एक बकरी थी उसके दो बच्चे थे बड़े का नाम सोनू और छोटे का मोनू था | सोनू भोला-भाला और चंचल था परन्तु छोटे वाला समझदार था |
एक दिन की बात है बकरी अपने बच्चो को दूध पिला रही थी उसने अपने बच्चो को कहा, “बच्चो, अब में चरने जा रही हु | तुम दोनों घर पर ही रहना | बाहर नहीं जाना क्योकि बाहर एक भेड़िया घूम रहा है और वो छोटे छोटे बच्चो को खा जाता है |
मोनू ने कहा, “माँ, में तो नहीं निक्लुगा परन्तु बड़े भैया को कहा दो, ये न जाए |”
सोनू ने कहा, “माँ, में भी नहीं निक्लुगा घर से बाहर |”
यह सुनकर बकरी चरने के लिए चल पड़ी दोनों बच्चो को घर छोड़ कर | वहा पास ही में एक कुता रहा करता था जिसका नाम हिरा था |
बकरी ने हीरे से कहा, भाई में अपने साथियों के साथ चरने जा रही हु तो क्या आप मेरे बच्चो का ध्यान रख लो गे क्या?
हिरा ने कहा, “बिलकुल बकरी बहन, तुम आराम से जाओ |”
कुछ समय बाद सोनू ने मोने से कहा, छोटे, में जरा देख कर आता हु की माँ किघर गई है तू घर पर ही रुक | में अभी आता हु |
सोनू ने बहुत मना किया पर वो रुका नहीं और चला गया | उसने दूर से देखा की उसकी माँ पेड़ पर थी और उसे देख वो भी वहा उछल उछल कर जाने लगा | थोड़ी दूर जाने के बाद उसने पीछे मुड कर देखा तो भेड़िया उसकी ताक में था सोनू यह देखा कर और तेजी से जाने लगा और जोर – जोर से चिलाने लगा, “माँ माँ ! भेड़िया आ रहा है | वह मुझे खा जाएगा | मुझे बचाओ बचाओ |
दूर खड़ी उसकी माँ ने उसे देख लिया | वह हिरा के साथ दोडी `दोडी आई | हिरा और भेड़िया की लड़ाई हुई और हिरा ने भेड़िया को हरा दिया |
बकरी में सोनू को बहुत डाटा | माँ का गुसा देखा वह बहुत रोया | तब माँ ने उसे प्यार किया और कहा, “दुबारा ऐसा मत करना और उसे ले कर हिरा के साथ घर चली गई |
सीख: जो बच्चे अपनी माँ की बात नहीं मानते, वे इसी प्रकार मुसीबत में फंस जाते है |