ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

ये कान के पास से गुजरती हवाओ की सरसराहट

ये पर फुदकती चिडियों की चहचहाहट ,

ये समुंदर की लहरों का शोर,

कुछ कहना चाहती है मुझसे

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

 

ये चांदनी रात, ये तारो की बरसात,

ये खिले हुए फूल, ये उडती हुई धुल,

ये नदिया की कलकल, ये मोसम की हलचल,

ये पर्वत की चोटिया, ये झींगुर की सीटिया,

कुछ कहना चाहती है मुझसे,

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

 

उड़ते पंछियों की उमग, धोड़ते हिरणों का तरंग,

ये सूरज की किरण जो भर्ती है रण का हर एक कण,

ये फूल और कांटे, एक करता जग सुगन्धित तो दूसरा वस्त्रो का चीर हरण,

कुछ कहना चाहती है मुझसे,

ये प्रक्रति शायद कुछ कहना चाहती है मुझसे

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बेटी के विदाई का दुःख

कन्यादान हुआ जब पूरा, तब आया समय विदाई का
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ पूरा, सारी रस्म अदाई का
तब पूछा सवाल बेटी ने पिता से
पापा क्या सचमुच में छोड़ दिया साथ तुमने मेरा ।।

तुमने कहा मुझे सदा पारी अपने आंगन की,
मेरा रोना न होता था बर्दाश तुमसे,
अब क्या इसी आंगन में कोई नहीं है स्थान मेरा,
अब मेरे रोने का पापा, तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।।

अब चली सुसराल में अपने. जंहा न कोई है अपने.
न जाने कैसे होगा पति आ आंगन,
पर इतना में कहती हु, न होगा बाबुल आंगन जैसे ||

पापा ले चले मुझे ये अपने साथ, आकर क्यों नहीं धमकाते इन्हें,
नहीं रोकते चाचा ताऊ, भैया से भी आस नहीं,
ऐसी भी क्या गलती हुई मुझसे, कोई आता नहीं पास मेरे,
क्या इतना ही था प्यार मुझसे, रोके न कोई मुझे ||

पिता की बेबसी

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मेरी प्ररेणा

प्रक्रति है मेरी प्रेरणा

हम सबको देती यह धारणा ||

धारण करो शिष्टाचार,

बंद करो यह अत्याचार ||

 

हम सबको एक बात सिखाती

शीशा झुकाए दे दो फल

मत करो लालच उस पर ||

 

समय पर काम करना सीखो,

वरना तुम रहोगे मुरझाए फूलो जैसे ||

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काला पानी – एक कहानी क्रांतिकारियों की

गूंजती है आज भी इन दीवारों में
चीत्कार उन केदियो की
भारत माता को मुक्त करने की कसम ले
चढ़ गए जो फँसी पर बिना किसी शिकन के |

उर्म केद हुई उन काली कोठरियों में
हंस का खा गए वो गोलिया सीने में
इन्ही सलाखों के पीछे
काट दी उन्होंने अपनी जिंदगानी बिना किसी परेशानी के
जिए थे वे एक ही माँ के लिए
और मरे भी थे एक माँ के लिए
उस माँ के लिए मरना था सोभाग्य की नोशानी |

लिख गए अपने रक्त से वो
इस काला पानी की काली कहानी
होंसले न कभी डगमगाए
बेत और कोड़े खा कर भी
आंसू न आए आँखों ने जिनकी

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नारी के रूप अनेक

तुम्हे तम्हारा अस्तित्व देने वाली नारी है |

तुम्हारा परिवार शुरू करने वाली नारी है |

निस्वार्थ सेवा करने वाली भी नारी है |

मन्दिरों की मूर्तियों में भी नारी है |

 

बचपन में यही तुम्हारा घर सजाती है |

तुम्हारे आगन की रोनक बढ़ाती है |

तुम्हे अभिमान करना सिखाती है |

फिर उम्र का नया पड़ाव आता है |

पराये धन होने का उसे मतलब बताता है |

 

फिर वो ही नारी शादी का बंधन बनाती है |

वो ही नारी पत्नी का भी कर्तव्य निभाती है |

जिन्दगी के नए अनुभव सिखाती है |

माँ बन नई जिन्दगी को जन्म देती है |

फिर जिन्दगी ने ली करवट |

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लोग कहते है गुरु ज्ञान देते है

तन होता है मगर प्राण देता है सत्य है की गुरु ज्ञान देता है ज्ञान के साथ अमूल्य दान भी देता है गुरु ही शिष्य को नई पहचान देता है | लोग कहते है गुरु ज्ञान देते है   गुरु के कारण ही लोग शिष्य को सम्मान देते है जीवन सफल करने का नया मार्ग … Read more

समय की कीमत

अभी समय है, अभी नहीं कुछ भी बिगड़ा है

देखो अभीसुयोग तुम्हारे पास खड़ा है

करना है जो काम उसी ने अपना चित्त लगा दो

अपने पर विश्वास करो, और संदेह भगा दो |

 

पूर्ण तुम्हारा मनोमिष्ट क्या कभी न होगा?

होगा तो बस अभी, नहीं तो कभी न होगा,

देख रहे हो श्रेष्ट समय के क्किस सपने को

छलते हो यो हाय ! स्वयं ही क्यों अपने को|

 

तुच्छ कभी तुम न समझो एक पल को भी

पल – पल से ही बना हुआ जीवन को मानो तुम

इसके सद्व्यय रूप नीर सिंचन के द्ववारा

हो सकता है सफल जन्मतरु यहाँ तुम्हारा|

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बरसात की आती लहराती हवा

बरसात की आती लहराती हवा

वर्षा धुले आकाश से

या चन्द्रमा के पास से

या बादलो की साँस से

मंद मदमाती ये हवा

बरसात की आती लहराती हवा

 

यह खेलती है ढाल से

ऊँचे शिखर के भाल से

पाताल से लेकर आकाश तक

यह खेलती हर जगह

बरसात की आती लहराती हवा

 

यह खेलती बूढ़े, बच्चो के साथ

यह खेलती प्रेमियों के साथ

यह खेलती हरी लता के साथ

अठखेलती इठलाती लहराती हवा

बरसात की आती लहराती हवा

 

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क्या बदल रहा है देश

सब कहते है देश बदल रहा है जाग रहा है देश

सब कहते है देश बदल रहा है जाग रहा है देश

पर कोई तो बताए कहा बदल रहा है देश

कल भी अत्याचारी थे आज भी है और कल भी होगे

पहले भी बलत्कार होते थे, आज भी होते है और कल का पता नहीं

तो कहा बदल रहा है देश

और कोन बदलेगा ये देश,

आप, में, या फिर वही नेता लोग जो

पहले भी लुटते थे, आज भी और कल भी लुटेगे

तो कहा बदल रहा है देश ||

 

बड़ा अजब है ये देश,

एक लडकी के साथ बलत्कार होता है और लोग तमाशा देखते है उस समय,

एक लडकी के साथ बलत्कार होता है और लोग तमाशा देखते है उस समय,

और अगले ही दिन प्रदशन करते है,

और फिर वही लोग उसी रात किसी और के साथ करते है बलत्कार

और फिर कहते है देश जाग रहा है, बदल रहा है देश ||

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मेरा प्यारा सपना

देखा मेने ये सपना कैसा?

यह तुमको बतलाती हु

सपनो की गजब दिनिया में

तुमको सेर कराती हु ||

 

कल रात देखा मधुर सपना मेने,

परियो के से परिधान पहने थे मेने,

था बच्चो का झुंड मेरे चारो और

नहीं थामे थमता था बच्चो का शोर||

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