सजा का इनाम

बहुत समय फहले की बात है | पंजाब में राजा रणजीत सिंह का राज था | वह अपनी प्रजा के सुख का बड़ा ध्यान रखते थे |

एक दिन रणजीत सिंह अपने सेनिको के साथ एक गाँव के पास से गुजर रहे थे | व तब तक काफी थक गए थे | राजा आम का पेड़ का धना पेड़ देखकर वे रुक गए और सिपाहियों से कहा – “हम यहाँ थोड़ी देर आराम करेगे |

रणजीत सिंह पेड़ के नीचे आँखे बंद करके आराम करने लगे | तभी एक पत्थर का ढेला आकर उनके सर पर लगा | रणजीत सिंह उठ बेठे | उनके सिपाही गुस्से में इधर-उधर दोड़ पड़े | किसने राजा को ढेला मारा?

सिपाही एक छोटे से लडके को पकड़ कर ले आए | एक सिपाही ने कहा, “महाराज, इसी लडके ने आपको ढेला मारा है |”

रणजीत सिंह को बड़ा आश्चर्य हुआ | उन्होंने लडके से पूछा, “बच्चे, मेने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?” तुमने मुझे पत्थर क्यों मारा?”

बालक डरते-डरते बोला, “महाराज, मेने आपको ढेला नहीं मारा था | में तो आम तोड़ने के लिए पेड़ पर ढेला मार रहा था | मैने आपको देखा नहीं था | गलती से ढेला आपको लग गया |”

सिपाही बोला, “यह झूठ बोल रहा है महाराज | इस शरारती लडके को सजा दीजिए |”

महाराज मुसकराते हुए बोले, “नहीं नहीं | इस बच्चे का कोई दोष नहीं है जरा सोचो, एक पेड़ भी ढेला मरने पर लोगो को खाने के लिए आम देता है, तो क्या में एक राजा होकर ढेला मरने की बदले बच्चे को सजा दुगा| बच्चे को छोड़ दो और दो टोकरी आम तोडकर इसे दे दो |:

रणजीत सिंह ने बालक को अपने पास बुलाया और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, “बेटा, ढेला मरने से पहले देख लेना चाहिए की पेड़ के आस पास कोई है तो नहीं |”

बालक ने सर झुकाकर उनकी बात मान ली और कहा, “जी, मुझसे गलती हुई|” और आम लेकर वहा से चला गया |

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