अनोखा वरदान

विजय सिंह मान का राजा था | वह अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था और उनका बहुत ध्यान रखता था | एक दिन की बात है वह तूफानी रात में अपने घोड़े पर स्वर होकर एक तंग से रास्ते से जा रहा था | वह भेस बदले हुए था | मामूली कपड़े पहन कर, जनता के बीच उनके हाल चाल का पता लगाना उनकी आदत बन चुकी थी |

वह बीना किसी की चिंता किये अपना काम कर रहे थे परंतु उनके पीछे पीछे डाकू भी चल रहे थे जो उनका शानदार घोडा लेना चाहते थे |
मोका देख कर डाकुओ ने राजा को घेर लिया | राजा एक बार तो सकते में आ गया, मगर वह घबराया नहीं | वह बच निकलने की तरकीब सोच रहा था की उसके घोड़े का खुर सडक के गड्डे में फंस गया | डाकू अभी राजा पर लपकने ही वाले थे की एक और से कुछ नोजवान वहा आ पहुचे | उन्होंने देखा की एक आदमी मुसीबत में है | उन्होंने डाकुओ पर हमला कर दिया | डाकुओ यह देख कर डर गए और वहा से भाग गए |

थोड़ी देर में राजा के अंगरक्षकों का दल भी आ पहुचा | उन्होंने सभी डाकुओ की बंदी बना लिया | राजा उन नवयुवको से बड़ा प्रसन्न था क्योकि उन्होंने बिला यह जाने की वह राजा है, डाकुओ से उसकी रक्षा की | राजा ने बहुत – बहुत धन्यवाद दिया और कहा के वे उसके साथ महल तक चले |

भोर होने पर रात की घटना का समाचार सब जगह फेल गया | सारी प्रजा खुश थे की डाकू राजा का बाल भी बाका न कर सके | राज्य परिवार के लोगो, मंत्रियों, दरबारियों और सारी जनता ने नवयुवको के साहस की प्रशंशा की |

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