राजस्थान में एक गाँव में एक ऊँट रहा करता था उसे पत्ते खाने का बहुत शोक था | उसने सोचा काश मेरे गर्दन इतनी ऊँची हो जाए की में बड़े बड़े पेड़ो के पत्ते भी खा सकू | मुझे ज्यादा घूमना न पड़े |
उस दिन वह सोचते सोचते सो गया और उसने एक सपना देखा की उसकी गर्दन बहुत बड़ी हो गई है | यह देख कर वह बहुत खुश हो गया | वह अपनी लंबी गर्दन को दूर दूर तक फेलाकर बेठे बेठे ही पेड़ो के सारे पत्ते खा जाता था | अब उसे चले – फिरने की जरुरुत नहीं थी बस बेठे बेठे ही काम करता था |
एक दिन की बात है वह एक पेड़ के निचे बेठा पत्ते का रहा था की अचानक आकाश ने काले बादल आ गए और फिर थोड़ी देर में बदलो से ओले गिरने लगे | यह देखा ऊँट अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भागने लगा | उसे बहुत कठिनाई हो रही थी अपनी लम्बी गर्दन के साथ भागने में | उसने दूर एक गुफा देखी और वहा चला गया | उसने देखा गुफा बहुत छोटी सी है | वह पूरा नहीं आ सकेगा तो उसने अपनी गर्दन उस गुफा में डाल दी |
उस गुफा में एक भेड़िया का जोड़ा रहता था उन्होंने सोचा की कोई हमारा दुश्मन आ गया और उन दोनों ने ऊँट की गर्दन को नोच डाला | ऊँट अपनी गर्दन को तेजी से बाहर नहीं निकाल सका और वह मर गया |
मरते – मरते वह सोचा रहा थी की काश मेरी गर्दन इतनी लम्बी न होती तो मेरी यह हालत न होती, काश में आलस नहीं करता तो आज में जिन्दा होइता | और इतने में भी उसकी नीद टूट गई | यह देखकर वह बहुत कुश हुआ की वह एक सपना देख रहा था और उसने अपने आप से के वादा की वह कभी भी आलस नहीं करे गा |
सीख: आलस सभी का सबसे बड़ा दुश्मन है आलस हमेशा सभी को दुःख देता है |
Nice story