में तो था अकेला, था में अकेला
गुमसुम सा, सिमटा सा, अंधेरे से प्यार करने वाला
में तो था अकेला, था में अकेला
उसने दी थी एक रोशिनी, रोशिनी ही थी मेरे मन के अंधेरे में
में तो समझा जैसे मिल गई रोशिनी ज़िन्दगी की
में तो समझा जैसे मिल गई रोशिनी ज़िन्दगी की
पर हकीकत कुछ और ही थी ज़िन्दगी की |
कहते है ना कुछ पाने के लिया कुछ खोना पड़ता है
कहते है ना कुछ पाने के लिया कुछ खोना पड़ता है
मेंने भी रोशिनी के लिए, अँधेरे को खोया |
में तो था अकेला, था में अकेला
गुमसुम सा, सिमटा सा, अंधेरे से प्यार करने वाला ||
रोशिनी पा कर ऐसा लगा मानो जनत मिल गई
रोशिनी पा कर ऐसा लगा मानो जनत मिल गई
पर क्या पता था रोशिनी थी ही कुछ पल के लिए ||
इतना असान ना था अँधेरे को छोड़पाना
इतना असान ना था अँधेरे को छोड़पाना
क्योकि अँधेरे ही तो था मेरी ज़िन्दगी में
पर फिर भी में लड़ता रहा रोशिनी को पाने के लिए
क्योकि में था अकेला, था में अकेला ||
फिर आया वो पल जिसका होता सबको इंतजार
कुछ है डरते और कुछ होते खुश
छोड़ना था मुझको ये अँधेरा और जाना था रोशिनी के पार
छोड़ना था मुझको ये अँधेरा और जाना था रोशिनी के पार
पर सब थे रो रहे, पर में था खुश
क्योकि जाना था मुझको रोशिनी के पार
अब भी था में अकेला, था में अकेला
पर अब ना था में गुमसुम सा, सिमटा सा
क्योकि अब में था हवा को वो झोका
जिसको जाना था रोशिनी के पार
जिसको जाना था रोशिनी के पार
कोई गलती हो गई हो तो शमा करना दोस्तों
आप का प्यरा दोस्त: युग्म
Realy very beautiful poem