एक गाँव में एक धनी किसान रहता था | उसके पास बहुत सी जमीन थी | उसके यहाँ बहुत –से आदमी काम करते थे | उस किसान के दो लडके थे |
जब दोनों लडके बड़े हो गये, तो किसान ने उन्हें आधी – आधी जमीन बाँट दी | साथ ही उसने काम करने वाले आदमी भी बराबर – बराबर संख्या में बाँट दिये |
बड़ा लड़का बहुत सुस्त और लालची था | वह कभी अपने खेतो को देखने तक नहीं जाता था | वह अपने आदमियों से कहा करता था “जाओ, खेतो पर जाकर काम करो |”
उसके आदमी मनमाना काम करते थे | काम कम करते थे, बाते अधिक | वे चिलम पिटे हुए इघर उघर की गप्पे उड़ाया करते थे | न समय पर हल चलते थे | न बीच बोते थे | न ठीक वक्त पर खाद डालते थे, न सिंचाई करते थे | धीरे – धीरे उपज घटने लगी और बहुत कम हो गई | किसान का बड़ा लड़का गरीब हो गया |
उघर छोटा लड़का बहुत मेहनती था | वह सवेरा होते ही कंधे पर हल रखकर अपने आग्मियो को पुकारता था – “आओ, खेतो पर चलकर काम करे |”
वह आदमियों को साथ लेकर खेतो पर जाता | डटकर काम करता था | उसे देखकर उसके आदमी भी खूब मेहनत करते थे | उसके आदमी खेतो में समय पर हल चलाया करते, समय पर बीच बोये करते और सिंचाई भी करते |
उसकी उपज दिनों – दिन बदती गई | वह अपने आदमियों को अधिक काम करने पर पुरस्कार भी देता था |
कुछ ही वर्षो में वह और धनी हो गया |
चतुर पिता दोनों बेटो में फर्क समझता था | एक दिन उसने दोनों बेटो को बुलाया | बड़े लडके ने पूछा – “क्या हाल है?” उसने कहा – “में तो गरीब हो गया हु | मेरा भाग्य हो खराब है |“
फिर उसने छोटे लडके से हाल – चाल पूछा | छोटा लड़का मुस्करा कर बोला – “आपकी क्रपा से दिन दुनी और रात चोगुनी उन्नति हो रही है | आनन्द आ रहा है |”
बूढ़े किसान ने कहा – “देखो, तुम दोनों को मेने बराबर – बराबर भाग दिया | वह भागही तुम्हारा भाग्य था | तुम्हारे भाग्य में कोई अंतर नहीं | अंतर केवल है ‘जाओ’ और ‘आओ’ में |
बढ़े लडके ने हेरान होकर पूछा – “बापू! जाओ और आओ क्या है ?”
पिता ने कहा – “तुम सदा अपने आदमियों से कहते हो – जाओ, काम करो|” तुम्हारा छोटा भाई अपने आदमियों से कहता है – “आओ, काम करे|”
पिता की बात सुनकर बढ़े लडके की आँखे खुल गई | उस दिन से वह भी ठीक ढंग से काम करने लगा | उसके खेतो की भी उपज बढने लगी |
सीख: अपना काम खुद ही करना चाहिए, किसी पर भी निर्भर नहीं रहना चाहिए |