बहुत पुरानी बात है एक दिन एक बुढा बगुला तालाब के किनारे बेठा रो रहा था | उसे बहुत जोर से भूख लग रही थी उसमे अब ताकत नहीं थी की वो मछलिया पकड़ सके | तभी वहा एक कछुआ आया और बोला, “बगुला चाचा क्या हुआ, रो क्यों रहे हो और आज तुम मछलिया नहीं खा रहे | सब ठीक ठाक है ना |
उसने कहा, “नहीं बेटा | आज मेरा ब्रत है इसलिए में मछलिया नहीं खा रहा हु |
यह सुनकर कछुआ बोला, “चाचा, इस उर्म में ब्रत नहीं रखना चाहिए |”
उसने कहा, “बेटा ! में यही पर बड़ा हुआ और यही पर मर जाउगा | लेकिन कल रात मुझे एक सपना आया | मेरे सपने में पानी देवता ने मुझे दर्शन दिए और कहा, बेटा अब कुछ सालो तक इस तालाब में पानी नहीं बरसे गा | यह सुनकर मुझे बिलकुल नीद नहीं आई और इसलिए में रो रहा हु |”
यह सुनकर कछुआ वहा से चला गया और उसने यह बात सभी तालाब के जानवरों को बता दी | यह बात सुनते ही सब जानवर डर गए और धीरे धीरे तालाब छोड़ कर जाने लगे और कई जानवर चाचा बगुले के पास आये और बोले, “चाचा ऐसे तो तुम सभी मर जाएगे | इस से बचने का कोई उपाय है क्या ?”
बगुले ने कहा, “हा एक उपाय तो है | इसी तालाब से थोड़ी दूर एक और गहरा तालाब है अगर तुम लोग कहो तो में तुम्हे अपने पीठ पर बिठा का उस तालाब में ले चलूगा | इससे तुम सभी लोग बच जाओगे | “
यह सुनते ही सभी जानवर खुश हो गए और उसके बहकावे में आ गए | एक – एक कर के बगुला अपनी पीठ पर बिठाता और कही दूर ले जा कर उन्हें मार कर खा जाता | अब बरी आई केकड़े की, केकड़े ने कहा, “बगुले ने उसे भी अपनी पीठ पर बिठाया और दूर एक पहाड पर ले गया और अपनी पीठ से उसे उतार दिया और बोला, “में तुम सभी से झूठ बोला था | दूसरा तालाब कही नहीं है | अब में तुझे भी खाने वाला हु दुसरे जानवरों की तरह | “
बगुला अभी कह ही रहा था की अचानक केकड़े ने उसकी गर्दन दबोच ली और उसे मार डाला, और वापिस तालाब में चला गया | सभी ने उसे पूछा क्या हुआ, तुम वापिस क्यों आ गये और तुम्हारे साथ तो चाचा थे वो कहा है | तब उसने सारी कहानी सुनाई |
सीख: कभी भी किसी की बातो में मत आओ | हमेशा अपने दिमाग से काम लो |