पहले आचरण और फिर उपदेश

एक गाँव ने एक संत आये | वहा के सभी लोग उनके पास जाने लगे | एक माता ने अपने बेटे को लेकर उस संत के पास गई | उसने संत को प्रणाम किया और उसने प्राथना की, “गुरुदेव, मेरा यह बच्चा आम बहुत खाता है | मेने इसको बहुत समझाया, पर यह मेरी बात नहीं मानता | यदि आप इसे समझा देगे, तो यह आम खाना बंद कर देगा |

संत ने बेटे की तरफ देखा और माँ से कहा, “माँ तुम इस बच्चे को लेकर एक सप्ताह के बाद आना |”

ठीक सात दिनों बाद माँ फिर से अपने बच्चे को लेकर संत के पास गई | संत से उन दोनों को अपने पास बिठाया और फिर संत ने अपना हाथ उसकी पीठ पर हाथ फेरा और कहा, “बेटा, आज के बाद कभी भी ज्यादा आम नहीं खाना, जो भी तुम्हारी माँ कहे उसके अनुसार ही काम किया करो |”

यह सुनकर बेटा बोला, “जी गुरुदेव, जैसा आप ने कहा, में वैसा ही करुगा |”

यह सब देखकर माँ को आश्चर्य हुआ की अगर सिर्फ इतना की कहना था को सात दिनों तक इंतजार क्यों करवाया | माँ ने यह बात संत से कही तो संत ने कहा, “बेटी, मुझे भाई आम खाना बहुत पसंद है | जब तुमने मुझे कहा की इसको मना करो की ये ज्यादा आम न खाया करे तो मेने मन ही मन सोचा की में अपने आप को सुधर लू फिर इस बच्चे को मना करुगा इसलिए मेने आप को सात दिनों के बाद बुलाया था | और अब से में भी ज्यादा आम नहीं खाउगा |”

और यह सुनकर, माँ अपने बच्चे को लेकर वहा से चली गई |

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