशिश करता | और कोई संत मिल जाते तो उनके साथ तो घंटो बाते करता रहता | उस इलाके में ऐसा कोई नहीं था जिसके पास जा कर रवि ने कुछ सीखा न हो | ऐसा लगता था जैसे उसका खाना हजम नहीं होता था जब तक वह कुछ नया सीख न ले | अब उस इलाके में ऐसा कोई नहीं बचा था जिसके पास जा कर वो सीख सके | अब वह बहुत परेशान रहने लगा | एक दिन उसने निश्चय किया की वो दुसरे शहर जाएगा और सीखेगा |

उसके शहर के पास दिल्ली शहर था उसने वहा जाने का फेसला किया | उसने सुनना था की वहा के शिशको के पास बहुत ज्ञान है | रवि अपने घर से निकल पड़ा और अगले दिन दिल्ली पहुच गया | वहा जा कर उसने एक विधालय में अपना नाम लिखवाया | और फिर अपनी कक्षा में चला गया | वहा जा कर उसने शिक्षक को प्रणाम किया और शिक्षक ने उसे अपने पास बताया और उसने पूछने लगे की तुमने ने क्या क्या सीखा है?

Read more

मूर्ख को उपदेश

एक जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था उसी पेड़ बहुत सारी चिड़िया घोंसला बना कर रहती थी | एक दिन की बात है जंगल में बहुत तेज बारिश हो रही थी सभी चिड़िया अपने अपने घोंसले में आ गई थी | थोड़ी देर में वहा एक बंदर भी आ गया | वह पूरा का … Read more

कैसे टुटा महात्मा जी का घमंड

बहुत पुरानी बात है | हिमालय की गुफाओ में के बहुत बड़े महात्मा रहते थे | वे हमेशा प्रभु में ही लीन रहते थे | तपस्या करते करते उनके बाल बहुत घने हो गए और इतने घने की उनके घनी जटाओ में एक तोते ने घोंसला बना लिया | फिर उसने उसमे ही अंडे दे दिए और कुछ दिनों बाद उसमे से बच्चे निकले, जो महात्मा के इर्द-गिर्द फुदकने लगे |

कुछ समय और बीता, और महात्मा की तपस्या खत्म हुई | उन्होंने अपनी आँखे खोली तो उन्हें पता चला की उनके सिर के उपर एक तोते ने अपना घोसला बना रखा है | उनको इस बात की बहुत ज्यादा ख़ुशी हुई और अपने आप को महान तपस्वी समझने लगे क्योकि तोते और उसके बच्चो की रक्षा उनके बालो में हुई थी |

एक दिन महात्मा हिमालय की पहाडियों में भ्रमण कर रहे थे की अचानक उनके उपर फूलो की वर्षा होने लगी | उसे आश्चर्य हुआ की उनके उपर फूलो की वर्षा कोन कर रहा है | तभी आवाज आई “महात्मा जी आपकी कठोर तपस्या से देवलोक के सभी देवी देवता बहुत खुश है | लेकिन आप को एक अहंकार भी हो गया है |

महात्मा ने पूछा, “वो क्या?” |

आप को अहंकार हो गया है है की आप के समान कोई और तपस्वी नहीं है और ऐसा सोचना बिलकुल गलत है | आप से भी बड़े – बड़े तपस्वी है | अगर यकीन नहीं आता तो हरिद्वार जा कर आप भोलू से मिल सकते हो | जो आप से भी बड़ा तपस्वी है |

यह सुनते ही महात्मा जी का गुस्सा सातवे आसमान पर जा पहुचा और जोर से चिलाते हुए बोले, “यह हो ही नहीं सकता, मुझ से बड़ा तपस्वी इस धरती पर पैदा नहीं हुआ है | लेकिन फिर भी में जा कर देखू गा |”

Read more

मोजी सोनू का हुआ बुरा हाल

एक जंगले में एक गिलहरी रहती थी | उसका नाम सुनहरी था | उसी पेड़ के नीचे एक खरगोश भी रहता था जिसका नाम सोनू था खरगोश बहुत ज्यादा आलसी था | सुनहरी हमेशा उसे समझाया करती थी आलसी बनना अच्छी बात नहीं है | कुछ खेला करो, कुछ काम किया करो |

