क्या हुआ परिणाम जब किया गधे ने कुते का काम

एक गाँव में एक धोबी जिस का नाम शामलाल था | उसके पास एक गधा और एज कुता था और दोनों से ही वह काम लेता | कुता घर की देखभाल करता और गधे से मेले कपड़े लादता और घाट तक पहुचता था घोबी कपड़े धोता और सूखने के लिए डाल देते और कुता उसकी रखवाली करता और तब तक घोबी गधे पर बेठ कर घर चले जाता और आराम करता | शाम होते ही वह घाट पर आता और सूखे कपड़े गधे पर लाघ कर घर चले जाता |

गधा अपनी जिन्दगी से थक चूका था और उसे कुत्ते को देख कर और भी बुरा भी लगता क्योकि उसे लगता की कुता कोई काम नहीं करता था बस सारा दिन आराम से बेठता, मालिक की खोद में खाना खाता और कभी कभी भोक्ता था |

उसने सोचा की एक दिन वो भी कुते की जिन्दगी बितायेगा, चोरो को देखकर चिल्लाएगा, मालिक की गोद में बेठ कर रोटी खायेगा | और अपनी जिन्दगी आराम से बिताएगा |

गधे ने अपनी मन की बात कुते को बताई | यह बात सुनकर कुता बोला, “देखो भाई, पहरेदारी का काम मेरा है और यह मुझे करने दो और तुम्हारा काम बोझा उठाने का | इसलिए मालिक ने दोनों को अपना अपना काम करने को दिया है |”

गधे को यह बात पसंद नहीं आई और उसने मन ही मन सोच लिया था की कुता चाहे कुछ भी बोले, में तो एक दिन कुते की जिन्दगी जिउगा |

एक दिन की बात है कुता घाट पर पहरेदारी कर रहा था और मालिक अपने घर पर आराम कर रहा था की अचानक उसे कुछ आवाजे सुनी दी | उसने देखा की कुछ चोर छुपे से घर में घुस रहे थे तभी उसको कुते की याद आई, उसने सोचा अगर कुता होता तो इस समय जरुरु भोंकता और मालिक को सावधान करता |

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क्या रावन अभी भी जीवित है ?

बहुत पुरानी बात है एक बार दशहरे के अवसर पर राजा हरिदेव राय ने अपने सभी दरबारियों को अलग – अलग झकिया तेयार करने के लिए कहा | और एक इनाम की रकम गोषित कर दी की जिसकी भी झाकिय सबसे अच्छी होगी उसको इनाम की रकम दी जाएगी | या सुनकर दरबारियों में उत्क्स्ता बड गई और तेनाली दास और सभी साथी भी झकिया तेयार करने में जुट गई |

दशहरे का दिन आ गया | राजा ने सभी दरबारियो की झकियो का निरक्षण किया | सभी की झकिया राज्य का इतिहास और संस्कृति को दर्शा रही थी तथा कुछ झकिया राज्य के लोगो और प्रक्रतिक सोंदर्य को दर्शा रही थी | राजा को सभी की झकिया अच्छी लग रही थी सभी दरबारियों ने बहुत मेहनत की थी अपनी अपनी झकियो को अच्छा दिखने के लिए | सभी दरबारियों ने झकिया बनाई थी परन्तु राजा को तेनाली दास की झकी नहीं दिख रही थी राजा के पूछने पर किसी इ बताया की तेनाली दास दूर एक पहाड़ी पर बेठा हुआ है |

राजा उसी समय पहाड़ी की तरफ निकल पड़ा | वहा पहुच कर राजा ने तेनाली दास को एक डरावनी और कोफ्नाक मूर्ति के पास बेठा था | राजा ने उस से पूछा, “क्या यही झकी तेयार की है तुमने “

तेनाली दास ने मूर्ति से कहा, “महाराज को जवाब दो मृति, महाराज कुछ पूछ रहे है | तभी मूर्ति में से अवाज आई | हे महाराज में उसी रावन की आत्मा हु जिसको हर साल आप लोगो जलाते है | आप लोग जलाते तो है परन्तु में कभी नहीं मरता | में तो सभी के अंदर रहता हु हर वक्त | दिन प्रति दिन मेरी ताकत में वृधि हो रही है | और में अपने साथ गरीबी, भूख, दुःख, क्रोध, शोषण आदि भी लाया हु |

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वीर बालक

सर्दियों के दिन थे | सवेरे का समय था | उस दिन राम अकेला ही अपने स्कूल जा रहा था | उसके स्कूल के रास्ते में रेल की पटरी पड़ती थी | उस दिन उसने देखा की एक जगह से रेल की पटरी उखड़ी हुई थी |

बालक तुरंत समझ गया की यह एक बहुत बड़ी बात है जिसका भयंकर परिणाम हो सकता है | वह सोचने लगा, “अभी गाड़ी आएगी | वह यहाँ पर गिर जाएगी |

और उसी समय दूर से गाड़ी के इंजन की चीख सुनाई दी | फिर गाड़ी की धडधड की आवाज सनाई दी | बालक सुनते ही काप उठा | वह सोचने लगा की क्या करे? उसने ठान लिया था की वह उन सभी लोगो की जान बचाएगा जो उस गाड़ी में बैठे है |

अब गाड़ी और पास आ गई थी | राम तभी दोनों पटरियों के बीच में खड़ा हो गया | उसने अपनी जान की परवाह नहीं की | उसने तुरंत अपनी सफेद कमीज उतारी और जोर जोर से हिलाने लगा |

ड्राईवर की नजर उस बालक पर पड़ी | उसने झट से ब्रेक लगा दी | और इंजन थोरी सी ही पहले आ कर रुक गया | ड्राईवर ने गुस्से से उसे पूछा – “ओये लडके ये क्या कर रहा है मरना है क्या?”

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अपनी शक्ति को जानो

 

एक गीदड़ बहुत भूखा था कई दिन से ठीक भोजन न मिलने के कारण वह कमजोर हो गया था | इतनी ताकत भी न थी की स्वंय शिकार करके खा सके |

थोड़ी देर में उसने एक शेर को आते देखा | शेर ने एक भेंसे का शिकार किया था | वह खा पीकर अपनी गुफा की और लोट रहा था | गीदड़ भूख और कमजोरी के कारण शेर को देखकर कापंने लगा | जेसे ही शेर निकट आया, गीदड़ पेट के बल लेट गया |

शेर ने गीदड़ को इस तरह लेटा देखा तो उसे हंसी आई और दया भी | शेर ने पूछा -”तुझे क्या कष्ट है जो इस तरह पेट के सहारे लेटा है?”

“हजूर ! में कई दिन से भूखा हु | यदि आप आज्ञा दे तो में आपकी सेवा करना चाहता है |”

“ठीक है, चल चल मेरा साथ|” शेर के कहा |

गीदड़ शेर के साथ चल दिया | गुफा में जो कुछ मांस पड़ा था, उसे देकर शेर ने कहा – “आज इतने से ही काम चला | कल से तेरे हिस्से का भी लेकर आउगा |”

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