में तो था अकेला, था में अकेला
गुमसुम सा, सिमटा सा, अंधेरे से प्यार करने वाला
में तो था अकेला, था में अकेला
उसने दी थी एक रोशिनी, रोशिनी ही थी मेरे मन के अंधेरे में
में तो समझा जैसे मिल गई रोशिनी ज़िन्दगी की
में तो समझा जैसे मिल गई रोशिनी ज़िन्दगी की
पर हकीकत कुछ और ही थी ज़िन्दगी की |
कहते है ना कुछ पाने के लिया कुछ खोना पड़ता है
कहते है ना कुछ पाने के लिया कुछ खोना पड़ता है
मेंने भी रोशिनी के लिए, अँधेरे को खोया |
में तो था अकेला, था में अकेला
गुमसुम सा, सिमटा सा, अंधेरे से प्यार करने वाला ||