एज गाँव में एक धोभी था | वह बहुत बड़ा आलसी था वह सोचता था की काश मेरे पास कोई जिन हो जिसको में बोले और वो मेरा सारा काम कर दे चुटकियो में कर दे और में आराम कर सकू |
घोभी के घर के पास ही एक झोपडी थी और उस झोपडी में एक जादूगर रहा करता था जादूगर जादू दिखा कर अपना घर का गुजारा किया करता था | एक दिन घोभी जादूगर के घर पहुचा यह सोच कर की वो मेरी कुछ मदद करेगा |
जादूगर के घर जा कर उसने कहा, “जादूगर भैया जादूगर भैया, तुम हम हमारे पड़ोसी हो | तो पड़ोसी होने के नाते ही आप हमारी मदद कर दे |” जादूगर ने पूछा, “हम आप की किस प्रकार की मदद कर सकते है |?”
भैया जी, “ज्यादा नहीं, बस हमे एक भुत दे दो | जो हमारे इशारे पर काम करे |”
यह सुनकर जादूगर ने कहा, “भूत तो में तुम्हे दे दुगा परन्तु तुम उसे संभाल नहीं सकोगे | क्योकि उसे काम चाहिए और तुम्हारे पास इतना काम नहीं है |”
घोभी बोला, भाई तुम उसकी चिंता मत करो | बस तुम दे दो, बाकि में संभाल लुगा | में उसे बहुत काम दुगा की वह भी याद करेगा |
जादूगर ने धोभी को एक भूत दे दिया | वह भूत को लेकर घर चला गया | घर आते ही भूत ने घोभी से काम माँगा | घोभी ने भूत को काम देना शुरू कर दिया | उसे अपना पूरा घर साफ करवाया, झोपडी तोड़ कर पक्का मकान बनवाया | सारे के सारे कपड़े इस्त्री करवाता | कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता ही रहा |
जो भी घोभी काम देता वो पूरा का पूरा काम कर देता | भूत हर थोड़ी देर में उससे काम मागने लगता | वह बहुत परेशान हो गया | उसे कुछ नहीं सूझ रहा था की अब वह उसे कोन सा काम दे | तभी उसे एक तरकीब सूझी | उसने भूत को पास बेठे कुते की दुम सीधी करने का काम दे दिया | भूत तुंरत उसे सीधी करने में लग गया , लेकिन जब भी वो सीधी करता वो मुड जाती | भूत ने आखिर कार हार मन ही | फिर भूत ने कहा में अपनी हर मानता हु और कृपा करके मुझे आजाद कर दो | घोभी ने कहा ठीक है में तुम्हे आजाद कर दुगा लेकिन फिर कभी तुम मुझसे काम नहीं मागोगे और यह सुनते ही वह भूत वहा से चला गया |