धोखे की सजा

एक बार की बात है | की व्यक्ति के जीवित रहने की उम्मीद बिल्कुल समाप्त हो गई थी | उसने भगवान से विनती की कि यदि वह जीवित बच गया तो सो बेलो की बली भगवान को देगा | और भगवान ने उसकी विनती स्वीकार कर ली तथा वह व्यक्ति ठीक होने लगा |

परन्तु ठीक होने के बाद उस व्यक्ति में लालच आ गया और उसने बेलो की मुर्तिया बनवाई और वेदी पर रखकर उनमे आग लगा दी | तब उसने प्रार्थना की, “ओ स्वर्ग में रहने वाले भगवान, मेरी भेंट स्वीकार करो |”

भगवान यह देख क्र नराज हो गए हो उसे सबक सिखाने की लिए एक उपाय किया | उसी रात भगवान ने उस व्यक्ति को उसके सपने में दर्शन दिए और कहा – “हे मानव, समुंद्र किनारे जाओ और वहा पर तुम्हारे लिए सो मुद्रए रखी है |”

व्यक्ति को लालच आ गया और सुबह होते ही वह समुंद्र की किनारे पहुचा, परन्तु उसे वहा कुछ नहीं मिला | लालच के चक्कर में वह समुंद्र के किनारे – किनारे चलने लगा | चलते – चलते वह एकदम निर्जन व् वीरान जगह पर पहुच गया जहा चट्टानों की आड़ में समुद्री डाकू छिपे बेठे थे | समुंद्री डाकुओ ने उसे पकड़ा और बंदरगाह पर ले गए | वहा जाकर उन्होंने उसे गुलाम बनाकर बेच दिया तथा सो मुद्राए प्राप्त क्र ली |

सीख: धोखा देने वाले व्यक्ति का कभी भला नहीं होता है |

4 thoughts on “धोखे की सजा”

  1. KABHI KISI KO DHOKHA NAHI DENA CHAHIYE DHOKA KHANE WALO MAIN MAIN BHI HOO MERA SAB KUCH KHATAM HO GAYA PATA NAHI MAINE KISI KE SATH KUCH GALAT KIYA HO AUR BAHGWAAN NE MUJHE SAJA DI HO

    Reply

Leave a Comment