सुनहरी की बातो को सोनू हंसी में टाल दिया करता था | उस जंगल में रहने वाले सभी जानवर बहुत काम किया करते थे | हाथी, भालू, बाकि छोटे बड़े भी | हाथी दादा का अपना खेत था जिसमे वह हल चलाया करता था, पानी देता और मजे से अपने खेतो के गन्ने खाया करता था |

जब भी सोनू को भूख लकती वह, हाथी दादा के खेतो में चला जाता और वहा जा कर हाथी दादा की बहुत प्रंशसा करता | यह सब सुनकर हाथी दादा खुश हो जाता और उसे गन्ने खाने देता | सोनू का सिर्फ यही काम था | कभी किसी के घर तो कभी किसी के घर जा कर उसकी प्रंशसा करता और मुफ्त का खाना खता |

बहुत समय तक ऐसा ही चलता रहा | गर्मिया खत्म होने लगी थी और बरसतो दे दिन आने वाले थे | सभी जानवर अपने अपने घरो में खाने पीने का सामान इकठा कर रहे थे | पर सोनू यही सोचता था की मुझे क्या जरूरत है | में तो किसी न किसी ने घर चला जाऊगा और खाना खा लुगा |

Read more

अमृत का छीटा

बहुत पुरानी बात है गंगा तट के किनारे ऋषि और उनकी पत्नी रहा करते थे | एक बार वे यज्ञ कर रहे थे और उनकी पत्नी देवताओ के लिए खीर बना रही थी की अचानक चुल्ले के धुएं से एक भयंकर प्रुरुष प्रकट हुआ और देखते ही देखते वह सारा खाना खा गया | यह सब देखर ऋषि को बहुत गुस्सा आया और बोले, “दुष्ट! तू कोन है जो मेरा यज्ञ नष्ट कर रहा है? शीर्घ अपना परिचय दे, वरना में तुझे अभी भस्म कर दुगा “

यह सुनकर वह डर गया और विन्रम स्वर में बोला, “हे ऋषि मेरा नाम य्ग्यधन है और में संध्या और प्राचीनबहिर्ष का पुत्र हु | पितामह ने मुझे यज्ञो का भक्षण करने का वरदान दिया है | और इसलिए में आपका यज्ञ नष्ट करने आया हु|

यह सुनकर ऋषि बोले, “य्ग्यधन | यज्ञ की रक्षा करना सभी का लोगो का धर्म है इसलिए तुम भी मेरे यज्ञ की रक्षा करो | में जनता हु की तुम यज्ञ का नाश करने वाले हो और यही तुम्हारा स्वभाव है, लेकिन फिर भी में तुम से अनुरोध करता हु की तुम मेरे यज्ञ की रक्षा करो |”

य्ग्यधन बोला, “महर्षि, प्राचीनकाल में ब्रह्मा जी ने मुझे शाप दिया था किन्तु बाद में मेरी आराधना से प्रसन्न होकर उन्होंने कहा था की जब कोई महर्षि मेरे उपर अम्रत का छीटा देगा, तब तुम शाप से मुक्त हो जाओगे | इसलिए हे महर्षि आप मेरा उदाहर करे |”

यह सुनकर ऋषि बोले, “य्ग्यधन! यह भला कैसे संभव हो सकता? देवताओ और देत्यो ने क्षीरसागर का मंथन कर बड़ी कठिनाई से अम्रत प्राप्त किया था | वह मुझे कैसे प्राप्त हो सकता है ? यह एक असम्भव कार्य है, इसलिए तुम कोई और वस्तु मांग लो”

Read more

जिसकी लाठी उसकी भेंस

एक भला आदमी एक बार पशु मेला देखने गया | उसे वहा एक भेंस पसंद आ गई और वो उसे खरीद कर अपने घर जा रहा था की उसे रास्ते में उसे एक बदमाश मिला | उसके हाथो में एक खूब मोठी लाठी थी | बदमाश भेंस वाले के रास्ते में लाठी पटकता हुआ खड़ा हो गया और जोर से बोला, “अरे और भेंस वाले, चुपचाप ये भेंस मुझे दे दे और तू यहाँ से नो दो ग्यारह हो जा वरना तेरी खेर नहीं |

