एक जंगल में एक खरगोश रहता था वह बहुत ही स्वार्थी था | वह किसी भी बात करना पसंद करता था वह बस अपने काम की ही बात करता था | यहाँ तक की अपने साथियों के साथ भी नहीं खेलना पसंद नहीं करता था |
उसके माँ बाप भी उसे समजाते थे की बेटा सबके साथ खेलते है, खाना खाते है | वर सोनू उनको भी बोल देता था मुझे किसी के साथ खेलना पसंद नहीं है |
एक दिन की बात है उसके दोस्तों ने उसको कहा, “सोनू आज हम तेरी गेंद के साथ खेलेगे”
सोनू यह सुनते ही जोर से चिल्लाया, “हाथ भी मत लगाना मेरी गेंद को, मेरी गेंद भी खराब हो जाएगी |”
यह सुनकर उसके दोस्त वापिस चले गए |
उनके जाने के बाद वह अकेले ही अपनी गेंद से खेलने लगा | थोड़ी देर खेलने के बाद थक गई और फिर बेठ गई |
जहा वो बेठा था उसके पास ही कुछ चींटिया मिल जुलकर अपना खाना ले कर जा रही थी | यह देखकर सोनू को अच्छा लगा | उसने देखा, की एक पेड़ के पास बहुत सारी चींटिया मिल जुल कर गाना गा रही है और साथ साथ अपना खाना ले कर पेड़ पर चढ़ रही थी |
फिर उसने देखा बहुत सारी मधुमखिया फूलो का रस ले कर अपने घर जा रही है |
सोनू को यह देखकर बहुत अच्छा लगा की सब मिल जुल कर काम कर रहे | और कितने मजे से सारे काम हो रहे है | उसे यह देखकर निराशा भी की और सोचने लगा की वह कितना अकेला है उसके पास कोई दोस्त नहीं है |
काश आज मेरे पास भी मेरे दोस्त होते है तो कितना अच्छा होता | यही सोचकर अपने दोस्तों को ढूंढने निकल पड़ा |
काफी देर ढूंढने के बाद भी उसको नहीं मिले | वह एक मैदान में अकेला बेठा हुआ था तभी उसको अपने दोस्तों की आवाजे सुनाई दी | वह उन आवाजो सुनकर उनके पीछे गया तो देखा उसके सारे दोस्त खेल रहे थे
सोनू ने सब को बुलाया और अपने गलतियों के लिए सबसे माफि मागी | उसको अपने करनी पर बहुत पछतावा हुआ |
वह बोला, अब मुझे समझ आया की साथ – साथ, मिल – जुलकर काम करने में ही मजा है न की अकेले करने में |
उसके सभी दोस्तों ने उसके माफ कर दिया और उसके साथ खेलने लगे | और तब से वह सारे काम, जैसे खेलना, खाना और पढना सभी काम एक साथ मिल-जुलकर करने लगा |