बन्दर की सीख

बहुत पुरानी बात है एक बन्दर के किनारे पेड़ पर बेठा हुआ था | उसे बहुत जोर से भूक लगी हुई थी | तभी वहा एक आदमी केलो का एक गुच्छा लेकर पेड़ के नीचे आ कर बेठा गया | बंदर केलो के गुच्छे को देख कर उसके मुह में पानी आ गया | उसका मन किया की वो सारे के सारे केले खा जाए | जब उस आदमी को नीद आ जोंखा आया तो उसका मोका उठाकर बन्दर ने ५-६ केले अपने लिए उठा लिए और पेड़ पर जा कर खा लिए |

जब आदमी की नीद खुली तो उसने एक केला थोडा कर खाने लगा | तभी उसकी नजर बन्दर पर गई | उसके हाथो में केला देखा कर वो समझ गया की उसने गुच्छे में से २-३ केले ले लिए है | उसे यह देख कर बहुत गुस्सा आया |

तभी उसको एक तरकीब सूझी | उसको ध्यान आया की बन्दर को नकल उतराने की बहुत आदत है | उस आदमी ने अब एक केला थोडा और छीलने लगा | यह देखकर बन्दर भी वैसा की करने लगा | अब आदमी ने केला खा लिया और यह देखकर बन्दर ने भी खा लिया | उस आदमी ने एक केला और थोडा और दूर फ़ेंक दिया, यह देखकर बन्दर ने भी एक केला फ़ेंक दिया | उस आदमी ने एक और तोडा और दूर फ़ेंक दिया, यह देखकर बन्दर ने भी फ़ेंक दिया | जब बन्दर ने सारे केले नीचे फ़ेंक दिए तो आदमी ने सारे केले उठा लिए और अपनी पोटरी में रख लिए |

लेकिन इस बार एक अलग बात हुई | आदमी ने जब सारे के सारे केले अपनी पोटरी में डाल लिए तो एक केले का छिलका वही छोड़ दिया | तभी बन्दर पेड़ से उतरा और केला का छिलका उठाया और कूड़ेदान में डाल दिया, यह देख आदमी पानी – पानी हो गया और वहा से चला गया |

सीख: आप बेहतर जानते है की बन्दर क्या सीखना चाहता है |

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