कैसे बचाई रामू खरगोश ने अपनी जान

एक बहुत सुन्दर जंगल था वहा पर झरना, नदी और ऊँचे ऊँचे पहाड़ भी थे वहा हर तरह के पशु पक्षी रहते थे जैसे हाथी, चिता, भेड़िया, हिरन भालू, खरगोश, जैसे सभी प्रकार के पशु-पक्षी रहते थे | उस जंगल में कोई शेर नहीं था और इसलिए सभी जानवर एक दुसरे से प्यार करते थे और शांतिपूर्वक रहते थे |

अचानक एक दिन उस जंगल में एक शेर आ गया | वो बहुत भयानक था | उसे धीरे धीरे सभी जानवरों को मारना शुरू कर दिया | उसने उसी जंगल में अपना घर बना लिया एक पहाड़ी की गुफा में | सभी जानवर उससे बहुत परेशान हो गए थे | एक दिन सभी जानवर मिलकर उस शेर के पास जाने का निश्चय किया | और अगले दिन सभी जानवर मिलकर शेर की गुफा के पास जा कर बोले, “शेर जी – शेर जी आप हम कमजोर जानवरों की जान क्यों लेते है | आप भी हमारी तरह घास चरिये, फल खाइए, हमारे साथ खेलिए |

शेर ने दहाड़ते हुए बोले. “मुर्ख जानवरों, हम खास नहीं खाते, फल नहीं चबाते, हम सिर्फ शिकार करते तुम जैसे जानवरों का |

एक हिरन हिम्मत करके बोला, “शेरजी, आप के डर से हम सो नहीं पाते, खा नहीं पाते, खेल नहीं पाते, और यहाँ तक की सोते हुए भुई हमे आप के ही सपने आते है |

या सुनकर शेर सोचने लगा और बोला, “ठीक है तुम लोग एक काम करो | मुझे रोज २ खरगोश, और २ हिरन मेरे पास भेज दो | मुझे मेरा भोजन घर मिल जायगा तो में तुम्हे तंग नहीं करुगा और फिर तुम्हारा डर भी मिट जायगा |”

बेचारे जानवर करते भी तो क्या करते | वह सभी जानवर मान गए शेर की बात | और उस दिन से रोजाना अपने आप शेर का खाना बनने जानवर आ जाते | कुश दिनों तक ऐसा ही चलता रहा है |

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कोआ भुला अपनी चाल

यमुना के किनारे के पेड़ था उस पेड़ पर एक कोआ रहता था | वह खुद को चालक, समझदार, और होशियार रहता था वह बहुत ज्यादा धमंडी था | एक दिन एक हंस बहुत दूर से उड़ता हुआ उस पेड़ पर आ कर बेठ गया | वह वहा रात बिताने के लिए आया था | … Read more

सोने का लोभ

एक शहर में एक सेठ मायादास रहता था और वो बहुत धनी थे | उनके पास बहुत सारा सोना चांदी भी था परन्तु फिर भी उन्हें बहुत कम लगता था | वो चारो पहल सिर्फ और सिर्फ धन कमाने ले लिए सोचता रहता था | एक दिन उसके पास एक साधु आया | मायादास ने उस साधु की खूब सेवा की | यह देखकर साधु बहुत खुश हुए और बोला, “तुम क्या चाहते हो?”

मायादास ने मोका का फायदा उठाया, “उस ने झट से बोल दिया, महाराज में जिस को भी हाथ लगाऊ जो सोने की हो जाए |”

यह संकर साधु हस पड़े और बोला ठीक है, ऐसा ही होगा | और फिर साधु वहा से चले गए | साधु के जाते ही मायादास ख़ुशी से पागल हो गया | उसने लकड़ी के दरवाजे को छुआ और वह सोने का बन गया | यह देखकर मायादस बहुत खुश हो गया | फिर उसने सभी को धीरे धीरे हाथ लगाना शुरू कर दिया और सभी कुछ सोने का होने लगा | सोने की कुर्सी, सोने का मेज, सोने का पलंग, सोने के कपड़े, सोने का रथ | यहाँ तक की उसने जानवरों को भी सोने का बना दिया |

