जिन्न का अंत

end of spirit

रवि बहुत बुदिमान लड़का था एक बार की बात है वह अपने गाँव से दुसरे गाँव जा रहा था और रात होने वाली थी | रास्ते में जाते समय उसको लगा उसने कोई आवाज सुनी है जैसे कोई कहा रहा हो, “बचाओ, बचाओ, मुझे यहाँ से बहार निकालो | रवि ने उधर – इधर देखा … Read more

सोनू हलवाई को मिली सजा

बाजार में एक सोनू हलवाई की दुकान थी उसकी मिठाई पुरे शहर में महशूर थी | सारे के सारे लोग उसी से मिठाई लेते थे |

एक दिन के बात है इसकी मिठाई की दुकान के सामने से एक हाथी गुजरा | यह देखा सोनू हलवाई ने उसे दो केले दिए | हाथी ने दोनों केलो को खा लिया और वहा चल दिया, कुछ देर बाद हाथी को पियास लगी और वो पास के ही एक तलाब की और चल पड़ा |

वह पहुच कर उसने खूब पानी पिया और खूब सारा नहाया | आते समय हाथी ने एक फूल तोडा और उस हलवाई को दिया जिसने उसे गो केले दिए थे | फूल पा कर सोनू हलवाई वहुत खुश हुआ |

अब यह सिलसिला हर रोज चलता, सोनू हलवाई उसे कुछ न कुछ खाने को देता और हाथी उसे हर रोज एक फूल देता | एक दिन के बात है सोनू हलवाई को एक शरारत सूझी | उस दिन जब हाथी ने अपनी सुड खिड़की के अंदर डाली तो सोनू हलवाई ने उसकी सुड ने लाल मिर्च डाल दी | हाथी बहुत जोर से चिलाया और तलाब के तरफ दोडा |

तलाब पहुच कर वह खूब नहाया और अपनी सुड में गंदा पानी भर लिया और सोनू हलवाई की दुकान की तरफ चल पड़ा | वहा पहुच कर उसने सारा गन्दा पानी उसकी मिठाइयो पर फ़ेंक दिया और उसकी सारी मिठाई खराब कर दी |

यह देखर सोनू हलवाई बोला, अरे हाथी, यह तूने क्या कर दिया ?”

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जैसी करनी वेसी भरनी

एक जंगल में एक चिड़िया और और उसका पति चिड़ा रहा करते थे | जब चिड़िया माँ बनी तो दोनों बहुत खुश हुए | एक दिन की बात है | चिड़िया और चिड़ा अपने अंडो के पास बेठे थे की अचानक वहा पर एक हाथी आ गया और उस पेड़ को जोर जोर से हिलाने … Read more

मोजी सोनू का हुआ बुरा हाल

एक जंगले में एक गिलहरी रहती थी | उसका नाम सुनहरी था | उसी पेड़ के नीचे एक खरगोश भी रहता था जिसका नाम सोनू था खरगोश बहुत ज्यादा आलसी था | सुनहरी हमेशा उसे समझाया करती थी आलसी बनना अच्छी बात नहीं है | कुछ खेला करो, कुछ काम किया करो |

सुनहरी की बातो को सोनू हंसी में टाल दिया करता था | उस जंगल में रहने वाले सभी जानवर बहुत काम किया करते थे | हाथी, भालू, बाकि छोटे बड़े भी | हाथी दादा का अपना खेत था जिसमे वह हल चलाया करता था, पानी देता और मजे से अपने खेतो के गन्ने खाया करता था |

जब भी सोनू को भूख लकती वह, हाथी दादा के खेतो में चला जाता और वहा जा कर हाथी दादा की बहुत प्रंशसा करता | यह सब सुनकर हाथी दादा खुश हो जाता और उसे गन्ने खाने देता | सोनू का सिर्फ यही काम था | कभी किसी के घर तो कभी किसी के घर जा कर उसकी प्रंशसा करता और मुफ्त का खाना खता |

बहुत समय तक ऐसा ही चलता रहा | गर्मिया खत्म होने लगी थी और बरसतो दे दिन आने वाले थे | सभी जानवर अपने अपने घरो में खाने पीने का सामान इकठा कर रहे थे | पर सोनू यही सोचता था की मुझे क्या जरूरत है | में तो किसी न किसी ने घर चला जाऊगा और खाना खा लुगा |

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सोनू को हुआ पश्तावा

सोनू बहुत जादा शरारती था | वह हर किसी से मजाक करता रहता था चाहे वो उसके सहपाठी हो या अध्यापक | वो किसी को भी नहीं छोड़ता था | वह हर किसी के बीच में झगड़ा करवा देता था | उसके दोस्त, माता-पिता, अध्यापक सभी के सभी प्रत्यन करते रहते थे की वो अपनी शरारते बंद कर दे, परन्तु वो किसी न सुनता था |

एक दिन, दोपहर का वक्त था, सोनू अपने दोस्तों के साथ विध्यालय से घर जा रहे थे की अचानक सोनू की नजर एक लगडे पर पड़ी जो बेसखियो के सहारे चल रहा था | उसने उसे भी नहीं छोड़ा, उसका भी मजाक उड़ाना सुरु कर दिया | उसके दोस्त ने उसको बहुत समझाया की किसी अपाहिज का मजाक नहीं उड़ाते | लेकिन सोनू नहीं रुका और चिल्लाकर बोला, “अरे ओ लगडे, तू बीच सडक पर क्यों चल रहा है | कोई गाड़ी आ कर तुझे कुचल देगी | तू तो अपने पेरो पर चल भी नहीं सकता | तू अपनी रक्षा कैसे करेगा | उसने मजाक मजाक में उस लगडे की बैसाखी को ताग मार कर नीचे गिरा दिया | यह देखा कर दुसरे दोस्त ने उस लगडे की मदद की और उसे खड़ा किया |

खड़ा होते ही वह लगडा सोनू की तरफ बात करने के लिए बड़ा | परन्तु सोनू ने सोचा की वह उसे मारना चाहता है | इसलिए वह भाग कर सडक के दुसरे किनारे पर चला गया और दूसरी और पहुचकर कर वहा से भाग गया और उसी वक्त उसकी एक कार से टक्कर हो गई | सडक पर वह बेहोश पड़ा था की वह उसी वक्त वो लगडा आ गया और उसके दोस्तों की मदद से उसे अस्पताल पहुचाया और अपना खून देकर उसकी जान बचायी |

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