एक गाँव में एक किसान रहता था उसकी दो बेटिया थी एक का नाम आशा, दूसरी का निशा | किसान अपनी बेटियों को बहुत प्यार करता था |
जब किसान की बेटिया बड़ी हो गई तो उनका विवाह कर दिया | आशा का पति किसान था, निशा का पति मिटटी के सुंदर बर्तन बनता था |
कुछ दिन बीतने के बाद किसान अपनी सभी बेटियों से मिलने उनके घर गया | जब वह अपनी पहली बेटी के घर पहुचा तो वह अपने पति के साथ खेतो में काम कर रही थी | यह देखकर किसान बहुत खुश हुआ और अपनी बेटी से पूछा, “बेटी तुम खुश हो क्या?”
आशा ने कहा, “जी पिताजी, में बहुत खुश हु, हम दोनों मिलकर खेतो में काम करते है|” यह सुनकर किसान ने कहा, “तुम दोनों बहुत खुश रहो यही प्राथना करता हु |”
यह सुनकर आशा बोली, “पिता जी, हमे खेतो के लिए बहुत सारा पानी चाहिए होता है तो आप भगवन से प्राथन करना की बारिश हो ताकि हमारी फसल बहुत अची हो |”
फिर वह निशा के घर गया जो की कुम्हार था उसने देखा की उसकी बेटी अपने पति के साथ उसके काम में हाथ बटा रही है | यह देखकर उससे अच्छा लगा | पिताजी को देखकर वह बहुत खुश हुई और भाग कर पिताजी के गले लग गई |
किसान ने निशा से भी पूछा, “क्या तुम ठीक हो?”
निशा ने कहा, “जी पिता जी, में बहुत खुश हु और हम दोनों बहुत मेहनत करते है |”
किसान ने कहा, “सुनकर अच्छा लगा और में भगवन से प्राथन करुगा की तुम दोनों बहुत खुश रहो”
यह सुनकर निशा बोली, “पिताजी एक प्राथन और करना की इस बार मोसम सुखा और गर्म हो जाए, जिससे हमारे सारे बर्तन बिक जाए और नए बर्तन बनाने में आसानी हो |”
किसान यह सुनकर सोच में पड़ गया की एक बेटी बारिश मांगती है और दूसरी नहीं मांगती | में किसके लिए प्राथना करू |
काफी सोचने के बाद किसान ने भगवन ने एक ही प्राथन की, “हे भगवान मेरी बेटी निशा ने जो बर्तन बनाये है उनको सूखने के लिए गर्मी चाहिए | इसलिए पहले गर्मिया कर देना और जब उसके बर्तन सूख जाए, और बिक जाए तब बारिश कर देना क्योकि अच्छी फसलो के लिए पानी चाहिए और पानी के लिए बारिश जरूरी है |”
भगवन के उसकी प्राथन सुनी और ऐसा ही किया | इसलिए हमेशा पहले गर्मिया और फिर बारिश आती है |