दया करना कभी निष्फल नहीं जाता

बहुत पुरानी बात है एक जंगल बहुत ग्रीषम ऋतू के दिन चल रहे थे | एक दिन दोपहर का समय एक शेर एक छायादार पेड़ के नीचे दो रहा था | उसी पेड़ के पास ही एक चुहिया का घर था | अचानक ही वह अपने घर से बाहर आई तो उसने शेर को वहा सोते हुए देखा |

यह देख कर उसे एक शरारत सूझी | उसने सोते हुए शेर के ऊपर कूदकर उसे जगा लेने की सोची | परन्तु हुआ बिलकुल उल्टा | शेर की नीद टूट गई और उसने उसे अपने पंजे में पकड़ लिया | वह उसे मर कर खाने की सोच ही रहा था की इसने में वह गिडगिडा कर बोली, “आप बहुत महान हो, मेरे प्राण बख्श दीजिए हुजुर | एक न एक दिन में इस दया का बदला अवश्य चूकाउगी |”

यह बात सुन कर शेर को उस चुहिया पर दया आ गई और उसने उसे छोड़ दिया | और कुछ दिनों बाद जंगल में एक शिकारी आ गया और उसने शेर को पकड़ने के लिए एक जाल बिछा दिया और दुर्भाग्य से शेर उस जाल में फस गया | शेर जोर जोर से दहाड़ने लगा मदद के लिए |

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भाग्य को न कोसे

वर्षा ऋतू का सुहावना दिन था | जंगल के सभी जानवर, पशु पक्षी बहुत खुश थे | उसी वन में एक मोर भी रहता था और वह मोर वन में अत्यंत प्रसन्नतापूर्वक नाच रहा था | नाचते समय अचानक उसे अपने भदे और अप्रिय स्वर का ध्यान आ गया और वो चुप हो गया | वह बहुत उदास हो गया और उसकी आँखों में आंसू आ गए |

ठीक उसी समय उसे सामने एक पड़े पर एक बुलबुल दिखाई पड़ गई | उसे सुन कर वह और दुखी हो गया और सोचने लगा, “कैसा मीठा स्वर है इसका और सभी उसकी प्रंशसा करते है | और मेरा स्वर सुन कर सभी मेरा मजाक उड़ाते है | कितन अभागा हु में |

उसी जंगल में एक ऋषि भी रहते थे और वो इस प्रकार मोर को दुखी देखकर बोले, “प्रिय मोर. इस प्रकार उदास मत हो और न ही अपने भाग्य लो कोसे | इस संसार में भगवान ने सभी जीवो को भिन्न भिन्न देन दी है जैसे आपको सुन्दरता, गरुड को बल, बुलबुल को सुरीला स्वर और सभी को अलग अलग देन दी है | आप इस प्रकार दुखी को कर न तो अपने भाग्य को और न ही अपने ईश्वर को कोसे | बल्कि आप उस परमात्मा को ध्यान्वाद दे की उसने आप को इतना सुन्दर बनाया है की सभी आप को देख आर मोहित हो जाते है |

 

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वीर बालक

सर्दियों के दिन थे | सवेरे का समय था | उस दिन राम अकेला ही अपने स्कूल जा रहा था | उसके स्कूल के रास्ते में रेल की पटरी पड़ती थी | उस दिन उसने देखा की एक जगह से रेल की पटरी उखड़ी हुई थी |

बालक तुरंत समझ गया की यह एक बहुत बड़ी बात है जिसका भयंकर परिणाम हो सकता है | वह सोचने लगा, “अभी गाड़ी आएगी | वह यहाँ पर गिर जाएगी |

और उसी समय दूर से गाड़ी के इंजन की चीख सुनाई दी | फिर गाड़ी की धडधड की आवाज सनाई दी | बालक सुनते ही काप उठा | वह सोचने लगा की क्या करे? उसने ठान लिया था की वह उन सभी लोगो की जान बचाएगा जो उस गाड़ी में बैठे है |

अब गाड़ी और पास आ गई थी | राम तभी दोनों पटरियों के बीच में खड़ा हो गया | उसने अपनी जान की परवाह नहीं की | उसने तुरंत अपनी सफेद कमीज उतारी और जोर जोर से हिलाने लगा |

ड्राईवर की नजर उस बालक पर पड़ी | उसने झट से ब्रेक लगा दी | और इंजन थोरी सी ही पहले आ कर रुक गया | ड्राईवर ने गुस्से से उसे पूछा – “ओये लडके ये क्या कर रहा है मरना है क्या?”

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भगवान सबको देखता है |

एक किसान था | उसका एक बेटा था रामू | एक दिन को बात है, किसान अपने खेत में काम कर रहा था | रामू भी वही था | पड़ोंसी के खेत में गाजर उगी हुई थी | रामू ने वहा जाकर एक गाजर खींचकर निकल ली | गाजर खींचते देख किसान अपने बेटे से बोला – “बेटा | वह खेत दुसरे किसान का है | तुमने उसके खेत से गाजर क्यों निकाली ??

