एक जंगल में एक भालू रहता था उसे अपनी ताकत पर बहुत घमंड था | वह अपने सामने किसी को भी नहीं टिकने देता था वह कभी भी नहीं देखता था चलते समय उसके पेरो के नीचे कितने कीड़े,मकोड़े मर जाते थे और जो भी सामने आता था उसे मार देता था |
वह अक्सर पानी पीने नदी के किनारे आता, नहाता और पानी इधर – उधर फेलता | हर रोज की इस क्रिया में उसके पेरो ने नीचे कई मेढक उसके पाव के नीचे दबकर मर जाते थे | सभी मेढक उसे डरते थे की अगर उससे बात करेगे और समझाए तो वह हमे भी मार देगा इसी चक्कर में कोई उससे बात नहीं करना चाहता था | परन्तु उनमे से एक अनुभवी मेढक ने हिम्मत की और भालू से बात की |
अरे भालू भाई, “तुम हर रोज यहाँ आते तो, नाहते हो, पानी पीते हो, और जोर – जोर से उछल कूद करते हो और उसकी वजह से हमारे कई भाई मारे गए और कई जख्न्मी भी हो गए है | हमारी आप से विनती है की आप कृपा करके ध्यान से चले है |”
यह सुनकर भालू को गुस्सा आ गया और बोला, “यह तुम लोगो को ध्यान देना चाहिए, मुझे नहीं | तुम लोग इतने छोटे हो की दो – चार मर भी गए तो कोई फर्क नहीं पड़ता |” यह बोल कर वहा वहा से चला गया |
मेढक उदास बेठे थे की वहा उनके दोस्त मधुमखी भी आ गए और उन्होंने उनको सारी बात सुनाई | सारी बाते सुनकर मधुमखियो ने उसका साथ देना का फेसला किया और भालू को सबक सिखाने का निर्णय लिया |
अगले दिन जा भालू नहाने आया तो उसे देख कर सब तेयार हो गए हमला करने के लिए | उसने जो ही अपना पाव नदी में रखा तो सभी मेढको ने एक साथ उसके पेरो पर काट लिया | भालू को समझ नहीं आया और इतने में सभी मधुमखियो ने उस पर हमला बोल दिया | उसे कुछ समझ आता की वह वहा से भाग खड़ा हुआ | परन्तु मधुमखियो ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और उसको काटते रहे | वो दिन था और आज का दिन उस नदी पर फिर कभी भी वो भालू नहीं आया और मेढक अपना जीवन ख़ुशी से बिताने लगे |
सीख: कभी भी अपने से छोटो को तंग नहीं करना चाहिए |