श्याम एक बहुत बड़े संत का शिष्य था | संत ने उसे अच्छी तरह से सारे ग्रंथो की शिक्षा दी थी संत से शिक्षा लेने के बाद श्याम ने संत से जाने की आज्ञा मांगी |
संत ने उससे पूछा, “श्याम, बेटा अब तुम्हे सारे ग्रंथो की जानकारी है और अब तुम उपदेश देने के लायक भी हो गए हो | परन्तु तुम यह बातो तुम कहा जाना जाहते हो?”
भगवन में वहा जाना चाहता हु जहा अंधकार ज्यादा हो, ताकि में वहा जा कर आप के द्वारा दिए गए उपदेशो को दे सकू और रौशनी फेला सकू |
यह सुनकर संत के उसकी परीक्षा लेनी चाही, उससे कहा, बेटा अगर लोग तुम्हे गालिया देगे, उपशब्द कहेगे तो तुम क्या करोगे ?”
यह सुनकर श्याम बोले, “भगवन, मेरे लिए तो वो लोग बहुत अच्छे है | मुझे सिर्फ गलिय और अपशब्द कहे, परन्तु मारा तो नहीं |”
संत के पूछा, “अच्छा ये बताओ, अगर वो तुम्हे मरेगे तो तुम क्या करोगे |”
श्याम ने कहा, “में सोचुगा की यह लोग कितने अच्छे है जो मेरे को पत्थरों से नहीं मरते |”
अच्छा अगर वो तुम पर पत्त्थर फेकेगे तो तुम क्या करोगे, संत ने पूछा |
भगवन, “में तब भी सही सोचुगा की ये लोग कितने अच्छे है की मुझे जान से नहीं मारा |”
संत यह सुनकर बहुत प्रसन हुए और श्याम को आशीर्वाद देते हुए कहा, “बेटा अब तुम धरम को अच्छी तरह से समझ चुके हो और मुझे लगता है की तुम अब ज्ञान का प्रकाश फेलाने योग्य हो गए हो | जाओ मेरा आशीर्वाद सदेव तुम्हारे साथ है |
अश्रीवाद प्राप्त कर श्याम अपनी राह निकाल गए और उपदेश देने लग गए |