एक जंगल में एक चिड़िया और और उसका पति चिड़ा रहा करते थे | जब चिड़िया माँ बनी तो दोनों बहुत खुश हुए | एक दिन की बात है | चिड़िया और चिड़ा अपने अंडो के पास बेठे थे की अचानक वहा पर एक हाथी आ गया और उस पेड़ को जोर जोर से हिलाने लगा | यह देख कर चिड़िया डर गई |
चिड़ा और चिड़िया दोनों चिल्ला चिल्ला के हाथी को मना कर रहे थे परन्तु हाथी घुप और गरमी से पागल हो रहा था | हाथी ने पेड़ को इतनी जोर से झकझोर दिया की चिड़िया का घोंसला निचे गिर गया और सारे के सारे अंडे फुट गए |
चिड़ा और चिड़िया ने अपने टूटे हुए अंडो को देखा और जोर – जोर से रोने लगे | दनो के आंसू थम नहीं रहे थे | उन्हें रोता देख कर पास वाले पेड़ पर चिड़ा का दोस्त मिठू तोता रहता था और भी वहा आ गया और चिड़ा से पूछा, “यह कैसे हुआ भाई?”
चिड़ा ने सारी बात बताई तोते को और कहा में उस हाथी को नहीं छोड़ूगा | उसने मेरे सारे अंडो को फोड़ दिया | मुझे सिर्फ बदला चाहिए |
तोता कुछ देर सोच कर बोला, “मेरे पास एक तरकीब है उस हाथी को सबक सिखाने के लिए | कुछ ही दूर मेरी एक दोस्त मक्खी है | हम उस से मदद ले सकते है |”
चिड़ा बोला, “मिठू भाई कुछ भी करो बस मुझे बदला चाहिए |
तोता बोला, “ठीक है भाई, हम अभी चलते है उसके पास |”
तोते ने मक्खी को सारी बात सुनाई | सारी सुनते ही मक्खी बोली, “हाथी को सजा जरुर मिलनी चिहिए | मेरे एक दोस्त मेंढक है में उसे भी बुला लेती हु और सभी मिल कर उस हाथी को मजा सिखाते है |
थोड़ी देर में वहा मेंढक भी आ गया | मेंढक बोला, “तुम अब मेरी तरकीब से काम लो, तो हम हाथी को मजा सिखा सकेगे | अब सुनो, “सब से पहले हमे एक बहुत बड़ा गड्डा बनाना होगा फिर मक्खी तुम जाओ और हाथी के कानो में जाकर उसे तंग करो | वह तंग होकर वह पानी की तरफ भागेगा और में गड़े के पास जाकर टर – टर करुगा | मेरे टर – टर से हाथी समझे गा की यहाँ पानी है और बिना सोचे समझे उस गड़े में कूद जाएगा |
बिलकुल ऐसा ही हुआ | हाथी गड्डे में गिरा और गिरते ही मर गया |
सीख: आप जैसा काम करते है आपको वैसा ही फल मिलता है | तभी को कहते है जैसी करनी वेसी भरनी |