अब वह थक चूका था उसने अपने नोकर से पानी का गिलास मंगवाया, गिलास को छुते ही वह भी सोने का हो गया | मायादास अब घबरा गया | फिर उसने खाना मंगवाया, वह भी सोने का हो गया | अब वह किसी को भी छुता वह सोने का हो जाता | वह भूखा प्यासा रह गया |

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ज़िन्दगी क्यों इम्तिहान लेती है कदम कदम पर

जैसा की में आप सभी के साथ रमेश की ज़िन्दगी के कुछ पल बाँट चूका हु | आज कुछ और रमेश की ज़िन्दगी के पल आप लोगो के साथ बाँट रहा हु |

जैसा की मेने कहा था की वो ज़िन्दगी जीने से डर रहा है लड़ रहा है अपने हलातो से, लड़ रहा है अपने मन में चल रहे तुफानो से | भाइयो, बहनों ऐसा लग रहा है मनो ज़िन्दगी भी रूठ गई है रमेश से | दुःख खत्म लेने का नाम ही नहीं ले रही है | एक खत्म होता है तो दूसरा शुरू हो जाता है |

पिछले साल उसके पिता का देहांत हुआ था | ऐसा नहीं है की मीठे पल नहीं है रमेश की ज़िनदगी में, है पर बहुत बहुत थोड़े से और भी आते है दुखो के साथ | इसी साल उसके यहाँ एक नन्ही परी ने भी जन्म लिया पर नोकरी न होने के कारण बभौ कर्जा लेना पड़ा जो की अभी तक चूका रहा है | और अब तो उसकी नोकरी भी खतरे में है | पता नहीं है अपनी जीविका कैसे चलाए गया इतनी महगाई में |

अभी रमेश अपने पिता के जाने के सदमे से बहार निकला भी नहीं था की उसकी माँ को brain tumor हो गया | दोस्तों में कैसे कहू उसकी कहानी क्योकि मुझे भी रोना आ रहा है | मेरा मन भी द्दुख रहा है | पर मुझे तो बताना ही है |

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अनोखा वरदान

विजय सिंह मान का राजा था | वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था और उनका बहुत ध्यान रखता था | एक दिन की बात है वह तूफानी रात में अपने घोड़े पर स्वर होकर एक तंग से रास्ते से जा रहा था | वह भेस बदले हुए था | मामूली कपड़े पहन कर, जनता के बीच उनके हाल चाल का पता लगाना उनकी आदत बन चुकी थी |

वह बीना किसी की चिंता किये अपना काम कर रहे थे परंतु उनके पीछे पीछे डाकू भी चल रहे थे जो उनका शानदार घोडा लेना चाहते थे |
मोका देख कर डाकुओ ने राजा को घेर लिया | राजा एक बार तो सकते में आ गया, मगर वह घबराया नहीं | वह बच निकलने की तरकीब सोच रहा था की उसके घोड़े का खुर सडक के गड्डे में फंस गया | डाकू अभी राजा पर लपकने ही वाले थे की एक और से कुछ नोजवान वहा आ पहुचे | उन्होंने देखा की एक आदमी मुसीबत में है | उन्होंने डाकुओ पर हमला कर दिया | डाकुओ यह देख कर डर गए और वहा से भाग गए |

थोड़ी देर में राजा के अंगरक्षकों का दल भी आ पहुचा | उन्होंने सभी डाकुओ की बंदी बना लिया | राजा उन नवयुवको से बड़ा प्रसन्न था क्योकि उन्होंने बिला यह जाने की वह राजा है, डाकुओ से उसकी रक्षा की | राजा ने बहुत – बहुत धन्यवाद दिया और कहा के वे उसके साथ महल तक चले |