भेंस वाला बुद्धिमान था | उसने सोचा अगर में लाठी वाले से लडू गा तो यह मेरा सिर फोड़ देगा | इसलिए उसने चुपचाप भेंस की रस्सी उसके हाथो में थमा दी और उदास होकर बोला, “भाई यह भेंस अब तुम्हारी हो गई | इसे तुम ले जा सकते हो | पर में खाली हाथ घर जाऊ गा तो अच्छा नहीं लगे गा | इसलिए तुम एक काम करो, तुम मेरी भेंस ले लो और में तुम्हारी लाठी ले लेता हु |

बदमाश सोचने लगा की अगर मेरे पास भेंस आ जाती है तो लाठी का क्या काम | और उसने अपनी लाठी भले आदमी को दे दी | लाठी आते ही भला आदमी तन कर खड़ा हो गया और बोला, “भेंस की रस्सी इधर ला वरना तेरा सिर फोड़ दुगा | लुटेरा क्या करता, वो डर गया था | जिस लाठी के दम पर उसने भेंस छिनी थी अब वह उसके पास से जा चुकी थी |

Read more

सदा अपनी अक्ल से काम लो

बहुत पुरानी बात है एक जंगल में एक नन्हा सा बछड़ा रहता था बिलकुल दुनियादारी से बेखबर था | उस बछड़े के माँ बाप उसे हर दिन एक नई बात बाते दुनिया के बारे में जो उसे भविष में काम आ सके |

एक दिन उसकी माँ के कहा, “बेटा, जाओ आज जंगल का थोड़ी दूर तक का चकर लगा कर आओ| परन्तु ज्यादा अंदर मत जाना, क्योकि जंगल में बहुत खतरनाक जानवर भी रहते है जी तुम्हे मारकर खा सकते है | इसलिए मत जाना |

बछड़े ने हामी भरी और जंगल की और चल पड़ा | थोड़ी दूर तक जाने के बाद उसे एक छोटी सी नहर दिखी | वह उस नहर को पार करने ही वाला था की अचानक वहा पर एक बेल आ गया | बेल बछड़े से बोला हा, हा तुम पार कर सकते हो, गहरी बिलकुल नहीं है | तुम इसको बहुत आसानी से पार कर सकते हो | प्परन्तु बछड़ा बहुत जादा सोच रहा था की जाऊ के न जाऊ | बहुत देर सोचने के बाद उसने नहर को पार करने का इरादा कर लिया | वह उसे पार करने जा ही रहा था की अचानक एक अवाज आई, “रुक जा मुर्ख” | उड़ ने पीछे मुड कर देखा तो उसे वहा एक बंदर दिखा | बंदर बोल, “भाई तुम्हे दिखाई नहीं देता की पानी कितना गहरा है, तुम डूब जाओगे | आज सुबह ही मेरा एक दोस्त इस नहर को पार कर रहा था की अचानक पानी के बहाव में भह गया और डूब कर मर गया |” और यह कहते ही बंदर चला गया |

Read more

मजाक उड़ाना पड़ा मंहगा

बहुत पुरानी बात है एक बार एक कछुआ तलाब में पानी पी कर जा रहा था की वहा बेठा एक खरगोश उसकी मंद गति को देख कर हसने लगा | यह देख कर कछुए को बहुत बुरा लगा और उसने खरगोश को दोड के लिए चुनोती दे डाली |

खरगोश ने ख़ुशी ख़ुशी दोड की चुनोती स्वीकार की | अगले ही दिन यह दोड होनी थी | सुबह – सुबह दोनों अपने – अपने समय पर आ गए और दोड सुरु हो गई | खरगोश आरंभ से ही बहुत आगे निकल गया था | थोरी दूर आगे जा कर वो उब गया था दोड़ते दोड़ते | उसने सोचा क्यों न थोड़ी देर आराम कर लिया, वैसे भी कछुआ बहुत पीछे रह गया है | वह सोचने लगा में तो बहुत तेज दोड़ता हु | यह सोचते हुआ सो गया क्योकि उसे कछुए की कोई चिंता न थी |

