बसंत ऋतू का वरदान

एक गाँव में एक किसान रहता था उसको पेड़ पोधे से बहुत प्यार था वह बहुत गरीब था परन्तु बहुत खुश रहता था उसे अपने पास की हर वस्तु से ख़ुशी मिलती थी

वह सभी को अपना दोस्त बना लेता था चाहे वो पेड़ पोधे हो या पक्षी, इन्सान, जानवर, सभी को अपना दोस्त बना लेता था | उसका मन करता की वह सभी पेड़ पोधे में कुछ न कुछ रंग भर सकता ताकि ये और भी प्यारे लगते |

उसकी बाते सुनकर लोग कहते, “पेड़ पोधे तो हरे ही होते है उनमे कोई कैसे रंग भर सकता है |”

एक दिन की बात है रवि चिडियों के खाने के लिए दाना डाल रहा था तो उसे एक खुशबु महसूस हुई | वह खुशबु जगलो से आ रही थी | वह उस खुशबु का दीवाना हो गया और उसकी तरफ चल पड़ा |

वह इतना मदहोश हो गया था की वह जगल के बीचो – बीच पहुच गया था | वहा जाकर देख की एक पेड़ पर एक कपड़ा लटका हुआ है और उस कपड़े पर तरह-तरह की रंग-बिरंगी आक्रतिया बनी हुई थी | रवि पेड़ पर चढ़ गया और उस कपड़े को बढ़ी सावधानी से बाहर निकाल लिया और नीचे उतर गया |

और तभी वहा पर एक बहुत सुंदर लडकी प्रकट हुई और बोली, “यह कपड़ा मेरा है | इसे उपर से उतारने के लिए धन्यवाद |”

रवि ने पूछा, “आप कोन है |”

लडकी बोली, “में बंसत ऋतू हु और धरती से हो कर में दुसरे जगह पर जा रही थी की अचानक मेरा दुपट्टा यह पैर अटक गया था और मुझे रकना पड़ा |”

रवि उनकी बाते ध्यान से सुन रहा था उसने पूछा, ‘फूल क्या होता है?”

यह सुनकर बसंत ऋतू और बहुत आश्चर्य हुआ की यह इन्सान फूल नहीं जनता | उसने अपने चारो और देखा की वहा बहुत हरियाली थी, सुंदर पक्षी थे,

ताजा हवा थी लेकिन वहा कोई फूल नहीं था | तब बसंत ऋतू बोली, “हे मनुष्य आप ने मेरी मदद की है इसलिए में आप को यह उपहार देती हु |

और देखते ही देखते उसने अपना दुपट्ट चोरो तरफ लहरा दिया जिसकी वजह से वहा पर चारो तरफ फूल ही फूल हो गए और पूरी धरती महक उठी उन फूलो से |”

यह देख कर रवि ख़ुशी से पागल हो गया | उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा | उसने बसंत ऋतू से पूछा “आप यही क्यों नहीं रुख जाती | आप यहाँ रहोगी तो पूरी धरती हमेशा सुंदर रहेगी |”

बसंत ऋतू बोली, “में हमेशा तो नहीं रुक सकती लेकिन में वादा करती हु की हर वर्ष में कुछ दिनों के लिए धरती पर जरुर आऊगी |

ओर यह फूल हमशा धरती पर इसी तरह खिलते रहेगे | ऐसे कहकर वह वहा से चली गई और रवि ख़ुशी ख़ुशी अपने घर आ गया |

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