फुट पतन का कारण बनती है |

एक बार की बात है की एक जंगल में तीन साड रहते थे | वे तीनो बहुत ही बलवान थे और तीनो ही पक्के दोस्त भी थे | वो जहा भी जाते सबे साथ साथ जाते थे | वो हमेशा एक साथ ही रहते थे और उनकी यह एकता देख कर सभी जंगल के जानवर उनसे डरते थे | किसी की भी हिमत नहीं थी उनसे लड़ने की | फलत: वह अपने दुश्मनों से पूरी तरह से सुरक्षित थे | उन्हें एक साथ देख कर वन का राजा सिंह भी उनके पास आने से डरता था |

उसी वन में एक लोमड़ी भी रहती थी | वह जब भी उन सांडो को एक साथ देखती तो उसके मुह में पानी आ जाता था | परन्तु उनके पास जाने से डरता थी | लोमड़ी ने एक दिन बहुत सोच समझकर एक योजना बनाई |

उसने सांडो में फुट डालने की योजना बनाई | उसने इस योजना में अपने दोस्त लोमड़ी की भी मदद ली | दोनों लोमडियो ने एक एक सांड के पास गए | पहले तो उनकी बहुत तारीफ की और फिर उन्होंने एक दुसरो ने कान भरने सुरु कर दिए और उनमे शत्रुता का बीज बो दिया | फलत: वे परस्पर अलग हो गए |

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भाग्य को न कोसे

वर्षा ऋतू का सुहावना दिन था | जंगल के सभी जानवर, पशु पक्षी बहुत खुश थे | उसी वन में एक मोर भी रहता था और वह मोर वन में अत्यंत प्रसन्नतापूर्वक नाच रहा था | नाचते समय अचानक उसे अपने भदे और अप्रिय स्वर का ध्यान आ गया और वो चुप हो गया | वह बहुत उदास हो गया और उसकी आँखों में आंसू आ गए |

ठीक उसी समय उसे सामने एक पड़े पर एक बुलबुल दिखाई पड़ गई | उसे सुन कर वह और दुखी हो गया और सोचने लगा, “कैसा मीठा स्वर है इसका और सभी उसकी प्रंशसा करते है | और मेरा स्वर सुन कर सभी मेरा मजाक उड़ाते है | कितन अभागा हु में |

उसी जंगल में एक ऋषि भी रहते थे और वो इस प्रकार मोर को दुखी देखकर बोले, “प्रिय मोर. इस प्रकार उदास मत हो और न ही अपने भाग्य लो कोसे | इस संसार में भगवान ने सभी जीवो को भिन्न भिन्न देन दी है जैसे आपको सुन्दरता, गरुड को बल, बुलबुल को सुरीला स्वर और सभी को अलग अलग देन दी है | आप इस प्रकार दुखी को कर न तो अपने भाग्य को और न ही अपने ईश्वर को कोसे | बल्कि आप उस परमात्मा को ध्यान्वाद दे की उसने आप को इतना सुन्दर बनाया है की सभी आप को देख आर मोहित हो जाते है |

 

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संगत का असर

एक शाम अकबर और बीरबल शाही उधान में प्रसन्नतापूर्वक टहल रहे थे | बीरबल ने बादशाह अकबर से टिप्पणी करते हुए कुछ कहा, जो बादशाह को पसंद नहीं आया | परन्तु बीरबल ने इस पैर ध्यान नहीं दिया | वह अप्रत्यक्ष रूप से बादशाह के साथ मजाक करता रहा | कुछ समय बाद जब बादशाह अपने क्रोध पैर काबू नहीं रख पाए तो वे चिल्लाते हुए बोले, “अपने बादशाह की शान में इस प्रकार कहने की तुम्हारी हिम्मत केसे हुई?” यह सच है की में तुम्हारी बुदिमता से प्रभावित होता हु | परन्तु में यह देख रहा हु की तुम अपनी सीमाओं को पार कर रहे हो | में यह देख रहा हु की तुम्हारा व्यवहार असभ्य हो गया है |

और हमेशा की तरह अपनी बुदी का प्रयोग करते हुए वह बादशाह अकबर के सामने झुका और बोला, “महाराज, यह मेरी गलती नहीं है, यह सब मेरी संगत का असर है | आपके साथी आपके व्यवहार को प्रभावित करते है |”

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