कछुआ अपनी मंद गति से चलता रहा बिना रुके,लगातार चलता रहा तथा सोए हुए खरगोश को पीछे छोड़कर चुपके से आगे निकल गया और लक्ष्य पर जा पहुचा |

Read more

पेड़ो को भी दर्द होता है

एक गाँव में एक सोनू नाम का एक लड़का रहता था | यह पढाई में बहुत अच्छा था परन्तु साथ ही साथ बड़ा ही लापरवाह और शरारती था | इसी कारण से अध्यापक और माता – पिता से डाट पडती रहती थी | इसके चलते वह सभी से नराज भी रहता था | पर उसे अपना गुस्सा बाहर निकालना भी अच्छी तरह आता था | वह अपने दोस्त मोनज के साथ खेतो में चले जाता और वहा पर वो अपने दोस्त के साथ गेम्स खेलता | कभी अध्यापक – अध्यापक, कभी गीली – डंडा, कभी पेड़ पोधो को मरता काटता | सभी तरीका था उसका अपने गुस्से को बाहर निकालने का | वे दोनों अँधा दुन्ध पेड़ पोधो को कटते की वो बे जुबान मर जाते थे, उनके फल फूल भी सभी नष्ट हो जाते थे |

उन दोनों के सभी मित्रो ने उनको समझया की ऐसा न किया करे परन्तु वो दोनों कहा किसी की सुनते | वे उनसे बार बार क्दते की पोधो को मारना या तोडना अपराध है | उन दोनों की शरारते बहुत ज्यादा बड चुकी थी | एक दिन सोनू ने अपने सहपाठी को सीढियों से धक्का दे दिया जिससे उसकी दोनों टांगे टूट गई और उसको उसी समय अस्पताल ले जाना पड़ा | उस दिन उसके अध्यापक पर उसके माता-पिता ने उसे खूब पिटा डंडो से | इस पिटाई के कारण उसके हाथो पर बहुत ज्यादा निशान पड़ गए और बहुत देर तक उनमे दर्द भी बोता रहा | सोनू कही घंटो तक रोता रहा और दर्द होते रहा |

Read more

क्या है योगी का कर्तव्य

यह कहानी तब की है जब पुणे में महामारी ने अपना भीषण प्रोकोप फेला रखा था दिन प्रतिदिन बहुत से लोग मारे जा रहे थे इस बीमारी से | सभी लोग इतने डर चुके थे की कोई भी किसी की मदद नहीं कर रहे थे | यहाँ तक की अगर किसी परिवार के सदस्य को भी बीमारी हो जाती तो भी उसे मरने के लिए छोड़ देते थे |

उन्ही दिनों वहा से थोरी ही दूर पर एक ऋषि रहा करते थे जो सभी की मदद किया करते थे | और उस वक्त वो ऋषि लोगो के लिए रौशनी की एक किरण बनकर आए | वो सभी को समझाते थे की किसी को भी बिच मझधार में न छोड़े, सभी की मदद करे | यह सिद करने के लिए उनकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं था | तथा वो जो कहते वो करते भी थे व् अपना आश्रम छोड़ कर पुणे में आ कर रहने लगे और रोगियों की मदद करने लगे | यह देख कर उनके सभी शिष्य भी उनके साथ सभी रोगियों की मदद करने लगे | स्वामी जी ने अपने सभी शिष्यों को आज्ञा दी की सभी एक – एक गाँव का भर सभाल ले ताखी हम सभी एक बीमारी को जड से ख़तम कर सके |सभी शिष्यों ने स्वामी जी की बात का पालन किया | परन्तु उन में से कुछ योगी डर रहे थे और उनके मन में कुछ संकाए भी थी | लेकिन वो डर रहे थे स्वामी जी से पूछने में| पंरतु उनमे से एक योगी ने हिमत करके स्वामी जी से पूछा, “हे स्वामी जी हम लोग योगी है हम लोगो ने एक जगत को छोड़ दिया है, फिर हम इन लोगो की मदद क्यों करे ? जबकि ये लोग अपनी मदद खुद नहीं करना चाहते |

Read more