रामू बोला – “में जानता हु, यह हमारा नहीं है | यह खेत राधे काका का है, परंतु काका इस समय नहीं नहीं |” बेटे की बात सुन किसान बोला – “बेटा, राधे ने तुम्हे नहीं देखा, परंतु भगवान तो देख रहा है | वह सबको देखता है |” रामू को अपने पिता की कही बात समझ आ गई |

एक बार की बात है, बरसात नहीं हुई | बरसात न होने से सभी किसानो के खेत सुख गए | खाने के लिए भी किसी के घर में अनाज नहीं था | सभी किसान बहुत परेशान थे |

भूख से बेचेन ही रामू को पिता सोचने लगा – “क्या करू? अनाज कंहा से लाऊ?” गाँव में केवल पड़ोसी राधे के खलियान में ही अनाज था | पिछले साल उसके खेत में गेहू की खूब पैदावार हुई थी | रामू के पिता ने राधे के खलियान से अनाज चोरी करने जी योजना बनाई |

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ध्यान मग्न तोता

एक सुबह अकबर का एक सेवक बीरबल के घर पहुंचा | वह दुखी और प्रेशान था |

“क्या बात है अली |” बीरबल ने पुछा |

“श्रीमान मेरा जीवन खतरे में है | केवल आप ही मुझे खतरे से बाहर निकाल सकते है |” अली ने जवाब दिया |

“में अपनी तरह से पूरा प्रयास करुगा परन्तु पहले यह तो बताओ की बात क्या है?” बीरबल ने खा |

अली ने बताया, “श्रीमान, कुछ महीने पहले एक फकीर ने महाराज को एक तोता दिया था | महाराज ने वह तोतो मुझे दिया और उसकी अच्छी तरह से देखभाल करने को का निदेश दिया और साथ ही उन्होंने या निर्देश भी दिया की यदि कोई भी व्यक्ति इसकी मुर्त्यु की सुचना उनके पास ले जायगा तो उसे मुत्यु दंड दिया जायगा | श्रीमान अच्छी से अच्छी देखभाल करने और विशेष ध्यान रखने के बावजूद भी आज सुभ मेने उसे पिंजरे में मर हुआ पाया | अब मुझे अपने जीवन का भय हो रहा है |”

बस इतनी सी बात है| घबराओ नहीं | तुम अपने घर जाओ और सब कुछ मुझ पैर छोड दो | यह सुचना महाराज तक में पहुचा दुगा |” बीरबल ने अली से कहा |

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बोल का मोल

एक आदमी बूढा हो चला था | उसके चार बेटे थे | बेटे यो तो सभी कम जानते थे | किन्तु बोलचाल और आचरण में चारो एक जैसे न थे | पिता ने कई बार उनसे कहा – “यदि तुमने अपनी बोलचाल और आचरण नहीं सुधारा तो जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते |” किन्तु पिता की बात को कोरा उपदेश समझकर बेटो ने कभी ध्यान नहीं दिया |

एक बार को बात है | चारो बेटे और पिता लंबी यात्रा पैर जा रहे थे | इस यात्रा के बिच उनके पास खाने  पिने को कुछ भी न बचा था | जो धन था वह भी ख़त्म हो चूका था | वे लोग कई दिन से भूखे थे | बस यही चाहते थे की किसी तरज ज़ल्दी से ज़ल्दी अपने घर पहुच जाये|

पांचो एक जगह सडक के किनारे विश्राम कर रहे थे | तभी एक व्यापारी अपनी बेलगाडी को हांकता हुआ निकला | वह व्यापारी किसी मेले में जा रहा था | उसने बेलगाडी में तरह-तरह के पकवान और मिठाई भर रखी थी वह उन्हें बेचने के लिए जा रहा था |

पकवाने और मिठाईयो की महक से पांचो में मुंह में पानी आने लगा | बूढे ने कहा – “जाओ व्यापारी से मागो | शायद कुछ खाने को दे दे |”

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भगवान का न्याय

बीरबल अकबर के दरबार का सबसे बुद्धिमान व् प्रभावशाली मंत्री था | वह अपनी चतुराई और बुधिमत्ता के लिए जाना जाता था |  बादशाह अकबर सदेव उसके कठिन प्रश्न रखते थे परन्तु वह शीघ्र ही उनके सटीक उतर देकर बादशाह को लाजवाब कर देता था |

एक दिन बादशाह अकबर दरबार का कार्य क्र रहे थे | उन्होंने बीरबल से पूछा, ‘बीरबल, बताओ हम भगवान का न्याय कब देख सकते है?”

बीरबल ने कुछ क्षण सोचता रहा | सभी दरबारी और महाराज बीरबल के उतर की प्रतीक्षा कर रहे थे | तब बीरबल बादशाह के समक्ष झुकर बोला, “हम केवल तभी भगवान का न्याय देख सकते है, जब आपके दुवारा सही न्याय नहीं होगा |

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दो भाई

सच और झूठ जुड़वाँ भाई थे | दोनों कि एक सी शकल थी | दोनों एक ही तरह के, एक ही रंग के कपड़े पहनते थे | एक साथ खेलते, एक साथ पढ़ते | दोनों को देखकर लोग यह नहीं समझ पाते थे कि इनमे कोन सच है और कोन झूठ | पर दोनों को सभी पसंद करते थे | दोनों सुंदर थे और हसमुख भी | तब उनके नाम का मतलब वह न था जो आज है | वे तो बस ममतामयी माँ के दो प्य्रारे बेटे थे |

दोनों का बचपन तो खेल खुद में बीत गया | लेकिन किशोर होते ही दोनों अपने अपने मन कि करने लगे | दोनों में झगडा भी हो जाता | जब झूठ कोई शेतानी करके आता तो लोग शिकायत सच कि करते | जब सच कोई अच्छा काम करके आता तो प्रशंसा लुटने में झूठ बाजी मर ले जाता | झूठ भ्रम का फायदा उठाने में कभी न चुकता |

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