राज एक कटोरी दूध का?

बहुत पुरानी बात है एक गाँव में एक किसान अपनी पत्नी के साथ रहा करता था उसके पास उसकी सिर्फ थोड़ी सी जमीन थी जिस पर वो और उसकी पत्नी दोनों खेती किया करते थे ओस उसके पास उसको पास के बजार में बेच आते थे | उसी पेसो से उनको घर बार चलता था |

एक बार की बात है दिवाली से कुछ दिनों पहले वो अपने घर की साफ सफाई कर रहे थे की अचानक उनको अपने घर के नीचे छिपे सोने का एक सिक्का मिला | यह देख कर दोनों बहुत खुश हुए | उससे दोनों ने कुछ और बीज और खेती करने के लिए खाद खरीद ली  जिसकी वजह से इस बार उनकी फसल और अच्छी हुई |

अगले साल भी वो दीपावली पर अपने घर की सफाई कर रहे थे की उन्हें फिर से ३ सोने के सिक्के मिले और इस बारे उन्होंने अपने खेतो के लिए दो बेल ले लिए, जिससे की खेतो को जोतने में आसानी हो | इस बार फसल पहले से भी अच्छी हुई और उनको काफी पैसे मिले |

अगले साल भी फिर से उन्हें ३ सोने के सिक्के मिले | इस बार दोनों ने एक गाय ले का फेसला किया | जिसका दूध बेचकर पैसा कमा सके | अब उनके पास सब कुछ था और वो अपनी जिन्दगी अच्छे से जी रहे थे | धीरे – धीरे उन्होंने ने कुछ और जमीन ले ली और ज्यादा खेती करने लगे |

इस साल फिर से उन्हें ३ सोने के सीके मिले | इस बार उन्होंने ने सोचा की क्या करे, हमारे पास सब कुछ है | तो इस बार हम एक पालतू जानवर लेगे तो उन्होंने एक बिल्ली ले ली | किसान की पत्नी उन बिल्ली को बहुत प्यार करती थी | उसे हर रोज दूध मलाई खिलाती  और खूब सारा प्यार करती |

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सोच का परिणाम

बहुत पुरानी बात है एक बार नारदजी की प्रथ्वी – भ्रभन के दोरान अपने एक भक्त से मुकालात हुई | वह बहुत परेशान था अपनी पत्नी से इसलिए उसने नारदजी से प्राथना की उससे अपनी कर्कश-लड़ाकू पत्नी से बचा लो| उन्होंने उसको वादा किया और कहा ठीक है में तुम्हारी मदद करुगा परन्तु पहले में स्वर्ग जायेगे | नारदजी उसे अपने साथ ले गए और स्वर्ग के दरवाजे के बाहर बिठा दिया और खुद स्वर्ग के अंदर चले गए |

वह आदमी वहा पड़े के नीचे खड़ा ठंडी हवा खा रहा था की उसके मन में एक विचार आया की काश मेरे पास एक कुर्शी होती तो में यहाँ पेड़ के नीचे बेठ जाता | उसी समय उसके पास कुर्शी आ गुई क्योकि वह कल्पव्रक्ष के नीचे बेठा था पर इच्छा-पूर्ति के लिए प्रसिद था | कुछ देर बाद उसने सोचा “मेरे पास एक सोने का पंग होता जिस पर में सो सकता और अगले ही पल उसके पास पलंग आ गया और वो उस पर सो गया | अगले ही पल उसने सोचा काश यह कोई मेरे पैर दबा दे और देखते ही देखते वहा पर दो सुंदर अप्सराये आ गुई और उसके टांगे दबाने के लिए प्रकट हो गई |

थोड़ी देर बाद उसने अपनी पत्नी का स्मरण हो आया और उसने सोचा, “अगर मेरी पत्नी ने मुझे इन दो इस्त्रियो के साथ देख लिया तो मुझे मार ही डालेगी |” और उसी समय वहा उसकी पत्नी प्रकट हो गई एक मोटे डंडे के साथ | जैसे ही उसने अपनी पत्नी को देखा, वह पुरु जोर से उठ कर वहा से भागने लगा | यह देख कर उसकी पत्नी भी उसके पीछे पीछे हो ली |

