शेर की मनमानी

एक बार की बात है एक जंगल में शेर ने अपने साथियों के साथ लोमड़ी, गीदड़, और भेडिये को साथ लेकर शिकार करने की योजना बनाई | सभी जानवर जंगल में चल पड़े शिकार करने | बहुत दूर चलने के बाद भी उन्हें कुछ न दिखा | सभी जानवर बहुत निराश हो गए |

अब सब थक चुके थे की अचानक लिमडी ने दूर एक नदी के किनारे एक हिरण देखा | उसने तुरंत ओबे साथियों को हिरण के बारे में बता दिया | लोमड़ी, गीदड़, और भेडिये उसकी तरफ दोड पड़े | लेकिन शेर बहुत आराम – आराम में चल रहा था | भेड़िया और लोमड़ी ने दोनों ने उसको दबोच लिया और हिरण को मार डाला |

वे मरे हुए हिरण को लेकर एक जगह पर बेठ गए | शेर ने हुक्म दिया , “हम चारो ने मिलकर यह शिकार किया है और हम चारो इसके बराबर – बराबर के हकदार है |

यह सुनते ही लोमड़ी और भेडिये ने फोरन हिरण के चार टुकड़े कर दिए | अब शेर उन टुकडो के पास आया और बोला, “इस शिकार का पहला हिस्सा मेरा है, क्योकि में राजा हु और दूसरा भाग भी मेरा है क्योकि मेन बटवारे का काम कर रहा हु | तीसरा भाग में इसलिए ले रहा हु क्योकि यह सोजना मेरी थी और बचा हुआ चोथा हिस्सा, जिसमे हिमत है वो मेरे साथ लड़े पर ले जाए |

गीदड़ यह सुन रहा था और चुपचाप एक तरफ बेठा था | वह उठा और दुम हिलाता हुआ बहा से चला गया और जाते जाते कहा, “आप इस जंगल के राजा हो और आप जो कहते हो वही सही है | “

लोमड़ी बोली, “मुझे तो बहुत नीद आ रही है में भी सोने जा रही हु |”

भेड़िया बोला, “मेरे तो पेट भरा है और में भी जा रहा हु | “

और इस तरह सारे जानवर वहा से चले गए और शेर ने अकेले ही सारा हिरण खा लिया |

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