मार्च की एक सुहानी शाम थी | बादशाह अपने दीवाने-ए-खास के बाहर अपने दरबारियों के साथ चहलकदमी कर रहे थे | अकबर ने अचानक अपने दरबारियों से पूछा, “उस आदमी को क्या सजा मिलनी चाहिए जिसने आपके बादशाह की मूंछ खीचने की गुस्ताखी की हो ?
कुछ दरबारियों ने कहा, उस आदमी को कोड़े के पिट – पिट कर मार डालना चाहिए | कुछ दरबारियों ने कहा की उस आदमी का सिर कलम कर देना चाहिए |
फिर अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल तुम क्या सजा दोगे उस आदमी को?”
बीरबल ने कहा, “आलमपनाह में तो उसे मिठाई दुगा |”
सभी दरबारियों ने उसे हेरानी से देखा | क्या तुम पागल हो गए हो | इतने भयानक अपराध के लिए मिठाई |
अकबर ने फिर पूछा, “क्या हम ने सही सुना बीरबल | तुम उस आदमी को मिठाई दोगे |”
जी महाराज, क्योकि आपके पोते के अलावा किस्मे इतनी हिम्मत है की वो शहंशाहो के शहंशाह से ऐसी गुस्ताखी कर सके |”
यह सुनते ही अकबर की हस्सी छुट गई | हंसते – हंसते उन्होंने कहा “हा” उसी नन्हे बदमाश का काम है और इसके बदले हम ने उसे मिठाई दी | हमेशा की तरह इस बार भी तुमने सही कहा |