मोत के आगे क्यों बेबस है इन्सान

दोस्तों क्यों बेबस है इंसान मोत के आगे की चाह कर भी वह कुछ नहीं कर सकता | में अपनी ज़िन्दगी की कुछ बाते आप लोगे के साथ बांट रहा हू | मेरे पिता को गुजरे हुए ९ महीने हो गए है पर आज भी आँखे रूकती नहीं अश्रु बहाए बिना | वैसे तो में बहुत सी ऐसे जगहों पर गया हुआ हू जहा पर किसी ना किसी की मोत हुई हो | पर में कभी किसी को मरते हुए नहीं देखा था तो मुझको एहसास न था की मोत केसी होती है ? और केसे आती है ? वो दूख दर्द क्या होता है? और केसे बेबस हो जाता है इंसान मोत के आगे की कुछ चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता |

दोस्तों मेरा पिता को lung cancer था ५ जनवरी का दिन था हम दोनों भाइ उस दिन छुट्टी पर थे | सुबह का वक़्त था में बाज़ार गया हुआ था कुछ समान लेने तभी मुझे मेरी बीवी का फ़ोन आया और कहा: आप ज़ल्दी आ जाओ, पापा की तबियत और खराब हो रही है | में तभी सारे काम छोड कर वापिस घर आ गया | उस वक़्त पापा के साथ हम सभी थे हम लोगो की आँखों के सामने पापा की आँखे उपर चड़ने लगी, हाथ – पाव ठंडे पड़ने लगे और सांसे अटक अटक आ रही मानो जैसे गिनती की सांसे ले रहे हो | मेरे मन में बस यही चल रहा था की किसी तरह पापा ठीक हो जाए, चाहे भगवान मेरी जान ले ले पर मेरा पापा को ठीक कर दे -“उस वक़्त को में शब्दों में बयान नहीं कर सकता” और बल्कि हम सभी लोग सही प्राथना कर रहे थे अपने अपने मन में | हमारे सामने पापा ने अपनी आखरी सांसे ली | उस वक़्त लगा मानो ज़िन्दगी रुक गई हो, सब ख़तम हो गया हो, हम भी मर जाए | उस वक़्त हम रोने के अलावा कुछ नहीं कर सकते थे चाह कर भी | क्यों बेबस है इंसान मोत के आगे की चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता | उस दिन मुझे पता चला की मोत क्या होती है दर्द, दूख क्या होता है अपने किसी के जाने का | रूह काप जाती है आज भी वो पल याद करके और मन रो पडता है |

मेरे सामने मेरे पिता ने दम तोडा और में खड़ा हुआ सिर्फ देखता रहा, में चाह कर भी कुछ कर ना सका अपने पिता के लिए | आज तक एक दिन ऐसा नहीं जाता जब मन उनको याद करके ना रोता हो | पापा के जाने के बाद मानो ज़िन्दगी जैसे बेजान सी है बस जी रहे है जीने के लिए | कोई ख़ुशी नहीं, कोई चाह नहीं है बस जी रहे है जीने के लिए | रूह काप जाती है यह सोच कर की तू कितना अकेला है बेबस है | और खुद्किस्मत है वो लोग जिनके पास उनके माँ-बाप का छाया है | एक बात का हमेशा दूख रहेगा की में उनके लिए कुछ न कर सका | दोस्तों मेरी आप से एक विनती है की अपने माँ-बाप को ज़िन्दगी की हर वो ख़ुशी दो जिनके वो हकदार है और कभी सपने में भी उनकी आँखों में आंसू ना आने पाए |

लेखक: युग्म जेतली

5 thoughts on “मोत के आगे क्यों बेबस है इन्सान”

  1. First word i would say God bless him. IF you are elder son in home. So be strong keep care yo fmly. yo mum is very alone that time. Give time to her, make her happy, dont be more emo boy. zindgi ko bewafa mana hia sab ne.. 🙂 🙂

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  2. Dost jab sai maine 12th paas kiya hai aaj tak Upar wali ki daya sai kabhi aakho mai Ashu nahi aaye hai but aapke Anmolvachan pad kar to mujhe rona aa gaya.. dosy kisi ke sath aisa na ho .. or aap apne aap ko akela nahi samjho
    aapki dost bhi aapki sath hai.. Brother

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  3. do’nt forget every person is alone in this word so never feel sorrow.Every person face ihis black side of his life.do’nt emo much and pray to god for more courage.

    all are with you.

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