नारी के रूप अनेक

तुम्हे तम्हारा अस्तित्व देने वाली नारी है |

तुम्हारा परिवार शुरू करने वाली नारी है |

निस्वार्थ सेवा करने वाली भी नारी है |

मन्दिरों की मूर्तियों में भी नारी है |

 

बचपन में यही तुम्हारा घर सजाती है |

तुम्हारे आगन की रोनक बढ़ाती है |

तुम्हे अभिमान करना सिखाती है |

फिर उम्र का नया पड़ाव आता है |

पराये धन होने का उसे मतलब बताता है |

 

फिर वो ही नारी शादी का बंधन बनाती है |

वो ही नारी पत्नी का भी कर्तव्य निभाती है |

जिन्दगी के नए अनुभव सिखाती है |

माँ बन नई जिन्दगी को जन्म देती है |

फिर जिन्दगी ने ली करवट |

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बरसात की आती लहराती हवा

बरसात की आती लहराती हवा

वर्षा धुले आकाश से

या चन्द्रमा के पास से

या बादलो की साँस से

मंद मदमाती ये हवा

बरसात की आती लहराती हवा

 

यह खेलती है ढाल से

ऊँचे शिखर के भाल से

पाताल से लेकर आकाश तक

यह खेलती हर जगह

बरसात की आती लहराती हवा

 

यह खेलती बूढ़े, बच्चो के साथ

यह खेलती प्रेमियों के साथ

यह खेलती हरी लता के साथ

अठखेलती इठलाती लहराती हवा

बरसात की आती लहराती हवा

 

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क्या बदल रहा है देश

सब कहते है देश बदल रहा है जाग रहा है देश

सब कहते है देश बदल रहा है जाग रहा है देश

पर कोई तो बताए कहा बदल रहा है देश

कल भी अत्याचारी थे आज भी है और कल भी होगे

पहले भी बलत्कार होते थे, आज भी होते है और कल का पता नहीं

तो कहा बदल रहा है देश

और कोन बदलेगा ये देश,

आप, में, या फिर वही नेता लोग जो

पहले भी लुटते थे, आज भी और कल भी लुटेगे

तो कहा बदल रहा है देश ||

 

बड़ा अजब है ये देश,

एक लडकी के साथ बलत्कार होता है और लोग तमाशा देखते है उस समय,

एक लडकी के साथ बलत्कार होता है और लोग तमाशा देखते है उस समय,

और अगले ही दिन प्रदशन करते है,

और फिर वही लोग उसी रात किसी और के साथ करते है बलत्कार

और फिर कहते है देश जाग रहा है, बदल रहा है देश ||

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मेरा प्यारा सपना

देखा मेने ये सपना कैसा?

यह तुमको बतलाती हु

सपनो की गजब दिनिया में

तुमको सेर कराती हु ||

 

कल रात देखा मधुर सपना मेने,

परियो के से परिधान पहने थे मेने,

था बच्चो का झुंड मेरे चारो और

नहीं थामे थमता था बच्चो का शोर||

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बंद करो बाल श्रम

कहा गये वो सुंदर फूल

कहा गई वो मुस्कान

कहा उड़ गई सारी धुल

क्यों चुप हो गए गाने

 

झूले अब थम से गए

पिता खड़ा खामोश है

मेंदान भी जम से गए

हर घर आगन मदहोश है

 

बहुत ढूँढा तो पता चला कि

वो सब बच्चे वहा है

जहा पर खुशिया बेरंग है

बचपन जीना मना है

वहा बच्चो से बंगले बनवाये जाते है

चुड़ीयाँ, कंगन, बीडी भी बनवाई जाती है |

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माँ का सपना

सुनाती थी न तुम कहानी

भारत था सोने की चिडिया

बहती थी दूध दही की नदीया,

वही सपना देखती हु में बार बार

उसी सपने को करने साकार

अंतर मन में सुय किरणों को भरती हु माँ

 

कहती थी न तुम की

भारत है देवो की भूमि,

भारत है ज्ञानियों की भूमि,

फिर से राम राजय लाने का सपना

देखती हु में बार बार

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ये बारिश की बुँदे कुछ कहती है

ये बारिश की बुँदे कुछ कहती है

कहती है कुछ ये बारिश की बुँदे

कभी ध्यान से सुनो, कुछ कहती है ये बारिश की बुँदे

कभी ध्यान से सुनो, गुन गुन्नाती है ये बारिश की बुँदे

 

ये बारिश की बुँदे कुछ कहती है

कहती है कुछ ये बारिश की बुँदे

बेठ गई नन्हे पत्तो पर, आसमान से आकर

ये बारिश की बुँदे

हवा चली तो झूम रही है, जाने क्या क्या गाकर

ये बारिश की बुँदे

मोह रही है मन बच्चो का, इंद्रधनुष दिखलाकर

ये बारिश की बुँदे

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मेरा मस्तक अपनी चरण – धूलि तल में

मेरा मस्तक अपनी चरण – धूलि तल में झुका दे | प्रभु | मेरे समस्त अंहकार को आँखों के पानी में डूबा दे | अपने झूठे महत्व की रक्षा करते हुए में केवल अपनी लघुता दिखता हु | अपने ही को घेर में घूमता-घूमता प्रतिपल मरता हु | प्रभु | मेरे समस्त अंहकार को आँखों … Read more

ज़िन्दगी का सफ़र

ज़िन्दगी गम का नाम है या ख़ुशी का, मालूम नहीं

ज़िन्दगी गम का नाम है या ख़ुशी का, मालूम नहीं

पर पता नहीं क्यों बहुत अजब सी लगती है ज़िन्दगी

ज़िन्दगी गम का नाम है या ख़ुशी का, मालूम नहीं

 

इंसान की ज़िन्दगी भी एक मेला है

जिस मेले में कभी गम है तो कभी है ख़ुशी

ज़िन्दगी का मेला जब शुरु होता है तब खुश होता है इंसान

पर जो जो आगे बड़ता है मेला, तब दुखी होता है इंसान

क्योकि उस दोरान बहुत कुछ खोता है इंसान

अपनी मासूमियत, और अपना वो बचपन

जिसमें उसे डर नहीं फिकर नहीं, चिंता नहीं

है तो सिर्फ प्रेम, ख़ुशी, शरारते

इंसान की ज़िन्दगी भी एक मेला है

जिस मेले में कभी गम है तो कभी है ख़ुशी

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कुछ अन कहे से पल

कुछ अन कहे से पल

पल कुछ अन कहे से

यू तो ज़िन्दगी बीत जाती है बाते करते करते

पर फिर भी रहे जाते कुछ पल अन कहे से

करने को तो बहुत सी बाते है उनसे

पर वो पल कहा है उनके पास

रह जाते है कुछ पल अन कहे से ||

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