बहुत समय की बात है, जंगल में चार बेल रहते थे | उनका आपस में बहुत प्रेम था | वे आपस में घूमते, साथ खाते पीते और कभी भी झगड़ा नहीं करते थे | उसी जंगल में शेर भी रहता था | बेलो को देखकर वह उन्हें खाने के लिए नए नए उपाय करता, ताकि वह उन्हें खा सके | पर उन चारो को एक साथ देख कर निराश हो जाता था |
और एक दिन उसने चारो बेलो को लड़ाने का उपाय सोच लिया | वह उन चारो बेलो के पास जाकर इधर-उधर घुमने लगा | बेल उसे अपने इतने पास घूमता देखकर डर गए | घबराहट के कारण वे एक दुसरे से अलग हो गए | बस शेर को तो इसी मोके की तलाश में था | वह बारी-बारी से एक-एक बेल के पास गया और उनके कान में कुछ कहा – “कुछ नहीं” और फिर वहा से चला गया और दूर कही पेड़ के पीछे छिप गया | अब क्या था चारो बेल यह जानने को उसुक्त थे की शेर ने उनके कान में क्या कहा |
चारो बेलो ने एक दुसरे को एक ही उतर दिया – कुछ नहीं कहा | अब सभी बेलो के दिमाग में एक ही बात चल रही थी की कही यह उससे मिल न गया हो और हमसे शेर की बात छिपा रहा हो | इसी बात को लेकर चारो बेलो में लड़ाई हो गई और अलग – अलग हो गए | और सबने अपनी दोस्ती भी तोड़ दी और अलग-अलग जंगल में घुमने लगे |
अपनी तरकीब को सफल देख कर शेर बहुत खुश हो गया | इस प्रकार उसने चारो को बारी-बारी में मारकर खा लिया|
सीख: आपस में फुट जगत की लुट |