बात ना मानने की सजा

बहुत पुरानी बात है एक गाँव के किनारे एक नदी बहती थी | उस नदी में तीन मछलिया रहती थी उन तीनो में भीत अच्छी दोस्ती थी वो जो भी काम करती एक साथ करती थी चाहे वो खाना, हो, खेलना हो | वो एक दुसरे पर जान देती थी | उन तीनो के नाम भी बहुत प्यारे थे रिनी, गिनी, मिनी |

एक दिन की बात है तिनी खाने खोजने के लिए नदी के किनारे घूम रहे थे  तभी उनको वहा एक मछुआरे की आवाज सुनाई दी | उन्होंने सुना की वो कल नदी में जाल डालने की बात कर रहे है | यह सुनकर दिनों डर गई और चिंता में पड़ गई | रिनी को सबसे ज्यादा चिंता सताने लगी की वो अपनी और अपने साथियों की जान कैसे बचाए | तभी उसको एक तरकीब सूझी और अपने दोस्तों को बताया |

रिनी के कहा, “क्यो हम यह जगह छोड़ का नदी के किसी दुसरे किनारे में चले जाए | इससे हम अपनी जान बचा सकेगे |”

गिनी, मिनी ने ऐसा करने से मना कर दिया और बोले, “हम नदी में बहुत गहराई में चले जाएगे और फिर वो हमे नहीं पकड़ सकेगे |”

यह सुनकर रिनी को अच्छा नहीं लगा | उसने दोनों को बहुत समझाया लेकिन वो दोनों नहीं मानी | और रिनी अकेली ही चली गई |

अगले दिन सुबह हुई और वैसा ही हुआ, मछुआरो ने नदी के किनारे जाल बिछा दिया और एक-एक करके सारी मछलिया जाल में फसते चली गई | गिनी और मिनी भी उस जाल में फस गई | तब उन दोनों को महसूस हुआ की रिनी सही कह रही थी और हमे भी उनके साथ चले जाना चाहिए था |

मछुआरो ने धीरे – धीरे सभी मछलियों को बहार निकलना शुरू कर दिया | यह देखकर गिनी को तो विश्वास हो गया था की अब वो बच नहीं सकती | उन दोनों का अंत आ गया | लेकिन मिनी ने अपनी गलती को सुधारने का निश्चय किया की हमे आखरी साँस तक हार नहीं माननी चाहिए | उसने एक तरकीब सोची |

जब मछुआरे मछलियों को छांट रहे थे तब गिनी ने थोड़ी देर ऐसा अभिनय किया जैसे उसकी साँस बंद है और वह बहुत बीमार है और बस अभी मरने वाली है | मछुआरो ने सच में उसे बीमार समझकर उसे वापस पानी में फ़ेंक दिया परन्तु गिनी की कुछ समझ नहीं आया और मछुआरो के साथ चली गई |

सीख: समझदार दोस्तों की बात मान लेनी चाहिए |

 

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