खत्म न होने वाली कहानी

अरब देश में एक सुलतान रहता था उसे कहानिया सुनने का बड़ा शोक थे | वह चाहता था की दिन रात बस कहानिया ही सुनते रहे |

एक दिन उसने अपने वजीर की बुलाकर कहा, “में एक ऐसी कहानी सुनना चाहता हु जो कभी ख़त्म न हो | क्या तुम मुझे ऐसी कहानी सुना सकते हो क्या?”

यह बात सुनकर वजीर थोडा सा घबरा गया | ऐसी कहानी वह भला कहा से लाकर सुनाए जो खत्म ही न हो | उसे कुछ सुझाई न दिया | उसने सुलतान से कहा, “महाराज, मुझे एक दिन की मिह्ल्ट दीजिए |

सुलतान ने कहा, “ठीक है”

वजीर अपने घर पहुचा और अकेला बेठ कर सोचने लगा | उसे न तो भूख लग रही थी और न ही प्यास | उसने सोना चाह तो नीद भी न आई | उसे बस रक ही चिंता सता रही थी | की कल सुलतान की क्या जवाब देगा |

वजीर के बेगम से उसकी यस परेशानी देखी न गई | उसने पूछा, “क्या बात है आप इतने परेशान क्यों है?”

वजीर ने अपनी परेशानी का कारण बताया तो वह हंस पड़ी और बोली, “बस इतनी सी बात है | आप बिना वजह परेशान हो रहे है | में सुलतान की कभी ख़त्म न होने वाली कहानी सुनाउगी | आप इत्मीनान से सो जाइए और चिंता छोड़ दीजिए |”

अगले दिन वजीर ने सुलतान को बताया, “मालिक मेरी बेगम को एक ऐसी कहानी आती है जी कभी खत्म न हो | आप इजाजत गे तो कल उन्हें अपने साथ ने आऊ |”’

“सुलतान ने कहा, “ठीक है कल तुम अपनी बेगम को अपने साथ ले आना” |

दुसरे दिन वजीर अपनी बेगम को लेकर हाजिर हो गया | वजीर की बेगम ने सुलतान के सामने एक शर्त रखी | उसने कहा, “हुजुर, जब तक मेरी कहानी खत्म न हो जाए, आप अपनी जगह से उठेगे नहीं |”

मंजूर है, सुलतान ने कहा |

वजीर की बेगम से कहानी शरू की, “चावल का एक गोदाम था – भरा हुआ | हवा और रौशनी के लिए उसमे एक छोटा सा रोशनदान था | एक चिड़िया उस रोशनदान से गोदाम ने घुसती और चावल का दाना लेकर हो जाती फुर्र………..| फिर आती और चावल का दाना लेकर उड़ जाती फुर्र………..फुर्र |”

वजीर की बेगम बस यही दोरहती रही, “चिड़िया उस रोशनदान से गोदाम ने घुसती और चावल का दाना लेकर हो जाती फुर्र……….फुर्र | यह सुन-सुनकर सुलतान परेशान हो उठा और बोला, “ यह फुर्र ……फुर्र क्या लगा रखी है? कहानी को आगे बढ़ओ |”

वजीर की बेगम बोली, “हुजुर, गोदाम के चावल जब तक ख़त्म नहीं होगे, कहानी आगे कैसे बढ़ेगी ?”

सुलतान शर्त के मुताबिक अपनी जगह से उठ भी नहीं सकता था | वह वजीर की बेगम की चुतराई को समझ गया | आख़िरकार उसने अपनी हार मान ली और वजीर की बेगम को अच्छा इनाम भी दिया |

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