न सोने का नियम,
न उठने का नियम,
हे पिक्चर का नियम,
नियम की अवहेलना ! नियम की अवहेलना
न खाने का नियम
न पीने का नियम
हे ट्विस्ट का नियम
नियम की अवहेलना ! नियम की अवहेलना
न जाने का नियम,
न आने का नियम,
हे छेडखानी का नियम,
नियम की अवहेलना ! नियम की अवहेलना
न पड़ने का नीयम,
न पड़ाने का नीयम,
हे नोवल का नीयम,
नियम की अवहेलना ! नियम की अवहेलना
न सोचने का नीयम,
न बोलने का नीयम,
हे नारेबाजी का नीयम,
नियम की अवहेलना ! नियम की अवहेलना
बस सब तरफ हे नीयम की अवहेलना
इसी कारण तो हो रहा चारो और,
अशांति, अवज्ञा, अविश्वास,
शंका, भय और असंतोष का तांडव नर्त्य !
वो देखो प्रकति का नीयम,
हर काम हो रहा है,
नीयमो के दायरे में!
लेखक: स्वर्गीय विष्व नाथ जेतली
Bhaut achi poem yugam g. Thanks for sharing and also Im going to subscribe your blog.
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