भोर होने पर रात की घटना का समाचार सब जगह फेल गया | सारी प्रजा खुश थे की डाकू राजा का बाल भी बाका न कर सके | राज्य परिवार के लोगो, मंत्रियों, दरबारियों और सारी जनता ने नवयुवको के साहस की प्रशंशा की |

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अपनी शक्ति को जानो

 

एक गीदड़ बहुत भूखा था कई दिन से ठीक भोजन न मिलने के कारण वह कमजोर हो गया था | इतनी ताकत भी न थी की स्वंय शिकार करके खा सके |

थोड़ी देर में उसने एक शेर को आते देखा | शेर ने एक भेंसे का शिकार किया था | वह खा पीकर अपनी गुफा की और लोट रहा था | गीदड़ भूख और कमजोरी के कारण शेर को देखकर कापंने लगा | जेसे ही शेर निकट आया, गीदड़ पेट के बल लेट गया |

शेर ने गीदड़ को इस तरह लेटा देखा तो उसे हंसी आई और दया भी | शेर ने पूछा -”तुझे क्या कष्ट है जो इस तरह पेट के सहारे लेटा है?”

“हजूर ! में कई दिन से भूखा हु | यदि आप आज्ञा दे तो में आपकी सेवा करना चाहता है |”

“ठीक है, चल चल मेरा साथ|” शेर के कहा |

गीदड़ शेर के साथ चल दिया | गुफा में जो कुछ मांस पड़ा था, उसे देकर शेर ने कहा – “आज इतने से ही काम चला | कल से तेरे हिस्से का भी लेकर आउगा |”

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ध्यान मग्न तोता

एक सुबह अकबर का एक सेवक बीरबल के घर पहुंचा | वह दुखी और प्रेशान था |

“क्या बात है अली |” बीरबल ने पुछा |

“श्रीमान मेरा जीवन खतरे में है | केवल आप ही मुझे खतरे से बाहर निकाल सकते है |” अली ने जवाब दिया |

“में अपनी तरह से पूरा प्रयास करुगा परन्तु पहले यह तो बताओ की बात क्या है?” बीरबल ने खा |

अली ने बताया, “श्रीमान, कुछ महीने पहले एक फकीर ने महाराज को एक तोता दिया था | महाराज ने वह तोतो मुझे दिया और उसकी अच्छी तरह से देखभाल करने को का निदेश दिया और साथ ही उन्होंने या निर्देश भी दिया की यदि कोई भी व्यक्ति इसकी मुर्त्यु की सुचना उनके पास ले जायगा तो उसे मुत्यु दंड दिया जायगा | श्रीमान अच्छी से अच्छी देखभाल करने और विशेष ध्यान रखने के बावजूद भी आज सुभ मेने उसे पिंजरे में मर हुआ पाया | अब मुझे अपने जीवन का भय हो रहा है |”

बस इतनी सी बात है| घबराओ नहीं | तुम अपने घर जाओ और सब कुछ मुझ पैर छोड दो | यह सुचना महाराज तक में पहुचा दुगा |” बीरबल ने अली से कहा |

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बोल का मोल

एक आदमी बूढा हो चला था | उसके चार बेटे थे | बेटे यो तो सभी कम जानते थे | किन्तु बोलचाल और आचरण में चारो एक जैसे न थे | पिता ने कई बार उनसे कहा – “यदि तुमने अपनी बोलचाल और आचरण नहीं सुधारा तो जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते |” किन्तु पिता की बात को कोरा उपदेश समझकर बेटो ने कभी ध्यान नहीं दिया |

एक बार को बात है | चारो बेटे और पिता लंबी यात्रा पैर जा रहे थे | इस यात्रा के बिच उनके पास खाने  पिने को कुछ भी न बचा था | जो धन था वह भी ख़त्म हो चूका था | वे लोग कई दिन से भूखे थे | बस यही चाहते थे की किसी तरज ज़ल्दी से ज़ल्दी अपने घर पहुच जाये|

