एक गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रवि था | रवि बहुत की मजाकिया किस्म का लड़का था | उसके पिता एक किसान थे जिनके पास कुछ खेत थे जिनमे वो खेती किया करते थे |
एक दिन की बात है उनके खेतो में कुछ खास उग आई थी | रवि के पिता ने कहा, “बेटा जा कर यह जंगली घास काट दे और पिता ने उसके हाथो में एक खुरपी दे दी |”
रवि ने अपने पिता से खुरपी ली और खेतो की और चल पड़ा और खेतो में जाकर खास काटने लगा | कुछ देर खास काटने के बाद उसे पानी की पीने की इच्छा हुई |
वाही थोड़ी दूर पर एक कुआ था रवि ने खुरपी को वही छोड़ दिया और पानी पीने चला गया |
जब वह पानी पि कर वापिस आया तो खुरपी को उठा नहीं पाया क्योकि खुरपी धुप में पड़े-पड़े बहुत ज्यादा गरम हो गई थी | रवि को लगा खुरपी को बुखार आ गया और उसने खुरपी को एक कपड़े से उठाया और डॉक्टर के पास ले गया | उसने डॉक्टर को पूरी बात बताई और इसका इलाज करने को कहा |
डॉक्टर तो जानते ही थे की रवि बहुत मजाकिया है इसलिए वो तुरंत समझ गए की अब की बार भी रवि मजाक कर रहा है |
डॉक्टर ने रवि, इस खुरपी को तलाब में ले जाओ और एक दुबकी लगवा दो | इसका बुखार उतर जाएगा |
रवि ने सुनकर वैसा ही किया और खुरपी का बुखार उतर गया |
अब एक दिन की बात है | रवि के पिता को बुखार चढ़ गया | उसकी माँ ने कहा बेटा, पिताजी को डॉक्टर के पास ले जाओ और दवा दिला लाओ |”
रवि ने उतर कहा, “मुझे पता है की डॉक्टर साहब क्या करेगे |”
ऐसा कहकर रवि अपने पिता को तलाब ले गया दुबकी दिलवाने | वहा जाकर वह अपने पिता के साथ जोर-जबरदस्ती करने लगा और उसी समय वहा से डॉक्टर गुजर रहे थे | उन्होंने यह सब देखा और उसके पास पहुच गए |”
रवि ने डॉक्टर को देखते ही कहा, “डॉक्टर साहब मेरे पिता जी को बुखार है और में इनका इलाज कर रहा हु, जैसे आप ने कल मेरी खुरपी का किया था | उसका तो उसी समय उतर गया था बुखार |”
यह सुनकर डॉक्टर साहब को हसी आ गई और बोले, “अरे बुदू,, वो तेरी खुरपी थी और यह तेरे पिता जी |
खुरपी को खुछ भी हो जाए तो बजार ने नई खुरपी ला सकता है अगर पिता जी को तूने अभी निलहा दिया होता तो पता नहीं क्या होता |”
डॉक्टर साहब काफी देर तक उसको सुनाते रहे और वो सुनता रहा | शायद रवि उसके बाद सुधर गया हो |