सोनू बहुत जादा शरारती था | वह हर किसी से मजाक करता रहता था चाहे वो उसके सहपाठी हो या अध्यापक | वो किसी को भी नहीं छोड़ता था | वह हर किसी के बीच में झगड़ा करवा देता था | उसके दोस्त, माता-पिता, अध्यापक सभी के सभी प्रत्यन करते रहते थे की वो अपनी शरारते बंद कर दे, परन्तु वो किसी न सुनता था |
एक दिन, दोपहर का वक्त था, सोनू अपने दोस्तों के साथ विध्यालय से घर जा रहे थे की अचानक सोनू की नजर एक लगडे पर पड़ी जो बेसखियो के सहारे चल रहा था | उसने उसे भी नहीं छोड़ा, उसका भी मजाक उड़ाना सुरु कर दिया | उसके दोस्त ने उसको बहुत समझाया की किसी अपाहिज का मजाक नहीं उड़ाते | लेकिन सोनू नहीं रुका और चिल्लाकर बोला, “अरे ओ लगडे, तू बीच सडक पर क्यों चल रहा है | कोई गाड़ी आ कर तुझे कुचल देगी | तू तो अपने पेरो पर चल भी नहीं सकता | तू अपनी रक्षा कैसे करेगा | उसने मजाक मजाक में उस लगडे की बैसाखी को ताग मार कर नीचे गिरा दिया | यह देखा कर दुसरे दोस्त ने उस लगडे की मदद की और उसे खड़ा किया |
खड़ा होते ही वह लगडा सोनू की तरफ बात करने के लिए बड़ा | परन्तु सोनू ने सोचा की वह उसे मारना चाहता है | इसलिए वह भाग कर सडक के दुसरे किनारे पर चला गया और दूसरी और पहुचकर कर वहा से भाग गया और उसी वक्त उसकी एक कार से टक्कर हो गई | सडक पर वह बेहोश पड़ा था की वह उसी वक्त वो लगडा आ गया और उसके दोस्तों की मदद से उसे अस्पताल पहुचाया और अपना खून देकर उसकी जान बचायी |
अगले दिन जब सोनू को होश आया तो उसके माता-पिता ने उसे सब कुछ बता दिया | सोनू की आँखों में आसू आ गए और वह जोर जोर से रोने लगा | वह अपनी गलती के लिए बहुत ज्यादा शर्मिंदा था | उसने उस लगडे से माफी मांगी और बोला आप ने मुझे जीवन का सबसे बड़ा पाठ सीखाया है और में वादा करता हु की में भविष्य में कभी भी किसी का भी उपहास नहीं करुगा |
सीख: कभी भी किसी का भी मजाक नहीं करना चाहिए