एक दिन की बात है की नोजवान दीवान-ए-खास में आया और बादशाह को सलाम किया |
उसने कहा, “जहाँपनाह, मेने फारसी, तुर्की, और संस्कृत भाषा पढ़ी है | मुझे राजनीती और दर्शनशात्र की भी जानकारी है |”
अकबर ने कहा, “तुम तो बुद्धिमान लगते हो” | उन्होंने कहा हमे तुम जैसे लायक लोगो की जरूरत हमेशा रहती है | शाही मुर्गीखाने ने लिए एक अच्छा आदमी चाहिए | उस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है | अगर तुम चाहो तो यह नोकरी कर सकते हो |”
यह सुनते ही उसे निराशा हुई क्योकि उसको उमीद थी की बादशाह उसे अपने दरबारियों में शामिल करेगे, परन्तु ऐसा नहीं हुआ | उसने उस काम के लिए हा भर दी और कहा, “बादशाह, में कल से काम संभाल लुगा |”
तीन महीने बीत गए, बादशाह अकबर एक दिन मुर्गीखाने का निरक्षण करने पहुचे | उन्हें वहा साफ सुथरा लगा | मुर्गिया भी स्वस्थ और साफ-सुथरी थी |”
बादशहा बहुत खुश थे और उस नोजवान से कहा, लगता है तुम ने इन पर बहुत पैसा खर्च किया है |”
इस पर वो नोजवान ने तुंरत कहा, “बिलकुल नहीं आलमपनाह, रसोईघर के बचे-खुचे खाने से इन्हें अच्छी खुराक मिल जाती है”
अकबर ने कहा, “बहुत अच्छा काम किया तुमने | मेरे पुस्तकालय का भी यही हाल है जैसे मुर्गीखाने का था कल से तुम उसका भी ध्यान रखोगे |”
उसे फिर से निराशा हुई परन्तु उसने अपनी निराशा जाहिर नहीं की और अगले दिन से वह नए काम में व्यस्त हो गया |
दो महीने बाद फिर से बादशाह अकबर पुस्तकाल का निरक्षण करने पहुचे | पुस्तकाले को देख कर वो चोंक गए क्योकि अब वह एक साफ और हवादार जगह में बदल चूका था |
बादशाह ने पूछा, “यह बताओ की इसके लिए शाही खजाने में से कितना खर्च किया तुम ने |”
नोजवान ने कहा, “आलमपनाह कुछ भी नहीं, आपके दरबार में हजारो अर्जिया आती है तो उन्हें मखमल में लपेटा जाता है, और बाद में फ़ेंक दिया जाता है | मेने फेंके हुए मखमल को सिर्फ जमा किया और शाही दर्जी की मदद से इन सभी पुस्तको को मखमल में लिपटा कर रख दिया |”
यह सुनकर बादशाह बोले, “तुम ने अपनी काबिलीयत साबित की, कल तुम दरबार में आ जाना | मुझे तुम्हारी सारी खुबिया याद है | अब यह देखना की तुम्हारी सारी खुबिया हमारे किस तरह मदद कर सकती है और बादशाह मुस्कराते हुए वहा से चले गए |”
बादशाह को बार बार वह चहरा याद आ रहा था ओस उसे लग रहा था की उन लडके को उन्होंने कही देखा है | यह बात उन्होंने बीरबल को भी बताई |
बीरबल तुंरत समझ गए और बोले, “आलमपनाह, लडके का चेहरा जाना-पहचाना इसलिए लग रहा है क्योकि उसकी शक्ल मुझसे मिलती है | वह मेरा छोटा भाई है |”
“तुम्हारा भाई? तुमने हमे पहले कभी नहीं बताया, अगर हमे पता होता हो हम उसकी इस तरह परीक्षा नहीं लेते |”
इसी कारण से मेने आप को नहीं बताया जिल्लेइलाही, में चाहता था वो अपनी काबिलीयत से दरबार में आये ना की बीरबल के छोटे भाई की हेसियत से | और दूसरी बात यह है की वो अतिआत्मविश्वासी और घमंडी होते जा रहा था | आपने उसका यह घमंड तोड़ दिया और उसे भी खुद को साबित करने के लिए बेहतर काम करना पड़ा |
यह सुनते ही बीरबल से बोले. “अब मुझे दो बिरबलो ने निपटना होगा और हस्ते हुए वहा से चले गए |”
बीरबल अपनी मुस्कुराहट छिपा रहे थे और खामोश रात में अकबर ही हंसी गुज रही थी |