कदम जो तेरे रुक गए, चलने की अब बारी हमारी है

कदम जो तेरे रुक गए, चलने की अब बारी हमारी है  |
कदम जो तेरे रुक गए, चलने की अब बारी हमारी है  |

ज़मीन के टुकड़ो का क्या करेगे, अगर धरती नहीं पूरी हमारी है.
समझ ना सके जो तुम हमको, गलती नहीं इसमें तुम्हारी है,
जीवन के देखो पन्नो की, श्याही जो मिटती जा रही है,
जिंदगी के देखो पन्नो की, लिखाई धुंधली पड़ती जा रही है,
नमक की गुडिया देखो तो, खारे पानी में घुलती जा रही है,
बारिश की बुदे देखो तो, सुमुंदर में गिरती जा रही है,
फूलो की खुशबू देखो तो, हवा में मिलती जा रही है
कदम जो तेरे रुक गए, चलने की अब बारी हमारी है  ||

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