यह कहानी नन्ही ममता की है | वह पहली बार अपनी मोसी के घर आई थी जो में रहती थी | सबेरा हुआ, चिड़िया ची-ची करने लगी | ममता सो कर उठी और घर के बाहर आई | उसने अपने घर के सामने कपास का खेत था | वह एक पोधे के पास जाकर उसने पूछा – “तुम्हारा नाम क्या है?”
ममता को लगा की पोधा बोल रहा है – “मेरा नाम कपास है और तुम ने जो कपड़े पहन रखे है वो भी कपास के ही है | में खेत में ही पैदा हुई और बढ़ी हुई हु | मेरे ऊपर ये डोडिया लगी है | ये जब पकेगी, तो फुट जाएगी | इनमे कपास भरी हुई है | कपास के अंदर बीज होते है | किसान बीजो को अलग क्र लेता है इस बीजो से ही नये पोधे पैदा होते है | मेरे बीजो को बिनोले कहा जाता है | बिनोले अलग करने के बाद कपास को रुई कहते है |
ममता ने पूछा – “इसके बाद क्या करते है?”
पोधे ने उतर दिया – “रुई की पुनिया बना कर चरखे पर काती जाती है | उनसे सूत के धागे बन जाते है | इस धागों से ताना तना जाता है | अगर रंगदार ल्प्ड्स बनाना हो, तो इस धागों को पहले रंग लिया जाता है | फिर ताना तना जाता है |
फिर ताने को खड्डी पर चढ़ा कर कपड़ा बन लिया जाता है | दरी, खेस, चादर आदि इसी तरह बुनी जाती है इसी तरह खद्दर भी बुना जाता है |
कपड़ा बुनने के बड़े-बड़े कारखाने में काटने, बुनने का काम मशीनों से होता है | वे मशीने बिजली से चलती है |
ममता ने फिर पूछा, – “क्या सभी कपड़े रुई से ही बनते है?”
कपास ने उतर दिया – “अधिक कपड़े तो मेरी रुई से ही बनते है | परन्तु कुछ कपड़े रेशम से भी बनते है |”
ममता ने पूछा – “रेशम क्या है? क्या वह भी [पोधे पर लगता है?”
कपास ने उतर दिया – “नहीं, रेशम तो एक कीड़े में मिलता है | उस कीड़े की शक्ल अंडे जेसी बन जाती है | उसके ऊपर मुलायम धागे होते है | वे उतार क्र काट लिए जाते है | फिर उनसे कपड़ा बन लिया जाता है | यह कपड़ा मेरी कपास से बने कपड़े से अधिक कोमल और सुंदर होता है, और बहुत महगा भी होता है|”
ममता ने पूछा – “और मेरा स्वेटर भी क्या रेशम का है |”
कपास ने उतर दिया – “नहीं, यह तो उन से बनता है | ऊन भेड़ के बालो से मिलती है भेड़ के बाल कर काट लिया जाते है | फिर हाथ से या मशीन से बुन कर उसकी ऊनी कपड़े बनाये जाते है|