कोयल को पड़ा महगा, गीत गाना

एक कोयल थी जिसका नाम सुनहरी था वह बहुत लम्बा सफ़र करके एक जंगल पहुची, वहा एक पेड़ देख कर वहा रहने लगी | परन्तु वहा कुछ और पक्षी भी रहा करते थे उनको यह बात गवारा नहीं हुई | सब पक्षियों ने मिल कर उसे वहा से भगा दिया |

अगले दिन कोयल जंगल के बाहर एक पेड़ पर बेठी हुई थी जंगल में रहने वाली एक और कोयल ने उसे देखा और उसकी उदासी का कारण पूछा | सुनहरी ने उसे सारी बात बताई |

दूसरी कोयल ने कहा, परन्तु मेरे साथ तो ऐसा नहीं हुआ | में तो एक पेड़ पर बेठी और फिर गाना सुरु कर दिया | तभी मेरे चारो तरफ पक्षियों की भीड़ इकठी हो गई और गाना खत्म होने के बाद मुझ से पूछा, “तुम क्यों गा रही हो?”

यह सुनते ही सुनहरी बोली, यही मेरे साथ हुआ था कल, और मेने उतर दिया में इसलिए गा रही हु क्योकि मुझे गाना अच्छा लगता है और में बिना गाना गाये नहीं रह सकती | सब यह सुनते ही सभी पक्षियों ने मुझे मरना शुरू कर दिया | में वहा से अपनी जान बचा कर भागी | “

यह सुनते ही दूसरी कोयल बोली, “यही तो तुमने गलती की | सभी ने यह सोचा होगा की उम पागल हो, बिना बात के गाती रहती हो | और उन्होंने सोचा होगा की अगर तुम यहाँ रुक गई तो सुबह श्याम गाती ही रोहो गी |”

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बुरी संगती का असर

महेश दसवी कक्षा में पड़ता था और बहुत बुद्धिमान बालक था वो हमेशा अवल आता था | वो पढाई के साथ साथ अपने पिता की किरणे की दुकान पर उनकी मदद करता था | उसकी कक्षा में एक अजय मन का एक धनी लडके से मित्रता हुई और उस दिन से वह पूरी तरह बदल गया | अब उसका पढाई में मन नहीं लगता था और अपने पिता की मदद भी नहीं करता था |

धीरे धीरे वह पूरी तरह से बदल गया और वह अपनी परीक्षा में भी पहली बार फेल भी हो गया | वह धनी लडके के साथ रह कर बिगढ़ गया | एक दिन वो आमिर बनने के चक्कर में आ कर अपने घर बे भाग गया और बस में जा कर बेठ गया | गाड़ी चलने के कुछ देर बाद ही गाड़ी में एक अँधा आदमी चड़ा जो वहा बेठे लोगो को मूंगफली बेचने लगा | उसे देखकर महेश को अपने अंकल की सुनाई खानी याद आ गई, जिसमे कुछ आदमियों ने एक बच्चे का अपहरण करके उसे अँधा बना दिया भीख मांगने के लिए | वह डर गया था उसे देख कर और उसने डरते – डरते उस अंधे मूंगफली वाले से पूछा, “क्या अप्प की किसी ने अँधा किया था बचपने में या फिर आप बचपन से ही अंधे हो?”

नहीं नहीं मुझे किसी ने अँधा नहीं किया और न ही बचपन से में अँधा हु, मेरी आँखे तो एक दुर्धटना से चली गई थी | परन्तु मेरा एक दोस्त है जिसको कुछ बुरे आदमियों ने अँधा कर दिया था भीख मागने के लिए | कुछ साल के बाद वह उनके चंगुल से बच निकला था और उस समय उसकी मुलुकत मुझसे से हुई और मेने उसकी मदद की और अब वह मेरी तरह मेहनत कर के दो वक़्त की रोटी कमाता है |

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धोखे की सजा

एक बार की बात है | की व्यक्ति के जीवित रहने की उम्मीद बिल्कुल समाप्त हो गई थी | उसने भगवान से विनती की कि यदि वह जीवित बच गया तो सो बेलो की बली भगवान को देगा | और भगवान ने उसकी विनती स्वीकार कर ली तथा वह व्यक्ति ठीक होने लगा |

परन्तु ठीक होने के बाद उस व्यक्ति में लालच आ गया और उसने बेलो की मुर्तिया बनवाई और वेदी पर रखकर उनमे आग लगा दी | तब उसने प्रार्थना की, “ओ स्वर्ग में रहने वाले भगवान, मेरी भेंट स्वीकार करो |”

भगवान यह देख क्र नराज हो गए हो उसे सबक सिखाने की लिए एक उपाय किया | उसी रात भगवान ने उस व्यक्ति को उसके सपने में दर्शन दिए और कहा – “हे मानव, समुंद्र किनारे जाओ और वहा पर तुम्हारे लिए सो मुद्रए रखी है |”

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पछतावे के आँसू

संजय बहुत अच्छा बच्चा था पर उसको चोरी करने की बहुत बुरी आदत थी अध्यापक महोदय उसे कई बार दंड भी दे चुके थे और कई बार धमकी भी दे चुके थे | परंतु फिर भी वो बच्चो के बस्तों से उनकी चीजे खो जाती थी | सभी का शक संजय पर ही था की उनके बस्तों से वही चीजे चुराता है | और एक दिन आखिर एक दिन अध्यापक ने संजय को तेज आवाज में डांटते हुए कहा, यदि अब किसी भी बच्चे का सामान चोरी हुआ, तो तुम्हे में पाठशाला से निकाल दुगा |

इस बात को कुछ दिन बीत गए और एक दिन एक बच्चा अचानक रोने लगा | अध्यापक के पूछने पर उसने बताया की उसकी गणित की किताब खो गई है | यह सुन अध्यापक महोदय बहुत नराज हुए और उन्होंने उस बच्चे को सबके बसते में अपनी किताब ढूंढने को कहा | सभी के बस्तों में देखने के बाद आखिर किताब पंकज के बसते में से मिली | यह देख कर अध्यापक को बहुत आश्चर्य हुआ की पंकज जैसा ईमानदार और मेहनती बालक भी चोरी क्र सकता है | पूरी कक्षा में सन्नाटा सा छा गया हो, सब एकदम चुप होकर इधर-उधर देखने लगे, क्योकि किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था की पंकज जैसा बच्चा ऐसा कर सकता है | इसलिए अध्यापक ने भी उसे कुछ नहीं कहा सिर्फ आगे से ऐसा न करने को कहकर बेठा दिया |

कुछ देर बाद अध्यापक के बाहर जाते ही संजय ने पंकज से पूछने लगा –“अरे | किताब तो मेने चुराई थी, लेकिन वह तुम्हारे बस्ते में कैसे चली गई?”

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