एक गीदड़ बहुत भूखा था कई दिन से ठीक भोजन न मिलने के कारण वह कमजोर हो गया था | इतनी ताकत भी न थी की स्वंय शिकार करके खा सके |
थोड़ी देर में उसने एक शेर को आते देखा | शेर ने एक भेंसे का शिकार किया था | वह खा पीकर अपनी गुफा की और लोट रहा था | गीदड़ भूख और कमजोरी के कारण शेर को देखकर कापंने लगा | जेसे ही शेर निकट आया, गीदड़ पेट के बल लेट गया |
शेर ने गीदड़ को इस तरह लेटा देखा तो उसे हंसी आई और दया भी | शेर ने पूछा -”तुझे क्या कष्ट है जो इस तरह पेट के सहारे लेटा है?”
“हजूर ! में कई दिन से भूखा हु | यदि आप आज्ञा दे तो में आपकी सेवा करना चाहता है |”
“ठीक है, चल चल मेरा साथ|” शेर के कहा |
गीदड़ शेर के साथ चल दिया | गुफा में जो कुछ मांस पड़ा था, उसे देकर शेर ने कहा – “आज इतने से ही काम चला | कल से तेरे हिस्से का भी लेकर आउगा |”
अगले दिने शेर उसके लिए भोजन लाने लगा | घर बेठे भोजन पाकर गीदड़ बहुत खुश हुआ | कुछ ही दिनों में मुफ्त का भोजन करके वह खूब मोटा-तगड़ा हो गया | उसमे शक्ति भी आ गई | शेर की गुफा में रहने और शेर की कृपा प्राप्त करने के कारण धीरे – धीरे गीदड़ का दिमाग भी फिरने लगा |
गीदड़ जंगल में इस शान से घूमता जैसे कुछ विषेस अधिकार मिल गए हो | वह अपनी गीदड़ जाती को नफरत की नजर से देखता | तेदुओ और भेडियो पर इस तरह रॉब जमाता जैसे उनका अफसर हो | भालू, लोमड़ी, खरगोश आदि को तो वह मुर्ख समझने लगा था | उसका घमंड देखकर जंगल के जानवर उससे चिढने लगे | वे चाहते तो बड़ी आसानी से गीदड़ का घमंड मिटा सकते थे | परन्तु वे जानबूझकर शेर को नाराज नहीं करना चाहते थे |
उधर गीदड़ ने सोचा की अब में भी शेर की तरह ताकतवाला हो गया हु | में किसीसे कम नहीं हू | आखिर एक दिन उसका घमंड इतना बढ़ गया की वह हाथी का शिकार करने की बात सोचने लगा |
उसने शेर से कहा – “हुजुर | आपकी गुफा में रहकर भोजन करते – करते अब काफी दिन हो गए है | में चाहता हु की अब आप आराम करें और में शिकार करू | में हाथी का शिकार करना चाहता हु |”
शेर ने कहा – “अरे मुर्ख | कहा हाथी जैसा ताकतवाला विशालं जानवर और कहा तू गीदड़ | शिकार करना तेरा काम नहीं है | जिसका जो काम है, उसे वही करना चाहिए | में तुझे हाथी मरकर दुगा | मेरा कहना मान जा |”
शेर जंगल में चला गया | इधर गीदड़ गुफा से बहार निकला | उसे तो अपनी ताकत पर बड़ा घमंड हो गया था | उसने एक हाथी को जाते देखा | बस, उसके पीछे लग गया | जंगल के जानवरों ने गीदड़ को इस तरह हाथी का पीछा करते देखा तो कुछ समझ न पाए | गोदड ने बड़ी शान से उन्हें इशारे से बताया की वह उसका शिकार करेगा |
आखिर गीदड़ आगे जाकर एक ऊँची चट्टान पर चढ़ गया | जैसे ही हाथी वहा से निकला की गीदड़ गरदन पर हमला करने के लिए कूड़ा | लेकिन वह हाथी के पेरो के पास जा गिरा | हाथी ने तुरंत अपना पैर उसपर रख दिया | गीदड़ वहो चकनाचूर हो गया |
शेर ने दूर से यह द्रश्य देखा | वह उसके पास आया | जंगल के जानवरों को उसने गीदड़ के घमंड का फल दिखाकर कहा – “ अपनी ताकत को जाने बिना, अपने से ज्यादा बलवान से भिड जानेवाले का यही हल होता है | जो अपनी शक्ति और बल को जानकर, शक्ति के भीतर काम करता है, वही सफलता प्राप्त करता है |
सीख: जिसका जो काम हो, उसी को वही काम करना चाइये और अपनी ताकत पर घमंड नहीं करना चाइये |