महेश दसवी कक्षा में पड़ता था और बहुत बुद्धिमान बालक था वो हमेशा अवल आता था | वो पढाई के साथ साथ अपने पिता की किरणे की दुकान पर उनकी मदद करता था | उसकी कक्षा में एक अजय मन का एक धनी लडके से मित्रता हुई और उस दिन से वह पूरी तरह बदल गया | अब उसका पढाई में मन नहीं लगता था और अपने पिता की मदद भी नहीं करता था |
धीरे धीरे वह पूरी तरह से बदल गया और वह अपनी परीक्षा में भी पहली बार फेल भी हो गया | वह धनी लडके के साथ रह कर बिगढ़ गया | एक दिन वो आमिर बनने के चक्कर में आ कर अपने घर बे भाग गया और बस में जा कर बेठ गया | गाड़ी चलने के कुछ देर बाद ही गाड़ी में एक अँधा आदमी चड़ा जो वहा बेठे लोगो को मूंगफली बेचने लगा | उसे देखकर महेश को अपने अंकल की सुनाई खानी याद आ गई, जिसमे कुछ आदमियों ने एक बच्चे का अपहरण करके उसे अँधा बना दिया भीख मांगने के लिए | वह डर गया था उसे देख कर और उसने डरते – डरते उस अंधे मूंगफली वाले से पूछा, “क्या अप्प की किसी ने अँधा किया था बचपने में या फिर आप बचपन से ही अंधे हो?”
नहीं नहीं मुझे किसी ने अँधा नहीं किया और न ही बचपन से में अँधा हु, मेरी आँखे तो एक दुर्धटना से चली गई थी | परन्तु मेरा एक दोस्त है जिसको कुछ बुरे आदमियों ने अँधा कर दिया था भीख मागने के लिए | कुछ साल के बाद वह उनके चंगुल से बच निकला था और उस समय उसकी मुलुकत मुझसे से हुई और मेने उसकी मदद की और अब वह मेरी तरह मेहनत कर के दो वक़्त की रोटी कमाता है |
यह सब सुनकर वह सोचने लगा की में घर से भागकर गलती की और उसने फेसला किया की वह घर जा कर अपनी पढाई करुगा और फिर बड़ा आदमी बनुगा |
सीख: हमेशा अच्छे दोस्त बनाओ क्योकि बुरी संगती का असर बुरा ही होता है |