आज्ञाकारी बीरबल

बीरबल अकबर के दरबार का सबसे ईमानदार और वफादार मंत्री था | एक बार बादशाह अकबर कि सबसे प्रिय पत्नी ने बादशाह से मिलने के लिए अपना सेनिक संदेश लेकर भेजा क्योकि बादशाह सही दरबार में थे, इसलिय वह संदेश लेकर दरबार में ही पहुच गया | बादशाह ने सोचा कि में कार्य समाप्त करके ही जाऊगा | कुछ समय पश्चात महारानी ने संदेश भेजा | बादशाह अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे | इसलिय वह तुरंत कार्य छोड़ कर चलने लगे | बादशाह कि रानी से मिलने कि उत्सुकता को देखकर बीरबल अपनी मुस्कुराहट नहीं रोक पाया | उसे इस प्रकार मुस्कुराता देख बादशाह क्रोधित हो गए |

“मुझ पर इस प्रकार हंसने कि तुम्हारी हिम्मत केसे हुई ? तुम्हे तुम्हारे इस व्यवहार के लिए दंड दिया जायगा | में तुम्हे आदेश देता हु कि तुम अपने पैर जमीन पैर नहीं रखोगे | तुम यहाँ से चले जाओ|”

बीरबल ने बादशाह कि आज्ञा का तुरंत पालन किया और शाही दरबार छोड़ दिया | कई हफ्तों तक वह दरबार में नहीं गया | कई दरबारी जो उससे इर्षा करते थे वे प्रसन्न थे | बादशाह अकबर भी चिंतित हो उठे | वह बीरबल को अनुपस्थिति में खुद को असहाय महसूस का रहे थे | समस्याओ से उन्हें अकेले जूझना पड़ रहा था | जिनका वे कोई समाधान नहीं कर पा रहे थे | जबकि बीरबल चुट्कियो में बादशाह को समाधान बता देता था |

 एक शाम बादशाह अकबर महल कि खिड़की से बहार देख रहे थे | उन्होंने बीरबल को एक रथ में जाते देखा | बीरबल को बुलाने उनके सामने उपसिथत हुआ तो वह बोला “बीरबल तुमने मेरी आज्ञा का पालन क्यों नहीं किया?”

“में तो आपके आदेश का पालन कर रहा हु  महाराज | अपने कहा था कि में इस राज्य कि जमीन पैर पैर न रखू क्योकि यह राज्य आपका है | मेरे पास अन्य कोई विकल्प नहीं था | में दुसरे देश में गया और वाह से कुछ मिटटी ले कर आया हू | इस रथ में मैने वही मिटटी फेला राखी है | अब में आपकी जमीन पैर नहीं खड़ा हू | मुझे सारी जिंदगी इसी छोटे से रथ में गुजारनी होगी|”

बीरबल के बुदिमानी भरे उतर ने बादशाह का दिल जीत लिया और बादशाह ने उसे क्षमा कर दिया |

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