वीर बालक

सर्दियों के दिन थे | सवेरे का समय था | उस दिन राम अकेला ही अपने स्कूल जा रहा था | उसके स्कूल के रास्ते में रेल की पटरी पड़ती थी | उस दिन उसने देखा की एक जगह से रेल की पटरी उखड़ी हुई थी |

बालक तुरंत समझ गया की यह एक बहुत बड़ी बात है जिसका भयंकर परिणाम हो सकता है | वह सोचने लगा, “अभी गाड़ी आएगी | वह यहाँ पर गिर जाएगी |

और उसी समय दूर से गाड़ी के इंजन की चीख सुनाई दी | फिर गाड़ी की धडधड की आवाज सनाई दी | बालक सुनते ही काप उठा | वह सोचने लगा की क्या करे? उसने ठान लिया था की वह उन सभी लोगो की जान बचाएगा जो उस गाड़ी में बैठे है |

अब गाड़ी और पास आ गई थी | राम तभी दोनों पटरियों के बीच में खड़ा हो गया | उसने अपनी जान की परवाह नहीं की | उसने तुरंत अपनी सफेद कमीज उतारी और जोर जोर से हिलाने लगा |

ड्राईवर की नजर उस बालक पर पड़ी | उसने झट से ब्रेक लगा दी | और इंजन थोरी सी ही पहले आ कर रुक गया | ड्राईवर ने गुस्से से उसे पूछा – “ओये लडके ये क्या कर रहा है मरना है क्या?”

Read more