मोजी सोनू का हुआ बुरा हाल

एक जंगले में एक गिलहरी रहती थी | उसका नाम सुनहरी था | उसी पेड़ के नीचे एक खरगोश भी रहता था जिसका नाम सोनू था खरगोश बहुत ज्यादा आलसी था | सुनहरी हमेशा उसे समझाया करती थी आलसी बनना अच्छी बात नहीं है | कुछ खेला करो, कुछ काम किया करो |

सुनहरी की बातो को सोनू हंसी में टाल दिया करता था | उस जंगल में रहने वाले सभी जानवर बहुत काम किया करते थे | हाथी, भालू, बाकि छोटे बड़े भी | हाथी दादा का अपना खेत था जिसमे वह हल चलाया करता था, पानी देता और मजे से अपने खेतो के गन्ने खाया करता था |

जब भी सोनू को भूख लकती वह, हाथी दादा के खेतो में चला जाता और वहा जा कर हाथी दादा की बहुत प्रंशसा करता | यह सब सुनकर हाथी दादा खुश हो जाता और उसे गन्ने खाने देता | सोनू का सिर्फ यही काम था | कभी किसी के घर तो कभी किसी के घर जा कर उसकी प्रंशसा करता और मुफ्त का खाना खता |

बहुत समय तक ऐसा ही चलता रहा | गर्मिया खत्म होने लगी थी और बरसतो दे दिन आने वाले थे | सभी जानवर अपने अपने घरो में खाने पीने का सामान इकठा कर रहे थे | पर सोनू यही सोचता था की मुझे क्या जरूरत है | में तो किसी न किसी ने घर चला जाऊगा और खाना खा लुगा |

और वही हुआ, एक दिन जंगल में बहुत दिनों तक तेज बारिश शुरू हो गई |सभी जानवर अपने अपने घर आराम से बेठे और खाना खाते और साथ साथ बारिश के मजे लेते | परन्तु सोनू ने तो अपना घर भी ठीक नहीं करवाया था | बारिश में उस घर सारा भीग गया | उसने सोचा चलो अब हाथी दादा के घर चल के रहते है और वही के खाना खाते है | यह सोच कर वह चल पड़ा | हाथी दादा ने उसे देख कर अपने घर का दरवाजा ही नहीं खोला | उसने सोचा शायद सो रहे होगे चलो कोई नहीं में भालू के पास चले जाता हु | परन्तु यहाँ भी वही हुआ | भालू ने भी दरवाजा नहीं खोलो और अंदर से ही कह दिया, “सोनू| तू खुद तो मेहनत करता नहीं और दुसरो से मेहनत में अपना हिस्सा लेने आ जाता है | तुम्हारी यह आदत अच्छी नहीं है |”

सोनू पूरी तरह से भीग गया और अब उसे ठंड भी लग रही थी | वह चलते कहते बार – बार गीर रहा था | उसके अपने गोर रंग पर जो घमंड था वो भी चूर चूर हो गया क्योकि कीचड़ की वजह से उसका गोरा रंग काला हो गया था | वह चलते चलते बेहोश हो गया | उस लगा कोई उसके शरीर को प्यार कर रहा है | उसने थोड़ी सी आँखे खोली और देखा सुनहरी छतरी लिए खड़ी है | सुनहरी बोली, “अगर तुम ने मेरी बात मान ली होती तो आज तुम्हारी यह दशा न होती | अब भी देर नहीं हुई है अब भी सुधर जाओ |”

सोनू रोते हुए बोला, “बहन मुझे क्षमा करो, आज से में भी मेहनत करुगा और हमेशा तुम्हारी सारी बाते मानुगा” | और फिर सुनहरी उसे अपने घर लेगी और गर्म गर्म चाय दी और खाना खिलाया |

अब सोनू समझ गया था हमे समय रहते अपना काम कर लेना चाहिए, कभी भी आलस नहीं करना चाहिए |

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