पांचो एक जगह सडक के किनारे विश्राम कर रहे थे | तभी एक व्यापारी अपनी बेलगाडी को हांकता हुआ निकला | वह व्यापारी किसी मेले में जा रहा था | उसने बेलगाडी में तरह-तरह के पकवान और मिठाई भर रखी थी वह उन्हें बेचने के लिए जा रहा था |

पकवाने और मिठाईयो की महक से पांचो में मुंह में पानी आने लगा | बूढे ने कहा – “जाओ व्यापारी से मागो | शायद कुछ खाने को दे दे |”

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मनुष्य की इच्छाएँ

मनुष्य की इच्छाएँ कभी खतम  नही होती | मानव की इछाये कुछ देर के लिये तो सुख देती पर मन की शांती नही दे सकती | मन एक प्रकार का रथ है जिसमे कामन, करोध, लोभ, मोह, अंहकर, ओर घृणा नाम के साथ अश्व जुटे है | कामना इन सब से प्रमुख है |

मन के तीन विकार होते है:- तामसिक, राजसिक व् सात्विक | तामसिक मन हमेशा दुसरो को नुकसान पहुचाने में आनंद प्राप्त करता है और राजसिक मन अहंकार व् शासन की बात सोचता है और सात्विक हमेशा प्रेम और शांति ही चाहता है| विवेक से ही मन को शांत और काबू में किया जा सकता है | मनुष्य के भीतर कामना, मोह, व् अंहकार जेसी जो व्रतिया है उनके सकारात्मक रूप भी है | माता पिता अपने बच्चो को कभी दुख नहीं दे सकते इसलिए कामना करते है की उनके बच्चे हमेशा सुखी रहे | मन का प्रेम ही उन्हें सन्तान के लिए बलिदान करने को भी तत्पर करता है | उनका इसमें कोई स्वार्थ नहीं होता है बस होती है तो कामना और आशीर्वाद | इसी तरह मोह का भी उदारण भी है | जब कोई युवक किसी युवती के प्रति आकर्षित होता है तो वह उसके अवगुण नहीं देखता और उसकी तरह खिंचा चला जाता है | पहले तो येन केन प्रकारेण वह उसे पाना चाहता है और पा लिया तो खोना नहीं चाहता है | उसका अंह जब जगता है तो वह खुद को उसकी नजरो में उठाने के लिए तरह-तरह से हाथ पैर मरता है | इस तरह वह अपने प्यार को पाने में सफल होता है |

नकारात्मक रूप में अंह मानव का दुश्मन भी है क्योकि यह दुसरो से बेमतलब मुकाबला करवाता है | इससे ग्रस्त व्यक्ति तरह-तरह की इच्छाएँ पलता है  और जब उससे नहीं मिलती तो बेमतलब दुखी भी हो जाता है | परन्तु अगर अंह सकारत्मक हो तो मानव का जीवन आनंद मय हो जाता है | मन को किस दिशा में ले जाना है वो इन्सान के हाथो में होता है | चाहे तो अच्छी जगह पर लगा दे या बुरी जगह पर | संतो ने कहा है: कामनाओ का अंत विनाश है | तो सवाल उठता है की क्या इनका त्याग कर देना चाहिए? क्या इन्सान को बड़ा बनने का सपना नहीं देखना चाहिए?

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मुर्ख और ज्ञानी

एक दिन एक समस्या को सुलझाने के बाद बादशाह ने बीरबल से कहा, “बीरबल, क्या तुम जानते हो कि एक मुर्ख और ज्ञानी व्यक्ति में क्या अंतर है ?” “जी महाराज में जानता हु | “ बीरबल ने कहा “क्या तुम विस्तार से बता सकते हो ?” अकबर ने कहा | “महाराज, वह व्यक्ति जो … Read more