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सोनू को हुआ पश्तावा

सोनू बहुत जादा शरारती था | वह हर किसी से मजाक करता रहता था चाहे वो उसके सहपाठी हो या अध्यापक | वो किसी को भी नहीं छोड़ता था | वह हर किसी के बीच में झगड़ा करवा देता था | उसके दोस्त, माता-पिता, अध्यापक सभी के सभी प्रत्यन करते रहते थे की वो अपनी शरारते बंद कर दे, परन्तु वो किसी न सुनता था |

एक दिन, दोपहर का वक्त था, सोनू अपने दोस्तों के साथ विध्यालय से घर जा रहे थे की अचानक सोनू की नजर एक लगडे पर पड़ी जो बेसखियो के सहारे चल रहा था | उसने उसे भी नहीं छोड़ा, उसका भी मजाक उड़ाना सुरु कर दिया | उसके दोस्त ने उसको बहुत समझाया की किसी अपाहिज का मजाक नहीं उड़ाते | लेकिन सोनू नहीं रुका और चिल्लाकर बोला, “अरे ओ लगडे, तू बीच सडक पर क्यों चल रहा है | कोई गाड़ी आ कर तुझे कुचल देगी | तू तो अपने पेरो पर चल भी नहीं सकता | तू अपनी रक्षा कैसे करेगा | उसने मजाक मजाक में उस लगडे की बैसाखी को ताग मार कर नीचे गिरा दिया | यह देखा कर दुसरे दोस्त ने उस लगडे की मदद की और उसे खड़ा किया |

खड़ा होते ही वह लगडा सोनू की तरफ बात करने के लिए बड़ा | परन्तु सोनू ने सोचा की वह उसे मारना चाहता है | इसलिए वह भाग कर सडक के दुसरे किनारे पर चला गया और दूसरी और पहुचकर कर वहा से भाग गया और उसी वक्त उसकी एक कार से टक्कर हो गई | सडक पर वह बेहोश पड़ा था की वह उसी वक्त वो लगडा आ गया और उसके दोस्तों की मदद से उसे अस्पताल पहुचाया और अपना खून देकर उसकी जान बचायी |

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चालाकी का फल

बहुत पुरानी बात है| किसी गाँव में एक व्यापारी रहता था | उसका नाम मोहन था | मोहन गाँव नहर के किनारे बसा हुआ था | वह नमक का व्यापार करता था | उसके पास एक गधा था | वह रोज एक बोरी नमक गधे पर लादकर शहर ले जाता था | रोजाना एक ही रास्ते से आने-जाने के कारण व्यापारी का गधा शहर का रास्ता पहचान गया था |

मोहन भी समझ गया था की गधा शहर का रास्ता पहचाना गया है, इसलिए अब वह गधे पर नमक लादकर उसे अकेला ही शहर भेज देता था | उस शहर का व्यापारी गधे के ऊपर लदी नमक की बोरी उतार लेता था | इसके बाद गधा वापस लोट आता था | गाँव और शहर का रास्ते में नहर पडती थी, लेकिन नहर पर कोई पुल नहीं बना था, इसलिए नहर को उसमे से चलकर ही पार करना पड़ता था | बरसात के कारण एक दिन नहर में पानी बहुत बढ़ गया | जिससे गधे पर लदी हुई नमक की बोरी भीग गई |

पानी में भीग जाने से थोडा नमक पानी में घुल गया | जिससे बोरी कुछ हलकी हो गई | इससे गधे ने यह समझा की पानी में भीगने से बोझ कम हो जाता है | अब तो गधा रोज नहर के बीच में पहुचकर पानी में थोड़ी देर बेठ जाता | इससे बोरी गीली हो जाती और गीली होने से कुछ नमक पानी में बह जाता | इधर शहर के व्यापारी ने देखा की कुछ दिनों से नमक को बोरी पानी में भीगी हुई होती है | एक दिन उसने बोरी को तोलकर देखा | यह क्या? बोरी का भार तो सचमुच बहुत कम है | व्यापारी की समझ में कुछ नहीं आया की बोरी में नमक क्यों कम होने लगा है उसने मोहन को एक कागज पर यह सब लिखकर भेजा |

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