एक बार रानी से कुछ गलती हो गई | बादशाह अकबर ने उन्हें क्रोध में आदेश दिया, “में चाहता हूँ की तुम चोबीस घंटे के अंदर राजमहल छोडकर चली जाओ | चाहे तो अपने साथ अपनी सबसे कीमती वस्तु ले जा सकती हो |”
रानी बहुत घबरा गई | ऐसे में उन्हें बीरबल ही एकमात्र सहारा नजर आया, इसलिए वह तुरंत मदद के लिए बीरबल के पास पहुची| बीरबल ने उनकी समस्या सुनी और बहुत सोच-विचर कर उन्हें एक योजना समझाई | उस योजना के अनुसार अपने कक्षमें आकर रानी ने अपनी सेविका को जल्दी ही अपना सामान बाधने के निदेश दिए | सब तेयारी जल्दी ही पूर्ण होने पैर रानी ने बादशाह को बुलवाया | बादशाह के आने पर वह बोली, “क्या आप हमारे हाथ से एक गिलास शरबत पि सकते है?”
बादशाह तेयार हो गए | रानी ने शरबत में नीद की दवा मिला गी थी | शरबत पिटे ही बादशाह गहरी नीद में सो गए | तब रानी ने सेनिको से पालकी मंगाकर बादशाह अकबर को उसमे लिटा दिया | फिर अपने सामान और बादशाह अकबर के साथ राजमहल छोड़ क्र अपने पिता के घर चली गई |
वंहा पहुचकर बादशाह को उन्होंने पलंग पर लिटा दिया | बादशाह अब तक नीद में थे | जब रानी के पिता ने उनसे इस सब का कारण पूछा तो उन्होंने उन्हें कुछ देर प्रतिक्षा करने को कहा | कुछ घंटो के पश्चात बादशाह की नीद खुली | उन्होंने अपने आस – पास देखा | रानी को उन्होंने खिड़की के पास खड़े पाया |
“में यहाँ क्या कर रहा हु?” में किस प्रकार तुम्हारे पिता के घर पहुंचा?” बादशाह ने गुस्से में कहा |
“महाराज, नाराज मत होइए, आपने मुझे अपनी सबसे कीमती वस्तु के साथ महल से जाने को कहा था | आपसे अधिक कीमती तो मेरे लिए कुछ भी नहीं है | इसलिए में आपको अपने साथ ले आई|”
रानी के शब्दों को सुनकर बादशाह अकबर मुस्कराए और बोले, “प्रिय, तुमने बहुत चतुराई से यह योजना बनाई है |”
“नहीं….नहीं, महाराज,” रानी ने सफाई देते हुए कहा |
“यह योजना मेरी नहीं थी, मुझे तो बीरबल ने ऐसा करने के लिए कहा था |”
“अच्छा तो इस सब के पीछे भी बीरबल का हाथ है | एक बार फिर तुम्हारे जरिए उसने हमे मात दे दी | अच्छा अब चलो राजमहल वापस चलते है |” फिर बादशाह और रानी वापस महल चले आए | इस बार बीरबल को उसकी इस बुद्धिमता के लिए पुरस्क्त किया गया |