कहानी एक अजनबी की

एक शहर एक बीचो बीचो एक बहुत बड़ा मैदान था मैदान में हर छोटे से लेकर बड़े बच्चो तक सभी कोई कोई खेल खेला करते थे | उन्ही बच्चो में से एक बच्चा था रवि | रवि के बहुत सारे दोस्त थे जिनके साथ वो खेला करता था |

एक दिन की बात है रवि अपने दोस्तों के साथ मैदान में खेल रहा था तबी वहा एक अजनबी व्यक्ति वहा से गुजरा | उस व्यक्ति को पहले किसी ने नहीं देखा था | उस व्यक्ति को वहा देख कर उन लडको ने मजाक मजाक में चिल्ला कर बोले, “अरे भाई इधर तो आओ, हमारे साथ थोड़ी देर खेलो” लेकिन उस व्यक्ति ने उन बच्चो की बात को अनसुना कर दिया और आगे चलने लगा | लडके फिर बोले, क्यों भाई, गुगे – बहरे हो क्या? और जोर – जोर से हसने लगे|”

बस उस दिन के बाद से जब भी वह व्यक्ति वहा से गुजरता, सभी लडके उसका मजाक उड़ाते और जोर – जोर से कहते, देखो “गुगा – बहरा जा रहा है और फिर जोर – जोर से हस्ते उसे देखकर | यह सब हरकते रवि चुप चाप खडा देखता रहता था क्योकि उसके माता-पिता ने उसे बडो का आदर करना सिखाया था | या सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा | अजनबी कभी भी कुछ नहीं बोलता था चुप चाप वहा से जला जाता था |

एक दिन रवि मैदान में जल्दी पहुच गया और तभी वह आदमी वहा से गुजरा | और पता नहीं क्या हुआ उस दिन रवि भी बोल पड़ा और “ओ गुगे – बहरे कहा जा रहा है |” परन्तु उस दिन वह अजनबी भी चुप नहीं रहा | वह रवि के पास गया और बोला, “बेटा, में अपनी बेटी को लेने विधालय जा रहा हु | तुम तो अच्छेबच्चे लगते और कभी भी मेरा मजाक नहीं उड़ाते हो फिर आज क्या हुआ तुम्हे | बेटा बडो से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए तुन्हें | यह अच्छी बात नहीं है |

रवि को अपने उपर बहुत गुस्सा आया और शर्म भी | उसने यह बात अपने दोस्तों को भी बताई और समझाया | अगले दिन जब वह अजनबियो वहा से गुजरा तो उसे देखकर कोई कुछ नहीं बोला, और उस अजनबी ने रवि को मुस्कराते हुए देखा वहा से चला गया |

सीख: बच्चो इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हमे कभी भी अपनों से बडो का निरादर नहीं करना चाहिए | हमेशा उनका आदर करना चाहिए |

 

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